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(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
मुंबई। ट्रैक्टर उद्योग के लिए जून महीना बेहतर रहा है क्योंकि आठ महीने के अंतराल के बाद उत्पादन एक लाख के आंकड़े को पार कर गया और निर्यात ने ऐतिहासिक ऊंचाई हासिल की साथ ही घरेलू बिक्री में महीने दर महीने वृद्धि हुई।
ट्रैक्टर एंड मैकेनाइजेशन एसोसिएशन (टीएमए) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, जून में घरेलू ट्रैक्टर की बिक्री मई में 81,940 इकाइयों की तुलना में 94,477 इकाई रही, जो 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिखाता है। फसलों के ऊंचे दाम होने से किसानों को अच्छे पैसे मिले हैं जिसकी वजह से ट्रैक्टरों की मांग में वृद्धि हुई है।
हालांकि, जून 2021 की 110,399 इकाइयों की बिक्री की तुलना में जून में वॉल्यूम 14 प्रतिशत कम था। जून 2021 में सेकेंड-वेव लॉकडाउन में ढील के बाद रिकॉर्ड ट्रैक्टर बिक्री हुई थी। जबकि घरेलू ट्रैक्टर की बिक्री में सुधार हो रहा है, 'मेड इन इंडिया' ट्रैक्टरों का निर्यात लगातार बढ़ रहा है और जून के दौरान कुल शिपमेंट 12,849 इकाइयों के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। पिछला उच्च सितंबर 2021 में था जब ट्रैक्टर निर्यात 12,690 इकाइयों का था। साथ ही लगातार 13वें महीने ट्रैक्टर का निर्यात 10 हजार से अधिक के स्तर पर बना हुआ है।
घरेलू मांग में वृद्धि और मजबूत निर्यात ऑर्डर की वजह से जून के दौरान ट्रैक्टर उद्योग का कुल उत्पादन भी उच्च स्तर पर पहुंच गया और 103,563 इकाई रहा। आठ महीने के अंतराल के बाद इसने एक लाख का आंकड़ा पार कर लिया है। 30 जून, 2022 को समाप्त तिमाही के लिए, कुल घरेलू ट्रैक्टर की बिक्री 16 प्रतिशत बढ़कर लगभग 2.66 लाख इकाई हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 2.29 लाख इकाई थी। निर्यात ने 26,660 इकाइयों की तुलना में 35,146 इकाइयों पर 32 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान कुल उत्पादन 2.84 लाख इकाई रहा, जो जून 2021 की दूसरी तिमाही में 2.48 लाख इकाई था।
उद्योग के प्रतिनिधियों और विश्लेषकों का कहना है कि आईएमडी ने लगातार चौथे सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की है, यदि ऐसा होता है तो यह ट्रैक्टर उद्योग के लिए एक बड़ा सकारात्मक होगा।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
मुंबई। कई कृषि जिंसों के मंडी भाव, जिनके लिए सरकार ने 2022-23 सीज़न के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 5-9 फीसदी की बढ़ोतरी की घोषणा की है, वर्तमान में एमएसपी से ऊपर चल रही है। केवल ज्यादातर दलहन के दाम बेंचमार्क भाव से नीचे चल रहे हैं।
तिलहन, विशेष रूप से सोयाबीन की मंडी की कीमतें, जिसका एमएसपी अगले फसल सीजन के लिए 9 फीसदी बढ़ाकर 4,300 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है, वर्तमान में इंदौर में एमएसपी से 50 फीसदी अधिक 6,500 रुपए प्रति क्विंटल है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, 1 अक्टूबर से शुरू होने वाले 2022-23 सीजन की शुरुआत में सोयाबीन की कीमतें लगभग 5,500 रुपए से 6,000 रुपए प्रति क्विंटल रहने की उम्मीद है। पोल्ट्री फीड के रूप में इस्तेमाल होने वाले खाद्य तेल और सोयाबीन मील की मजबूत घरेलू मांग ने कीमतों को एमएसपी से ऊपर ला दिया है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डी के पाठक ने बताया कि सोयाबीन एमएसपी से काफी ऊपर बिक रहा है, हालांकि, एमएसपी में वृद्धि से किसानों को सकारात्मक संकेत मिलते हैं।
गुजरात में इस समय मूंगफली का बाजार भाव करीब 6,090 रुपए प्रति क्विंटल है, जो आगामी सीजन के लिए एमएसपी 5,850 रुपए प्रति क्विंटल से करीब चार फीसदी अधिक है। वर्तमान में, भारत घरेलू खाद्य तेल की खपत का लगभग 45 फीसदी उत्पादन करता है। घरेलू उत्पादन में सोयाबीन और मूंगफली की हिस्सेदारी क्रमशः 24 प्रतिशत और 7 प्रतिशत है।
चावल के मामले में, मंडी की कीमतें 2022-23 खरीफ सीजन के लिए घोषित धान के एमएसपी से लगभग 4 फीसदी ऊंची हैं। महीने की शुरुआत में एफसीआई के पास लगभग 330 लाख टन चावल का स्टॉक बफर स्टॉक की जरुरत के दोगुने से अधिक है। सामान्य मॉनसून की वजह से खरीफ सीजन में मुख्य रूप से उगाए जाने वाले चावल को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
जबकि तुअर (अरहर), मूंग और उड़द के लिए बेंचमार्क कीमतें पिछले साल की तुलना में 4.8 फीसदी, 6.6 फीसदी और 4.8 फीसदी बढ़कर क्रमशः 6,600 रुपए, 7,755 रुपए और 6,600 रुपए प्रति क्विंटल हो गई हैं, जबकि तुअर (अरहर) और मूंग की मौजूदा मंडी कीमतें एमएसपी से 4.5 फीसदी और 9 फीसदी नीचे हैं। व्यापारियों का कहना है कि पर्याप्त आयात, खासकर तुअर के मामले में, ने घरेलू उपलब्धता बढाई है, जबकि मूंग की मांग में कमी आई है, जिससे कीमतें एमएसपी से नीचे आ गई हैं। उड़द के मंडी भाव एमएसपी के आसपास चल रहे हैं।
बता दें कि भारत खाद्य तेल की अपनी कुल घरेलू आवश्यकता का लगभग 55-56 फीसदी आयात करता है, जबकि दालों की खपत का 15 फीसदी आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है।
नई दिल्ली। सरकार ने गुरुवार को देश के गेहूं उत्पादन को संशोधित कर इस साल फरवरी के अनुमानित 1113.2 लाख टन से घटाकर 1064.1 लाख टन कर दिया। जबकि कपास का उत्पादन भी 340.6 लाख गांठ से घटकर 315.4 लाख गांठ (प्रत्येक 170 किलोग्राम) रहने का अनुमान जारी किया है।
कृषि फसलों के तीसरे अग्रिम अनुमान को जारी करते हुए सरकार ने कहा कि 2021-22 फसल वर्ष (जुलाई-जून) के दौरान कुल खाद्यान्न उत्पादन 3145.1 लाख टन होगा और हालांकि यह फरवरी में अनुमानित अनुमान से 15.5 लाख टन कम है। हालांकि, एक साल पहले की तुलना में अभी भी 1.2 प्रतिशत अधिक है।
अधिकारियों ने कहा कि चावल, दलहन और मोटे अनाज के उत्पादन में फरवरी के अनुमान से वृद्धि हुई है। गेहूं के उत्पादन में लगभग 50 लाख टन की गिरावट ने कुल खाद्यान्न उत्पादन को ज्यादा प्रभावित नहीं किया है। व्यापारियों और विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल गर्मी की शुरुआत के बाद गेहूं का उत्पादन 950-980 लाख टन हो सकता है और मार्च में उच्च तापमान के कारण पंजाब और हरियाणा के प्रमुख उत्पादक राज्यों में उपज में 10-15 प्रतिशत की कमी आई है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को पिछले सप्ताह सिकुड़े और टूटे अनाज के 18 प्रतिशत (पहले के 6 प्रतिशत से) के रियायती मानदंडों पर गेहूं स्वीकार करने की अनुमति दी, ताकि पंजाब और हरियाणा द्वारा किसानों से पहले से खरीदे गए 75 लाख टन को उसके पास रखा जा सके।
कपास एक और फसल है जहां सरकार ने उत्पादन अनुमान कम कर दिया है क्योंकि कपड़ा मिलों को फाइबर की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। फरवरी में कपास का उत्पादन पिछले साल 352.5 लाख गांठ से कम होने का अनुमान लगाया गया था एवं इसमें और कटौती देखी गई है। कॉटन एसोसिएशन ने इस साल का उत्पादन 323.6 लाख गांठ रहने का अनुमान लगाया है, जो सरकारी आकलन से अधिक है।
हालांकि, चावल का उत्पादन तीन महीने पहले अनुमानित 1279.3 लाख टन से बढ़कर 1296.6 लाख टन पहुंच गया है। पिछले साल उत्पादन 1243.7 लाख टन था। चावल के साथ-साथ मक्का, दलहन, तिलहन, चना, रेपसीड, सरसों और गन्ने के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया गया है।
कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा: इतनी फसलों का यह रिकॉर्ड उत्पादन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सक्षम नेतृत्व में सरकार की किसान-हितैषी नीतियों के साथ-साथ वैज्ञानिकों का परिश्रम और किसानों की अथक मेहनत का परिणाम है। कृषि मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विभिन्न फसलों के उत्पादन का आकलन राज्यों से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है और अन्य स्रोतों से उपलब्ध जानकारी के साथ मान्य है।
रकबे में गिरावट के कारण पोषक/मोटे अनाज का उत्पादन पिछले वर्ष 513.2 लाख टन के मुकाबले 507 लाख टन होने का अनुमान है। मक्के का उत्पादन 331.8 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले साल 316.5 लाख टन था। 2021-22 के दौरान कुल दलहन उत्पादन पिछले साल के 254.6 लाख टन के मुकाबले रिकॉर्ड 277.5 लाख टन होने का अनुमान है।
देश में तिलहन का उत्पादन रिकॉर्ड 385 लाख टन (359.5 लाख टन) होने का अनुमान है। 2021-22 के दौरान गन्ने का कुल उत्पादन रिकॉर्ड 4305 लाख टन देखा गया है, जो पिछले साल 4054 लाख टन था।
मुंबई। नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीईएक्स) ने 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में औसत दैनिक कारोबार में 47 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। वित्त वर्ष 2021-22 में दैनिक कारोबार 1857 करोड़ रुपए का रहा जो पूर्व वित्त वर्ष में 1,261 करोड़ रुपए था। सप्लाई चेन में दिक्कत होने से एग्रीकल्चर कमोडिटी के भाव बढ़ने से यह बढ़ोतरी हुई।
कमोडिटी एक्सचेंज पर औसत दैनिक कारोबार कोरोना महामारी से पहले के स्तर 1,794 करोड़ रुपए को पार कर गया। एक्सचेंज ने कहा कि सोया कॉम्प्लेक्स, सरसों और चना जैसे कुछ अहम कमोडिटी के वायदा कारोबार पर लगी रोक के बावजूद उसके कारोबार में बढ़ोतरी हुई है। एक्सचेंज ने कृषि डेरिवेटिव सेगमेंट में 80 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ अपनी अव्व्ल पोजीशन बनाए रखी है।
एनसीडीईएक्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण रस्ते ने कहा कि एक्सचेंज का वित्तीय प्रदर्शन बाजार सहभागियों के लचीलेपन, जोखिम प्रबंधन व्यवहार को उजागर करता है, खासकर कृषि क्षेत्र में जब कमोडिटी बाजार अभूतपूर्व भू-राजनीतिक उथल-पुथल के कारण कठिन दौर से गुजर रहा है। ओपन इंटरेस्ट 32 प्रतिशत बढ़कर 3,554 करोड़ रुपए (2,695 करोड़ रुपए) हो गया।
एनसीडीईएक्स के मुख्य कारोबार अधिकारी कपिल देव ने कहा कि कुछ प्रमुख कमोडिटी डेरिवेटिव कांट्रैक्सटस के निलंबन के कारण यह एक चुनौतीपूर्ण वर्ष था। एक्सचेंज ने 400 से अधिक किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से दस लाख से अधिक किसानों को एक्सचेंज प्लेटफॉर्म से जोड़ा है।
पिछले साल 50 अरब डॉलर के निर्यात के साथ कृषि परिदृश्य में तेजी से बदलाव देखा जा रहा है और भारत कई कृषि उत्पादों के लिए एक प्रमुख सोर्सिंग हब के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि इस बदलाव से निश्चित रूप से एक्सचेंज के लिए अवसर बढ़ेंगे।
मुंबई। कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में 20 अप्रैल 2022 को समाप्त हुए विभिन्न कमोडिटी अनुबंधों के फाइनल सेटलमेंट प्राइस यानि अंतिम निपटान भाव जारी किए हैं।
कमोडिटी
भाव यूनिट
निपटान भाव
बाजरा
क्विंटल
2180.25
जौ
3186.50
कैस्टर सीड
7231.25
रिफाइंड कैस्टर ऑयल
10 किलोग्राम
1442.70
कॉटन सीड ऑयलकेक
3240.60
कॉटन 29 एमएम
गांठ
44438.45
धनिया
12104.35
ग्वार गम
12583.35
ग्वार सीड
6433.35
गुड़
40 किलोग्राम
1133.35
सोयाबीन मील
टन
68416.65
जीरा
21942.55
मक्का फीड
2317.50
मूंग
7033.35
धान बासमती
4516.65
तिल
11800.00
स्टील
59683.35
सोयाबीन
7935.00
सोया ऑयल
1581.55
हल्दी
8874.65
गेहूं
2291.65
मुंबई। नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज और इसके इन्वेस्टर प्रोटेक्शन फंड ट्रस्ट ने आज किसानों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को समर्पित देश का पहला कॉल सेंटर लॉन्च किया, जो कृषि डेरिवेटिव और संबंधित मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर सेवाओं के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करता है।
इस पहल से किसानों और एफपीओ को वास्तविक समय के आधार पर एक्सचेंज की कार्यप्रणाली, उत्पाद से संबंधित प्रश्नों, हाजिर कीमतों, वितरण और निपटान संबंधी प्रश्नों आदि के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
लॉन्च के अवसर पर बोलते हुए वी.एस. सुंदरसन, कार्यकारी निदेशक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा डेरिवेटिव किसानों को प्रभावी जोखिम प्रबंधन उपकरण प्रदान करते हैं। लेकिन किसानों के बीच डेरिवेटिव बाजार के बारे में जागरूकता का स्तर काफी कम है। सेबी उस दिशा में कड़ी मेहनत कर रहा है और यह कॉल सेंटर हमारे प्रयासों का पूरक होगा। यह सही दिशा में एक कदम है और मैं इस बहुमूल्य पहल के लिए एनसीडीईएक्स के साथ-साथ किसान समुदाय को बधाई देता हूं।
उन्होंने कहा कि अपनी तरह का यह पहला कॉल सेंटर होगा जो किसानों और एफपीओ को डेरिवेटिव बाजार से सीधे जोड़ने के लिए जानकारी प्रदान करेगा। मुझे यकीन है कि यह सुविधा एनसीडीईएक्स और किसानों के बीच की खाई को पाटेगी, विशेष रूप से देश भर के दूरदराज के इलाकों में और उन्हें कृषि उत्पादों के विपणन की मुख्यधारा में लाएगी।
कॉल सेंटर पर उपलब्ध कराई गई जानकारी डेरिवेटिव ट्रेडिंग तक सीमित नहीं होगी और इसमें एनसीडीईएक्स समूह के तहत सभी सेवाएं भी शामिल होंगी जैसे इलेक्ट्रॉनिक नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीद-आधारित वित्तपोषण, और नीलामी और रिवर्स नीलामी के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक स्पॉट ट्रेडिंग ताकि किसानों को सक्षम बनाया जा सके। संपूर्ण कृषि-मूल्य श्रृंखला से जुड़ें।
मुंबई। कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में सोमवार 21 मार्च 2022 से रिफाइंड कैस्टर ऑयल वायदा लांच होगा। इस वायदा में कैश में डिलीवरी होगी और इसका टिक साइज 50 पैसे का रखा गया है। कैस्टर ऑयल वायदा दूसरी एग्री कमोडिटी की तरह हर महीने की 20 तारीख को एक्सपायर होगा।
एनसीडीईएक्स अप्रैल से जुलाई यानी चार महीनों का कैस्टर ऑयल वायदा लांच करेगा। बता दें कि एनसीडीईएक्स में कैस्टर सीड वायदा पहले से ही चल रहा है। रिफाइंड कैस्टर ऑयल वायदा में कारोबार एक्स-टैंक, कांडला बंदरगाह की कीमतों के आधार पर होगा और इस वायदा में 4+2 आधार पर 6 फीसदी की दैनिक मूल्य सीमा होगी।
कैस्टर सीड की बोआई वर्ष 2021-22 में बीते साल की तुलना में 10 फीसदी कम बोआई हुई है। कैस्टर की कुल बोआई 6.96 लाख हेक्टेयर में हुई है जिसमें से गुजरात में 5.39 लाख हेक्टेयर में बोआई हुई है। देश से फरवरी 2022 में कैस्टर ऑयल का एक्सपोर्ट 6.82 फीसदी बढ़ा है। कैस्टर और कैस्टर ऑयल का उत्पादन गुजरात, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक में होता है।
भारत दुनिया में सबसे ज्यादा कैस्टर और कैस्टर ऑयल का उत्पादन करने वाला देश है। दुनिया के कुल उत्पादन का 90 फीसदी भारत में होता है। कैस्टर सीड के उत्पाद बायोडिग्रेडेबल और इको फ्रेंडली होते हैं। भारत में अकेला गुजरात 75 फीसदी कैस्टर ऑयल का उत्पादन करता है। इसका इस्तेमाल ल्यूब्रिकेशन, हाइड्रोलिक ब्रेक फ्लूइड,पेंट, कोटिंग,इंक, प्लास्टिक, वैक्स और पॉलिश, नायलॉन, फार्मास्यूटिकल्स आदि में होता है।
मुंबई। कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में 17 मार्च 2022 को समाप्त हुए विभिन्न कमोडिटी अनुबंधों के फाइनल सेटलमेंट प्राइस यानि अंतिम निपटान भाव जारी किए हैं।
2120.65
3254.30
37818.55
11193.75
6116.05
1144.15
66166.65
20536.55
2272.40
7300.00
4120.00
11866.65
56516.65
7651.65
1562.10
2258.35
मुंबई। काला सागर (ब्लैक सी) - यूरोप और एशिया के चौराहे पर वस्तुओं की आवाजाही के लिए एक प्रमुख जगह - अचानक दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रहा है क्योंकि यूक्रेन में संघर्ष हो रहा है। आधा दर्जन देश इसके तटों को छूते हैं, हालांकि यह ऊर्जा, इस्पात और कृषि उत्पादों के व्यापार के लिए कई देशों के लिए महत्वपूर्ण रास्ता है।
रूस, अजरबैजान और कजाकिस्तान के कच्चे और परिष्कृत तेल उत्पाद इस समुद्र के पूर्वी किनारे पर निर्यात टर्मिनलों से गुजरते हैं। पश्चिम में वे देश हैं जो अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कच्चे तेल की ढुलाई करने वाले जहाजों पर निर्भर हैं। दुनिया के ब्रेड बास्केट में से एक जगह के रूप में इसे जाना जाता है, यह क्षेत्र अपने बंदरगाहों से सालाना लाखों टन अनाज और वनस्पति तेलों की आपूर्ति करता है। यूक्रेन यूरोप के लिए इस्पात का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
रूस और जॉर्जिया में काला सागर के पूर्वी तट पर तीन प्रमुख तेल टर्मिनलों से क्रूड ऑयल का निर्यात किया जाता है। इन सुविधाओं से शिपमेंट में ब्रेक लगेगा। काला सागर में टैंकर यातायात में किसी भी व्यवधान से कजाकिस्तान के निर्यातकों को सबसे अधिक नुकसान होता है। सीपीसी टर्मिनल, रूसी बंदरगाह नोवोरोस्सिय्स्क के उत्तर में स्थित है, कजाकिस्तान से पाइपलाइन द्वारा प्रतिदिन लगभग 13 लाख बैरल क्रूड ऑयल की आपूर्ति करता है।नोवोरोस्सिय्स्क तेल टर्मिनल रूसी क्रूड ऑयल के एक दिन में लगभग चार लाख बैरल का संचालन करता है, जिसे यूराल या साइबेरियन लाइट के रूप में निर्यात किया जाता है, जिसमें यूराल कुल मात्रा का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा होता है।
जॉर्जिया में दक्षिण में सुप्सा, अज़रबैजान से क्रूड ऑयल की एक पाइपलाइन का अंतिम बिंदु है। बीपी के पूरे वर्ष के परिणामों के अनुसार, लाइन में 310 लाख बैरल, 85,000 बैरल प्रति दिन के बराबर, 2021 में क्रूड ऑयल की ढुलाई की गई थी। लेकिन परियोजना के क्रूड ऑयल के निर्यात का लगभग 90 फीसदी तुर्की के भूमध्यसागरीय तट पर एक निर्यात टर्मिनल तक पहुंचाया जाता है।
अज़रबैजान के क्रूड ऑयल के निर्यात का एक छोटा सा हिस्सा, औसतन लगभग 15 लाख बैरल प्रति माह और ज्यादातर सुप्सा में लोड किया जाता है, यूक्रेन को भेज दिया जाता है। कार्गो या तो ओडेसा में या पिवडेन्नी में फ्री हो जाती है जहां रूस से ड्रूज़बा पाइपलाइन के दक्षिणी चरण से जुड़ने के लिए यूक्रेन में एक पाइपलाइन चलती है।
रोमानिया और बुल्गारिया दोनों अपने काला सागर तटों पर टर्मिनलों के माध्यम से क्रूड ऑयल का आयात करते हैं। काला सागर के पार एक दिन में लगभग दो लाख बैरल पूर्व से पश्चिम की ओर जाते हैं, जबकि अतिरिक्त मात्रा भूमध्यसागर से बोस्फोरस के माध्यम से आयात की जाती है।
नोवोरोस्सिय्स्क से बुल्गारिया में बर्गास में रिफाइनरी के लिए उरल्स क्रूड का नियमित व्यापार होता है, जो साइबेरियाई लाइट और सीपीसी ब्लेंड क्रूड के सामयिक कार्गो भी लेता है। रोमानिया यूराल और साइबेरियन लाइट दोनों की एक स्थिर धारा के साथ-साथ सीपीसी के रुक-रुक कर माल का आयात करता है। कच्चे तेल को या तो मिडिया में तटीय रिफाइनरी में प्रोसेस किया जाता है, या पाइपलाइनों के साथ कॉन्स्टेंटा से अंतर्देशीय प्लांटों में भेज दिया जाता है।
काला सागर के पूर्वी तट पर स्थित टर्मिनलों से भी रिफाइन तेल उत्पादों का निर्यात किया जाता है। वोल्गा नदी पर रिफाइनरियों से एक पाइपलाइन निर्यात के लिए रूसी गैसोइल को नोवोरोस्सिएस्क ले जाती है। वह बंदरगाह ईंधन तेल और नेफ्था के निर्यात को भी संभालता है। आगे दक्षिण में, Tuapse परिष्कृत उत्पादों, जिनमें गैसोइल, ईंधन तेल, नेफ्था, वैक्यूम गैसोइल और समुद्री डीजल तेल के कार्गो शामिल हैं।
रूस आगे उत्तर में कई छोटे तेल-उत्पाद टर्मिनल संचालित करता है, जिसमें तमन और कावकाज़ शामिल हैं, दोनों केर्च जलडमरूमध्य के करीब स्थित हैं जो काला सागर को आज़ोव सागर से जोड़ता है। तमन ईंधन तेल, वैक्यूम गैसोइल और एलपीजी कार्गो के साथ-साथ वनस्पति तेल, अनाज, उर्वरक और सल्फर का प्रबंधन करता है। कावकाज़ से परिष्कृत उत्पादों के छिटपुट शिपमेंट हैं। आज़ोव सागर पर कई छोटे टर्मिनल भी परिष्कृत उत्पादों को भेजते हैं।
जॉर्जिया में, अज़रबैजान के सॉकर के पास कुलेवी में एक टर्मिनल है, जहां से यह डीजल ईंधन और रेल द्वारा वितरित भारी ईंधन तेलों सहित कई परिष्कृत उत्पादों को शिप करता है। परिष्कृत उत्पादों को भी जॉर्जिया में दक्षिण में बटुमी से भेज दिया जाता है। बुल्गारिया और रोमानिया में तटीय रिफाइनरियां भी रिफाइन उत्पादों के छिटपुट शिपर्स हैं।
यूक्रेन और रूस एक साथ वैश्विक गेहूं निर्यात के एक चौथाई से अधिक, मक्का व्यापार का लगभग पांचवां हिस्सा और सूरजमुखी के तेल में बड़ा हिस्सा रखते हैं। आसपास के रोमानिया और बुल्गारिया भी तेजी से प्रमुख फसल शिपर्स बन गए हैं। समृद्ध, उपजाऊ मिट्टी ने यूक्रेन को दूसरा सबसे बड़ा अनाज शिपर बनने में मदद की है। फिर उन उत्पादों को ट्रक, रेल और बजरा द्वारा एशिया, अफ्रीका और यूरोपीय संघ को शिपमेंट के लिए बंदरगाहों पर भेजा जाता है। शोधकर्ता UkrAgroConsult के अनुसार, यूक्रेन के ओडेसा, पिवडेन्नी, मायकोलायिव और चोरनोमोर्स्क के दक्षिण-पश्चिमी बंदरगाह अपने अनाज निर्यात का लगभग 80 फीसदी संभालते हैं।
एक निर्यात संघ के अनुसार, यूक्रेनी बंदरगाह बंद होने और रूसी अनाज सौदों पर विराम के साथ शिपमेंट अब रुक रहा है। 150 से अधिक जहाजों में फंसे आज़ोव सागर से शिपिंग गुरुवार को निलंबित कर दिया गया था। सलाहकार सोवइकॉन का अनुमान है कि दोनों देशों के पास इस सीजन में लगभग 135 लाख टन गेहूं और 160 लाख टन मक्का बचा है। इंडोनेशिया और ट्यूनीशिया जैसे खरीदार पहले से ही उरुग्वे और भारत के साथ-साथ अन्य यूरोपीय देशों के वैकल्पिक सोर्स पर विचार कर रहे हैं।
यूक्रेन का स्टील यूरोप के आयात का दसवां हिस्सा है, इसलिए मिलों या शिपमेंट में कोई भी व्यवधान महाद्वीप के पहले से ही तनावपूर्ण बाजार को मजबूत कर देगा और पिछले साल रिकॉर्ड तक पहुंचने के बाद कीमतों को ऊंचा रखने में मदद करेगा।
यूक्रेन में प्रमुख उत्पादकों में मेटिनवेस्ट बीवी शामिल है, जिसमें पूर्व में देश के औद्योगिक क्षेत्र में सुविधाएं हैं, जिसमें नीपर नदी की साइटें और मारियुपोल में दो प्रमुख संयंत्र शामिल हैं।
यूरोपीय हैवीवेट आर्सेलर मित्तल एसए यूक्रेन की सबसे बड़ी मिल का मालिक है, जो केंद्रीय शहर क्रिवी रिह में है। फैरेक्सपो पीएलसी ऑयरन ओर का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा निर्माता है - इसका उपयोग स्टीलमेकिंग में किया जाता है और इसके सभी संचालन यूक्रेन में होते हैं। सीमलेस पाइप बनाने वाली कंपनी इंटरपाइप का भी पूर्व में एक प्लांट है।
यूनाइटेड कंपनी रुसेल इंटरनेशनल जीजेएससी देश के दक्षिणी तट पर Mykolayiv में एक एल्युमिना प्लांट चलाती है। रुसल की वेबसाइट के अनुसार, यह 1980 में खुला और इसकी क्षमता 17 लाख टन है।
Tuesday March 21,2023
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