नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के उलट निजी कंपनी स्काईमेट के अनुसार इस साल मानसून सामान्य से कम रहेगा, साथ ही अलनीनो का असर भी पड़ने की आशंका है। स्काईमेट के पूर्वानुमान के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मानसून लंबी अवधि के औसत का 93 फीसदी रहने का अनुमान है। चार जून को मानसून केरल के तट पर पहुंचेगा, इसमें दो दिन आगे-पिछे हो सकते हैं। आईएमडी ने अपने पहले पूर्वानुमान में 96 फीसदी बारिश होने की भविष्यवाणी की थी। केरल में सामान्यत: पहली जून को मानसून दस्तक देता है।
स्काईमेट के अनुसार महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाडा, तमिलनाडु, कर्नाटक, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में औसत से कम बारिश होने की आशंका है। पिछले साल भी कई राज्यों में मानसूनी बारिश सामान्य से कम हुई थी, जिससे महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा और कर्नाटक के कई जिलों में सूखे जैसे हालात बने हुए हैं।
स्काईमेट के अनुसार सूखा पड़ने की आशंका 15 फीसदी है, जबकि सामान्य से कम बारिश होने की आशंका 55 फीसदी और सामान्य मानसून रहने की संभावना 30 फीसदी है। स्काईमेट के वाइस-प्रेसिडेंट महेश पालावत ने बताया कि अलनीनो की वजह से न सिर्फ मानसून औसत से कम रहेगा, बल्कि मध्य व दक्षिण भारत के हिस्से में सामान्य से अधिक गर्मी पड़ेगी। मध्यप्रदेश, विदर्भ व दक्षिणी राज्यों के कुछ हिस्सों में तापमान अभी से 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक है, जो यहां के सामान्य तापमान से 4 से 5 डिग्री तक ज्यादा है।
खरीफ फसलों की बुवाई के लिए मानसूनी बारिश काफी अहम है, ऐसे में सामान्य से कम बारिश का असर खेती और किसानों पर पड़ेगा। दिल्ली, एनसीआर, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ में मानसून सामान्य रह सकता है। स्काईमेट के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में 29 जून के आसपास मानसून पहुंचेगा। स्काईमेट ने अपने पहले अनुमान में भी सामान्य से कम बारिश होने की भविष्यवाणी की थी। कंपनी के अनुसार जून से सितंबर के बीच मानसूी बारिश सामान्य से होगी। वर्ष 2019 में दक्षिण-पश्चिम मानसून लंबी अवधि का 93 फीसद (+-5फीएदी) रहेगा, जोकि सामान्य से कम है।
स्काइमेट के अनुसार 2019 में मानसून सभी चारों भागों में कमजोर रहेगा। उन्होंने बताया कि पूर्वी, पूर्वोत्तर और मध्य भारत में कम बारिश की आशंका है, जबकि उत्तर-पश्चिम और दक्षिण भारत में बारिश ठीक होगी। चालू मानसून सीजन में पूर्वी भारत में सामान्य के मुकाबले 92 फीसदी बारिश ही होने का अनुमान है।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
नई दिल्ली। स्काइमेट के अनुमानों के अनुसार, मॉनसून 2019 के सामान्य से नीचे रहने की संभावना है। इसमें 5% की अधिकता या कमी हो सकती है। स्काइमेट द्वारा आज जारी किए गए दीर्घावधि मॉनसून पूर्वानुमान के अनुसार जून से सितंबर की चार माह की मॉनसून अवधि में दीर्घावधि औसत 887 मिलीमीटर के मुक़ाबले 93% वर्षा का अनुमान है।
स्काइमेट के मुताबिक जून-जुलाई-अगस्त-सितंबर में कुल मॉनसूनी बारिश की संभावना इस प्रकार है:
• 0% संभावना अत्यधिक बारिश की है (LPA के मुक़ाबले 110% से अधिक वर्षा को अत्यधिक माना जाता है)• 0% संभावना अधिक बारिश की है (LPA के मुक़ाबले 105% से 110% वर्षा को अधिक माना जाता है)• 30% संभावना सामान्य बारिश की है (LPA के मुक़ाबले 96% से 104% वर्षा को सामान्य माना जाता है)• 55% संभावना सामान्य से कम वर्षा की है (LPA के मुक़ाबले 90% से 95% वर्षा सामान्य से कम होती है)• 15% संभावना सूखे की है (मॉनसून सीसन में 90% से कम बारिश होने पर सूखा माना जाता है)
जून-जुलाई-अगस्त-सितंबर में बारिश की संभावना का विवरण इस प्रकार है:
जून- दीर्घावधि औसत के मुक़ाबले 77% बारिश हो सकती है (जून में औसतन 164 मिमी वर्षा होती है)
• 15% संभावना सामान्य बारिश की है।• 10% संभावना सामान्य से अधिक बारिश की है।• 75% संभावना सामान्य से कम बारिश की है।
जुलाई– दीर्घावधि औसत के मुक़ाबले 91% बारिश हो सकती है (जुलाई में औसतन 289 मिमी वर्षा होती है)
• 35% संभावना सामान्य बारिश की है।• 10% संभावना सामान्य से अधिक बारिश की है।• 55% संभावना सामान्य से कम बारिश की है।
अगस्त– दीर्घावधि औसत के मुक़ाबले 102% बारिश हो सकती है (अगस्त में औसतन 261 मिमी वर्षा होती है)
• 55% संभावना सामान्य बारिश की है• 15% संभावना सामान्य से अधिक बारिश की है• 30% संभावना सामान्य से कम बारिश की है
सितम्बर– दीर्घावधि औसत के मुक़ाबले 99% बारिश हो सकती है (सितम्बर में औसतन 173 मिमी वर्षा होती है)
नई दिल्ली। प्रशांत महासागर की सतह के तापमान में पिछले सप्ताह भी बढ़ोतरी का रुझान रहा, जिससे अल नीनो के अस्तित्व में आने की संभावना और प्रबल हो गई है। इसके अलावा हवाओं में उतार-चढ़ाव और बढ़ती गर्मी भी अल नीनो के पक्ष में हैं।
निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक अल नीनो की घोषणा तब की जाती है जब ओषनिक नीनो इंडेक्स (ओएनआई) लगातार क्रमागत 3 महीनों में 0.5 डिग्री सेल्सियस के बराबर या उससे ऊपर बना रहे। अब तक बीते चार चरणों में ओएनआई इस स्तर से ऊपर बना रहा। इस बात की पूरी संभावना है कि पांचवें चरण में भी ओएनआई 0.5 डिग्री से ऊपर बना रहेगा। इसके साथ ही अल-नीनो की अस्तित्व में आने की संभावना कई गुना बढ़ गई है।
दुनिया भर के तमाम मॉडल संकेत कर रहे हैं कि अल-नीनो की संभाव्यता मार्च से मई के बीच में 80 फीसदी रहेगी। उसके बाद अल-नीनो कमजोर होना शुरू करेगा, लेकिन यह स्थिति जून और जुलाई में आएगी, जो प्रमुख मॉनसून महीने हैं। यानि शुरुआती दो मॉनसून महीनों पर अल-नीनो के प्रभाव की व्यापक संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। जून-जुलाई के बाद कमज़ोर होने के बावजूद इसकी प्रबलता 60 फीसदी बनी रहेगी। यही नहीं इस पूरे साल अल-नीनो का अस्तित्व बना रहेगा और 50 फीसदी से नीचे नहीं जाएगा।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार पहले अनुमान था कि एल नीनो स्प्रिंग सीजन तक उभर पर होगा। उसके बाद गर्मियां आते-आते कमजोर होने लगेगा। जबकि ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। यही नहीं समुद्र की सतह से ऊपर भी तापमान व्यापक रूप में औसत से अधिक चल रहा है। इसमें जल्द कमी की कोई संभावना दिखाई नहीं दे रही है।
गर्मी या गर्म ऊर्जा को अपने में समेटने में समुद्री क्षेत्र जमीनी क्षेत्र के मुक़ाबले ज़्यादा सक्षम होता है। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि मॉनसून के महीनों में भी तापमान निर्धारित सीमा से ऊपर ही बना रहेगा।
अल नीनो ऐसी मौसमी स्थिति है जो किसी तय रास्ते पर हर बार नहीं चलता है। यानि इसके बर्ताव में हर बार बदलाव देखने को मिल सकता है। लेकिन जब भी अल-नीनो अस्तित्व में होता है, पूरे सीज़न को 80 फीसदी तक प्रभावित करता है और संभावना सामान्य से 80 फीसदी कम बारिश की होती है। जबकि सूखे की संभावना 60 फीसदी तक होती है।
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर और उत्तरी पाकिस्तान में एक पश्चिमी विक्षोभ बना हुआ है। उत्तर बिहार पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। दक्षिण गुजरात तट और कोकण तट पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। इस प्रणाली से गुजरात के केंद्रीय हिस्सों से होते हुए दक्षिण पश्चिम राजस्थान तक एक ट्रफ़ रेखा जा रही है। कोंकण तट से केरल कोस्ट तक एक ट्रफ़ रेखा जा रही है।
स्काइमेट के मुताबिक पिछले 24 घंटों के दौरान, कोंकण और गोवा तट और मेघालय के कुछ स्थानों में भारी बारिश हुई। अरुणाचल प्रदेश, शेष उत्तरपूर्वी राज्यों, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, झारखंड के हिस्सों, उत्तर छत्तीसगढ़, तटीय ओडिशा, दक्षिण मध्य प्रदेश, गुजरात और तटीय कर्नाटक के कई स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश हुई। जम्मू-कश्मीर, पंजाब, दक्षिण हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तर मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, शेष महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की बारिश हुई।
अगले 24 घंटों के दौरान, दक्षिण गुजरात तट, पश्चिम तट, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, पूर्वी मध्य प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों में भारी भारी बारिश की उम्मीद है। गुजरात, पूर्वी राजस्थान, बाकी मध्य प्रदेश, उत्तर मध्य महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में कुछ स्थानों पर भी बारिश हो सकती है। जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, आंतरिक कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम राजस्थान, उत्तर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश की उम्मीद है। दिल्ली सहित उत्तर पश्चिमी मैदानों के कुछ हिस्सों में धूल भरी आँधी और मेघगर्जना की संभावना है।
नई दिल्ली। देश के अधिकांश हिस्सों में मॉनसून कमजोर बना हुआ है। हालांकि, 24 जून से मॉनसून के सक्रिय होने की संभावना है क्यूंकी MJO अनुकूल हो रहा और बंगाल की खाड़ी के उत्तरी भागों पर एक मॉनसून सिस्टम बनने वाला है। 24 जून से पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में बारिश बढ़ेगी। फिलहाल मॉनसून की उत्तरी सीमा मुंबई और बागडोगरा में बनी रहेगी।
स्काइमेट के मुताबिक पिछले 24 घंटों के दौरान, कोंकण गोवा और तटीय कर्नाटक में मॉनसून का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा और बारिश की तीव्रता काफी तेज़ थी। केरल में मॉनसून सक्रिय रहा जिससे यहाँ मध्यम से भारी बारिश दर्ज़ की गयी। इस दौरान सबसे अधिक बारिश पणजी में हुई। यहाँ 155 मिमी वर्षा दर्ज़ की गयी। रत्नागिरी में 145 मिमी और मंगलुरु में 115 मिमी बारिश रेकॉर्ड की गई। पिछले 24 घंटों के दौरान देश भर में सामान्य से 41% कम वर्षा दर्ज़ की गयी जिससे इस मॉनसून सीज़न में अब तक सामान्य से 7% कम बारिश हुई है।
2018 के मॉनसून में अब तक सामान्य से अधिक वर्षा महज़ दक्षिण भारत में हुई है। जहां बारिश का आंकड़ा सामान्य से 36 प्रतिशत ऊपर है। जबकि उत्तर, मध्य और पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से 12, 9 और 27% कम वर्षा दर्ज़ की गयी है। अगले 24 घंटों के दौरान, कोंकण गोवा, तटीय कर्नाटक और केरल में भारी वर्षा के साथ मॉनसून का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहेगा। मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ में सक्रिय मॉनसून के साथ मध्यम से भारी बारिश की उम्मीद है।
उप हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, दक्षिण छत्तीसगढ़, और उत्तरी तेलंगाना में मॉनसून सामान्य होगा। यहाँ हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है। दूसरी ओर मॉनसून गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मराठवाड़ा,आंध्र प्रदेश, दक्षिण तेलंगाना, आंतरिक कर्नाटक और तमिलनाडु में कमजोर रहेगा।
नई दिल्ली। मानसून के प्रवाह कमजोर पड़ने के कारण दक्षिणपश्चिम मानसून आगे नहीं बढ़ा। मॉनसून की उत्तरी सीमा ठाणे, मुंबई, अहमदनगर, बुलढाणा, गोंडिया, तितलागढ़, कटक, मिदनापुर, गोलपाड़ा और बाघडोगरा से गुजर रही है। मॉनसून की उत्तरी सीमा के अब आगे बढ्ने के आसार कम हैं क्योंकि मॉनसून का प्रवाह कमजोर हो गया है।
स्काइमेट के मुताबिक पिछले 24 घंटों के दौरान, मॉनसून दक्षिण कोंकण और गोवा, तटीय कर्नाटक, केरल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर व्यापक रूप से सक्रिय रहा. जबकि सक्रिय मानसून की स्थिति उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, विदर्भ और छत्तीसगढ़ के हिस्सों में देखी गई।
अगले 24 घंटों के दौरान, मानसून दक्षिण कोंकण गोवा, तटीय कर्नाटक और केरल पर व्यापक रूप से सक्रिय रहेगा, यहाँ मध्यम से भारी बारिश रिकॉर्ड की जाएगी। इस बीच, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और मध्य महाराष्ट्र में मॉनसून सक्रिय रहेगा जो की मध्यम बारिश देगा। जबकि, विदर्भ, आंतरिक कर्नाटक, तेलंगाना, दक्षिणी छत्तीसगढ़, उप हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और पूर्वोत्तर राज्यों में मानसून सामान्य रहेगा।
नई दिल्ली। पंजाब और आसपास के इलाकों में एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। इस प्रणाली से हरियाणा, राजस्थान और उत्तरी मध्य प्रदेश होते हुए उत्तरी छत्तीसगढ़ तक एक ट्रफ रेखा गुज़र रही है। इस ट्रफ रेखा से एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उत्तरी-पश्चिम मध्य प्रदेश पर बना हुआ है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक और चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र देखा जा सकता है। दक्षिण महाराष्ट्र से उत्तरी केरल तट तक और ट्रफ रेखा फैली हुई है। दक्षिण मध्य महाराष्ट्र और इससे सटे दक्षिण कोकण और गोवा पर एक और चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र देखा जा सकता है। एक और चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र पश्चिम केंद्रीय बंगाल की खाड़ी में उत्तरी आंध्र प्रदेश तट पर बना हुआ है। एक ट्रफ रेखा इस प्रणाली से दक्षिण मध्य महाराष्ट्र तक फैली हुई है।
स्काइमेट के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान तटीय कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दक्षिण मध्य प्रदेश, असम, नागालैंड और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भारी बारिश हुई। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर-पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, पूर्वोत्तर राज्यों और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश देखी गई। गंगीय पश्चिम बंगाल और तटीय ओडिशा के एक दो स्थानों में भी हल्की बारिश देखी गई। देश के अधिकांश हिस्सों में लू की स्थिति खत्म हो चुकी है। हालांकि, राजस्थान के कुछ जिलों में भी भी लू की स्थिति बरकरार हैं।
अगले 24 घंटों के दौरान महाराष्ट्र, तटीय कर्नाटक और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में मध्यम से भारी बारिश की उम्मीद है। केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, पूर्वोत्तर भारत और लक्षद्वीप पर हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा की तलहटी पर कुछ स्थानों में हल्की से मध्यम की उम्मीद है। पश्चिम राजस्थान के कुछ हिस्सों में लू की स्थिति जारी रहेगी।
नई दिल्ली। पिछले 24 घंटों के दौरान अंडमान व निकोबार में मॉनसून सक्रिय रहा। केरल, दक्षिणी तमिलनाडु और नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम और त्रिपुरा में सामान्य मॉनसूनी बारिश हुई। जबकि उत्तरी तमिलनाडु और कर्नाटक में मॉनसून में सुस्ती देखने को मिली और कम बारिश हुई। पिछले 24 घंटों के दौरान सबसे अधिक मॉनसून वर्षा वाले स्थानों का सबसे ऊपर रहा कैलाशहर जहां 66 मिलीमीटर वर्षा हुई। अंडमान व निकोबार में कई जगहों भारी वर्षा हुई। पोर्ट ब्लेयर में 43 मिलीमीटर और केरल के तिरुवनंतपुरम में 33 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई।
स्काइमेट के मुताबिक 24 घंटों के दौरान देश में मॉनसून वर्षा में कमी आई और यह सामान्य से 42% कम के स्तर पर पहुँच गई। इसके साथ देश में 1 जून से 5 जून तक बारिश का आंकड़ा गिरा है और सामान्य से 9% नीचे पहुँच गया है। अब तक दक्षिण भारत में सामान्य से 43 प्रतिशत अधिक मध्य भारत में सामान्य से 21 फीसदी अधिक बारिश हुई। जबकि उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य से 56% कम और पूर्वी तथा पूर्वोत्तर राज्य में सामान्य से 45 प्रतिशत कम वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
बुधवार को मॉनसून कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुछ और भागों में आगे बढ़ा है। मॉनसून की उत्तरी सीमा इस समय कुर्नूल और मछलीपट्टनम तक पहुँच गई है। हालांकि पूर्वोत्तर में अभी भी अगरतला और उत्तरी लखीमपुर तक ही बनी हुई है। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के बाकी हिस्सों तथा कोंकण गोवा और तेलंगाना के भी कुछ भागों में मॉनसून के आगमन के लिए स्थितियाँ अनुकूल बनी हुई हैं।
अनुमान है कि कोंकण गोवा, रायलसीमा और तेलंगाना में बारिश की गतिविधियां अब ज़ोर पकड़ेंगी। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून तटीय कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तटीय आंध्र प्रदेश के साथ-साथ नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम और त्रिपुरा में सामान्य रहेगा और हल्की से मध्यम वर्षा देखने को मिलेगी। दक्षिणी तमिलनाडु और आंतरिक कर्नाटक में मॉनसून का प्रदर्शन कमज़ोर होगा जिससे इन भागों में बारिश में कमी रहेगी।
नई दिल्ली। मध्य पाकिस्तान पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। हरियाणा, उत्तरी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड होते हुए एक ट्रफ़ रेखा पंजाब से गंगीय पश्चिम बंगाल तक फैली हुई है। अरब सागर में दक्षिणी कोंकण के तटों के पास एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दिखाई दे रहा है। पूर्वी मध्य प्रदेश से विदर्भ और तेलंगाना होते हुए रायलसीमा तक एक ट्रफ रेखा फैली हुई है।
स्काइमेट के मुताबिक पिछले 24 घंटों के दौरान, केरल, कोंकण और गोवा तथा अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में मध्यम से भारी बारिश रिकॉर्ड की गई। कर्नाटक, मध्य महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पूर्वी मध्य प्रदेश, गंगीय पश्चिम बंगाल, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश हुई। रायलसीमा, तटीय आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, उत्तराखंड, असम और अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों में हल्की बारिश हुई। राजस्थान और पश्चिमी मध्य प्रदेश में कुछ स्थानों पर लू का प्रकोप जारी रहा।
अगले 24 घंटों के दौरान, राजस्थान और पश्चिमी मध्य प्रदेश के कुछ स्थानों में लू का प्रकोप जारी रहने के आसार हैं। कोंकण और गोवा, मध्य महाराष्ट्र, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड के अलग-अलग स्थानों पर हल्की से मध्यम और एक दो जगहों पर भारी बारिश हो सकती है। केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, तटीय आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र के शेष हिस्सों, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और लक्षद्वीप में मध्यम बारिश होने की संभावना है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक-दो स्थानों पर धूल भरी आँधी चलने और बादलों की गर्जना होने के आसार हैं।
नई दिल्ली। पंजाब और आसपास के पूर्वोत्तर राजस्थान में एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। इस प्रणाली से मध्य प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल होते हुए बांग्लादेश तक एक ट्रफ़ रेखा जा रही है। दक्षिण बिहार और झारखंड पर एक और चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र है। उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और आस-पास के इलाकों में तीसरा चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र है। एक चौथा चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र तमिलनाडु और श्रीलंका तट से बंगाल के दक्षिण पश्चिम खाड़ी पर है।
स्काइमेट के मुताबिक पिछले 24 घंटों के दौरान, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों, उत्तरी आंतरिक कर्नाटक और कोंकण और गोवा में मध्यम से भारी बारिश हुई। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, दक्षिण गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड, बिहार, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और पूर्वोत्तर राज्यों के शेष हिस्सों में केरल के लक्षद्वीप, केरल में बिखरी हुई हल्की बारिश देखी गई। राजस्थान और पश्चिम मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में लू प्रचलित थी।
अगले 24 घंटों के दौरान, कर्नाटक और दक्षिण कोंकण और गोवा में कुछ भारी मंत्रों के साथ हल्की से मध्यम बारिश की उम्मीद है। महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पूर्वोत्तर राज्यों, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और बिहार में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में बारिश की उम्मीद है। राजस्थान के कई हिस्सों और पश्चिम मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में लू की स्थिति जारी रहेगी।
Saturday January 23,2021
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के उलट निजी कंपनी स्काईमेट के अनुसार नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के उलट निजी कंपनी स्काईमेट के अनुसार . . . . .
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