विनिपग। एग्रीकल्चर एंड एग्री फूड कनाडा (एएएफसी) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2021-22 में कनोला की सप्लाई 37 फीसदी घटकर 145 लाख टन रहने का अनुमान जताया है। कैरी-इन स्टॉक में 49 फीसदी और उत्पादन में 35 फीसदी की गिरावट से कुल सप्लाई प्रभावित हुई है। कनोला की मांग काफी अच्छी है क्योंकि समूची दुनिया में तेल तिलहन की तंगी है। रुस-यूक्रेन में संघर्ष से भी कनाडा के कनोला की मांग बढ़ी है क्योंकि इन दोनों देशों से सनफ्लावर ऑयल की सप्लाई अटकी है। फसल वर्ष 2022-23 में कनाडा में कनोला का रकबा सात फीसदी घटकर 85 लाख हैक्टेयर रहने का अनुमान है क्योंकि किसान पिछले साल गर्मियों के सूखे की वजह से कम जोखिम वाली फसलों की ओर मुड़ रहे हैं।
कनाडा में फसल वर्ष 2021-22 में 125.95 लाख टन कनोला पैदा होने का अनुमान जताया है। यह उत्पादन वर्ष 2020-21 में 194.85 लाख टन और वर्ष 2022-23 में 179.50 लाख टन रहने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक कनोला की आपूर्ति वर्ष 2021-22 में 144.67 लाख टन रहने की संभावना है। यह वर्ष 2020-21 में 230.44 लाख टन थी जबकि वर्ष 2022-23 में 184.50 लाख टन रहने की संभावना है।
एएएफसी का कहना है कि कनोला का कैरी-आउट स्टॉक वर्ष 2021-22 में चार लाख टन रहने का अनुमान है। जबकि, वर्ष 2020-21 में 17.22 लाख टन और वर्ष 2022-23 में पांच लाख टन रहने की संभावना है।
कनोला का औसत भाव वर्ष 2021-22 के लिए 1100 कनाडाई डॉलर प्रति टन पर यथावत रखा है। यह औसत भाव वर्ष 2020-21 के 730 कनाडाई डॉलर और वर्ष 2022-23 के लिए 100 डॉलर बढ़ाकर 1000 कनाडाई डॉलर प्रति टन आंका गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021-22 में कनोला की बोआई 90.02 लाख हैक्टेयर रहने की संभावना है। यह वर्ष 2020-21 में 83.25 लाख हैक्टेयर और 2022-23 में 83.91 लाख हैक्टेयर रहने का अनुमान है। कनोला का कनाडा से वर्ष 2021-22 में निर्यात घटकर 51.50 लाख टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2020-21 में निर्यात 105.89 लाख टन और वर्ष 2022-23 में 88 लाख टन रहने के आसार हैं।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
मुंबई। मौजूदा 2021-22 सीज़न के दौरान भारत का कैस्टर (अरंडी) उत्पादन अब 16.94 लाख टन होने का अनुमान है। पहले यह अनुमान 17.95 लाख टन था जबकि सीजन 2020-21 में 17.56 लाख टन था।
यह जानकारी सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने अपने संशोधित सर्वे में दी। एसईए का कहना है कि कैस्टर की यील्ड अब घटकर 2088 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर रहने का अनुमान है जो अप्रैल के सर्वे में 2152 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर था। गुजरात में 14.55 लाख टन (पूर्व अनुमान 15.04 लाख टन) कैस्टर पैदा होने की संभावना है। जबकि, राजस्थान में 1.94 लाख टन (1.98 लाख टन) और आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 34,940 टन कैस्टर की उपज होने का अनुमान है। अन्य राज्य दस हजार टन।
मुंबई। भारत का ऑयल मील निर्यात वित्त वर्ष 2022-23 के पहले महीने अप्रैल 2022 में 333972 टन रहा जो अप्रैल 2021 में 303705 टन था। इस तरह इसमें 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। यह बढ़ोतरी रेपसीड मील का निर्यात 229207 टन होने से आई, जबकि पूर्व महीने में यह निर्यात केवल 93984 टन था। यह जानकारी साल्वेंट एक्सट्रैकटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने दी।
साल्वेंट एक्सट्रैकटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के मुताबिक भारत का ऑयल मील निर्यात वित्त वर्ष 2021-22 में मात्रानुसार 36 फीसदी और कीमत की दृष्टि से 37 फीसदी घटा। वित्त वर्ष 2021-22 में सोयामील का कुल निर्यात 2373744 टन रहा जो इससे पहले के वित्त वर्ष में 322850 टन था। यानी 36 फीसदी की गिरावट आई। देश से मार्च 2022 में 242043 टन ऑयल मील का निर्यात हुआ जो मार्च 2021 में 322850 टन था। इस तरह, निर्यात में 25 फीसदी की कमी आई। वित्त वर्ष 2021-22 में कीमत की दृष्टि से यह निर्यात 37 फीसदी घटा। सोयाबीन मील का निर्यात 76 फीसदी और रेपसीड मील का निर्यात 22 फीसदी घटा और निर्यात राशि 5600 करोड़ रुपए रही जो पूर्व वित्त वर्ष में 8866 करोड़ रुपए थी।
वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में सोयाबीन मील का निर्यात सुस्त रहने की संभावना है। भारतीय सोया मील का निर्यात भाव वर्तमान में एक्स कंडला 730 डॉलर है जबकि ब्राजील ओरिजन का भाव 505 डॉलर और अर्जेंटीना ओरिजन का भाव 510 डॉलर प्रति टन है। भारत का रेपसीड मील निर्यात बढ़ने के आसार हैं।
भारत से अप्रैल 2022 में सोयामील का निर्यात 25265 टन, रेपसीड मील का निर्यात 229207 टन, मूंगफली मील का निर्यात - टन, राइसब्रॉन एक्सट्रैक्शन का निर्यात 53742 टन और कैस्टर मील का निर्यात 25758 टन पहुंच गया।
अप्रैल 2022 में दक्षिण कोरिया का आयात 22.77 फीसदी बढ़कर 142208 टन रहा जो अप्रैल 2021 में 115826 टन था। जबकि, वियतनाम का आयात 65.57 फीसदी बढ़कर 38038 टन से 62979 टन पहुंच गया। जबकि, थाईलैंड का आयात 6.16 फीसदी घटकर 44749 टन की तुलना में 41992 टन रहा। ताईवान को यह निर्यात 21.35 फीसदी बढ़कर 10870 टन से 13191 टन पहुंच गया। बांग्लादेश को निर्यात 20.46 फीसदी घटकर 42024 टन के बजाय 33422 टन रहा।
अप्रैल 2022 के दौरान कंडला बंदरगाह से 151128 टन, मुंबई/जेएनपीटी से 18603 टन, मुंद्रा से 71533 टन, कोलकाता से 35194 टन और अन्य से 57514 टन ऑयल मील का शीपमेंट हुआ। देश से जो ऑयल मील का निर्यात हुआ उसका अप्रैल औसत एफओबी भाव इस तरह था : सोयाबीन मील 827 डॉलर प्रति टन (मार्च 2022 में 888 डॉलर), रेपसीड मील 321 डॉलर (326 डॉलर), कैस्टरसीड मील 141 डॉलर (172 डॉलर), राइस ब्रॉन मील - डॉलर (- डॉलर)। एक डॉलर के लिए 76.17 रुपए (76.18 रुपए)।
नई दिल्ली। भारतीय खाद्य तेल व्यापारी देश में सूरजमुखी तेल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रूसी कारोबारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। एडिबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने हाल ही में नई दिल्ली में रूसी व्यापार अधिकारियों से मुलाकात की और खाद्य तेल व्यापार के रोडमैप पर चर्चा की। एडिबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि जल्द ही सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद है।
ठक्कर ने कहा हमने उन्हें भारत के लिए एक कोटा निर्धारित करने और आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कहा है। भारत और रूस के बीच व्यापार रुपया-रूबल में शुरू हो गया है और इससे निर्यात मूल्य तय करने में काफी मदद मिलेगी। ठक्कर ने कहा कि भारतीय व्यापारियों ने रूसी पक्ष से सूरजमुखी के तेल का उचित मूल्य निर्धारण करने का अनुरोध किया है।
भारत की सूरजमुखी तेल की जरूरतें मुख्यतः दो देशों द्वारा पूरी की जाती हैं रूस और यूक्रेन। भारत में लगभग 70 फीसदी सूरजमुखी तेल इन दोनों देशों से आयात किया जाता है। हालांकि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण यूक्रेन से आपूर्ति बंद हो गई है।
इस बीच, खाद्य तेल बाजार में हाल के दिनों में कीमतों में कुछ नरमी देखी गई। बाजार ने सूरजमुखी तेल को छोड़कर सभी खाद्य तेल की कीमतों में लगभग 7-8 फीसदी की गिरावट दर्ज की है। ठक्कर ने कहा कि आने वाले महीनों में कीमतों में और कमी आने की उम्मीद है। साथ ही, इंडोनेशियाई सरकार द्वारा पाम-तेल के निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध उनके लिए प्रतिकूल साबित हो रहा है, क्योंकि देश में सीमित रिफाइनरी और भंडारण सुविधाएं हैं।
इसके अलावा, खाद्य तेल व्यापारियों ने केंद्र सरकार से घरेलू बाजार में मूल्य निर्धारण को आसान बनाने के लिए प्रवेश के बंदरगाहों पर अनलोडिंग प्रक्रिया को आसान बनाने का अनुरोध किया है “बड़ी समस्या बंदरगाहों पर कंटेनर को उतारने के लिए बर्थ प्राप्त करना है। इसमें दो सप्ताह तक का समय लग सकता है और घरेलू बाजार में आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, ”ठक्कर ने कहा।
उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को खाद्य तेल को प्राथमिकता वाला उत्पाद मानना चाहिए ताकि आयातित खेप को उतारने में न्यूनतम समय लगे।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाने के तेलों में तेजी आने से पाम और सोया ऑयल की टैरिफ वैल्यू को इस पखवाड़े के लिए 77 डॉलर प्रति टन तक बढ़ाया है। इस बढ़ोतरी से खाद्य तेलों की आयात लागत बढ़ने की संभावना है।
बेस इंपोर्ट प्राइस डॉलर में प्रति टन
तेल
13 मई
30 अप्रैल
बदलाव
क्रूड पाम ऑयल
1703
1652
51
आरबीडी पाम ऑयल
1765
1714
अन्य पाम तेल
1734
1683
क्रूड पामोलिन
1768
1720
48
आरबीडी पामोलिन
1771
1723
अन्य पामोलिन
1770
1722
क्रूड सोया ऑयल
1827
1750
77
मुंबई। देश में वनस्पति तेलों का आयात तेल वर्ष 2021-22 (नवंबर-अक्टूबर) के पहले छह महीनों नवंबर 2021 से अप्रैल 2022 में चार फीसदी बढ़ा। अप्रैल में वनस्पति तेलों का आयात 911846 टन था जो अप्रैल 2021 में 1053347 टन था। जबकि, अप्रैल 2022 में हुए आयात में खाद्य तेल 900085 टन और अखाद्य तेल 11761 टन था। इस तरह अप्रैल में आयात 13 फीसदी घटा। चालू तेल वर्ष के पहले छह महीनों नवंबर-अप्रैल में वनस्पति तेलों का कुल आयात 6707574 टन रहा जो बीते वर्ष समान महीनों में 6428350 टन था। इस तरह यह आयात चार फीसदी बढ़ा। यह जानकारी साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने दी।
सनफ्लावर ऑयल का आयात नवंबर 2021 से अप्रैल 2022 के दौरान लगभग 11.10 लाख टन रहा जिसमें यूक्रेन से 842956 टन, रुस से 210905 टन और अर्जेंटीना से 56426 टन हुआ। अप्रैल 2022 में सनफ्लावर ऑयल का आयात केवल 54426 टन रहा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंचे भाव और कम उपलब्धता से इसकी सप्लाई घरेलू बाजार में तंग है। इसकी जगह अब पामोलिन, सोयाबीन तेल, मूंगफली तेल और राइस ब्रॉन ऑयल ले रहे हैं।
इंडोनेशिया ने 28 अप्रैल को पाम ऑयल के निर्यात पर रोक लगा दी जिससे समूचे विश्व के सामने दिक्कत खड़ी हो गई है। भारत इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड आदि से हर महीने छह से साढे छह लाख टन तेल आयात करता है। इस सप्लाई में इंडोनेशिया का योगदान तीन लाख टन रहता है जिसके तहत 80 फीसदी आरबीडी पामोलिन आता है। मलेशिया से भी इतनी ही मात्रा आयात होती है जबकि थाईलैंड एवं अन्य देशों से आयात का दस फीसदी हिस्सा मंगाया जाता है। उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक इंडोनेशिया निर्यात पर से रोक हटा लेगा।
एसईए का कहना है कि देश के विभिन्न बंदरगाहों पर खाद्य तेलों का स्टॉक 1 मई 2022 को 4.16 लाख टन (सीपीओ 1.15 लाख टन, आरबीडी पामोलिन 1.20 लाख टन, डिगम्ड सोयाबीन ऑयल 1.01 लाख टन, क्रूड सनफ्लावर ऑयल 80 हजार टन था जबकि पाइप लाइन में 18.20 लाख टन तेल है। इस तरह कुल स्टॉक 22.36 लाख टन है। यह स्टॉक 1 मई 2021 से 3.46 लाख टन था अधिक है। जबकि 1 अप्रैल 2022 को यह स्टॉक 18.90 लाख टन था।
नवंबर 2021 से अप्रैल 2022 के दौरान देश में पाम ऑयल का आयात 3792354 टन के बजाय 3225761 टन रहा। अप्रैल 2022 में यह आयात 572508 टन रहा। अप्रैल 2022 में सोयाबीन ऑयल का आयात 273151 टन और सनफ्लावर ऑयल का आयात 54426 टन रहा।
अप्रैल 2022 में रिफाइंड ऑयल एवं क्रूड ऑयल का आयात रेश्यो 17:83 रहा जो मार्च 2022 में 24:76 था। जबकि, अप्रैल 2022 में रिफाइंड ऑयल एवं क्रूड ऑयल का आयात रेश्यो 64:36 रहा जो मार्च 2022 में 51:49 था। अप्रैल में आयातित तेलों का औसत भाव डॉलर प्रति टन सीआईएफ इस तरह रहा : आरबीडी पामोलिन 1748 डॉलर, क्रूड पाम ऑयल 1791 डॉलर, क्रूड सोयाबीन ऑयल 1909 डॉलर, क्रूड सनफ्लावर ऑयल 2125 डॉलर, क्रूड रेपसीड ऑयल - डॉलर (प्रति डॉलर 76.17 रुपए)।
वाशिंग्टन। अमरीकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने वर्ष 2022-23 के लिए जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में कुल तिलहन उत्पादन 421.85 लाख टन रहने का अनुमान जताया है, जबकि वर्ष 2021-22 में यह अनुमान 413.26 लाख टन रहा। वर्ष 2020-21 में तिलहन उत्पादन 383.23 लाख टन रहा। वर्ष 2022-23 में तिलहन उत्पादन में यह बढ़ोतरी कॉटन सीड, मूंगफली, रेपसीड और सनफ्लावर का उत्पादन बढ़ने से होगी। जबकि, सोयाबीन का उत्पादन घटने के आसार हैं।
यूएसडीए रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2022-23 में कॉटन सीड का उत्पादन 116.75 लाख टन रहने का अनुमान है। मूंगफली की उपज 70 लाख टन, रेपसीड का उत्पादन 110 लाख टन, सोयाबीन की पैदावार 115 लाख टन, सनफ्लावर की पैदावार 1.95 लाख टन एवं अन्य तिलहन की उपज 8.15 लाख टन रहने का अनुमान है।
यूएसडीए रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2021-22 में कॉटन सीड का उत्पादन 108.26 लाख टन रहने का अनुमान है। मूंगफली की उपज 68 लाख टन, रेपसीड का उत्पादन 108 लाख टन, सोयाबीन की पैदावार 119 लाख टन, सनफ्लावर की पैदावार 1.90 लाख टन एवं अन्य तिलहन की उपज 8.10 लाख टन रहने का अनुमान है।
यूएसडीए रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वर्ष 2022-23 कॉटन सीड ऑयल की घरेलू खपत 13.55 लाख टन, पाम ऑयल की घरेलू खपत 81 लाख टन, रेपसीड 38 लाख टन, सोया तेल 54.75 लाख टन, मूंगफली तेल की खपत 11.60 लाख टन, सनफ्लावर ऑयल की खपत 18.60 लाख टन एवं अन्य तेलों की खपत 3.05 लाख टन रहने की संभावना है।
यूएसडीए रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वर्ष 2021-22 में कॉटन सीड ऑयल की घरेलू खपत 13.05 लाख टन, पाम ऑयल की घरेलू खपत 80 लाख टन, रेपसीड 36 लाख टन, सोया तेल 55 लाख टन, मूंगफली तेल की खपत 11.40 लाख टन, सनफ्लावर ऑयल की खपत 20 लाख टन एवं अन्य तेलों की खपत 3.03 लाख टन रहने की संभावना है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वर्ष 2022-23 में पाम तेल का आयात 81 लाख टन आंका है। यह वर्ष 2021-22 के लिए 78 लाख टन आंका गया। इसी तरह भारत में सोयाबीन ऑयल का आयात वर्ष 2022-23 में 36.50 लाख टन और सनफ्लावर ऑयल का आयात 18 लाख टन एवं रेपसीड ऑयल का आयात 25 हजार टन रह सकता है। वर्ष 2021-22 में सोयाबीन ऑयल का आयात 37 लाख टन रह सकता है। रेपसीड ऑयल का आयात 40 हजार टन, सनफ्लावर ऑयल का आयात 19 लाख टन रहने की संभावना है।
वाशिंग्टन। अमरीकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने वैश्विक तिलहन उत्पादन वर्ष 2022-23 में 8 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान जताया है। दक्षिण अमरीका और अमरीका में सोयाबीन, कनाडा और यूरोपीयन संघ में रेपसीड का उत्पादन यूक्रेन और रूस में सनफ्लावर सीड उत्पादन के नुकसान की भरपाई से कहीं अधिक होने का अनुमान है। सोयाबीन उत्पादन 13 फीसदी बढ़ने के अनुमान के साथ वैश्विक तिलहन उत्पादन 64.70 करोड टन तक पहुंचने का अनुमान है।
वर्ष 2022-23 में वैश्विक तिलहन खपत 3 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है जिसमें चीन की सोयाबीन मांग मुख्य होगी। सनफ्लावर सीड की खपत में तीन फीसदी की कमी जबकि रेपसीड की खपत में सात फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है। वैश्विक तिलहन व्यापार में मुख्य रूप से सोयाबीन, रेपसीड, सूरजमुखी और मूंगफली के बढ़ने की उम्मीद है, जबकि कॉटन सीड का निर्यात कम रहने का अनुमान है। दक्षिण अमरीका और अमरीका में सोयाबीन उत्पादन और स्टॉक बढ़ने से वैश्विक अंतिम स्टॉक बढ़ने का अनुमान है
यूएसडीए ने वर्ष 2021-22 के लिए इस महीने अर्जेंटीना में सोयाबीन, भारत और उजेबिकस्तान में कॉटन सीड और नाइजरिया एवं सूडान में मूंगफली का उत्पादन घटने से दुनिया में तिलहन का उत्पादन घटने का अनुमान जताया है। यूएसडीए ने सोयाबीन का औसत दाम वर्ष 2021-22 के लिए 13.25 डॉलर प्रति बुशेल पर कायम रखा है।
यूएसडीए ने वर्ष 2022-23 में समूची दुनिया में सोयाबीन का उत्पादन 39.46 करोड़ टन, वर्ष 2021-22 में 34.93 करोड़ टन रहने का अनुमान जताया है। जबकि वर्ष 2020-21 में समूची दुनिया में सोयाबीन का उत्पादन अनुमान 36.781 करोड़ टन था। वर्ष 2022-23 में अमरीका में सोयाबीन उत्पादन अनुमान 12.62 करोड़ टन आंका है जो वर्ष 2021-22 में 12.07 करोड़ टन रहा। वर्ष 2020-21 में यह 11.47 करोड़ टन था। ब्राजील में वर्ष 2022-23 में सोयाबीन उत्पादन 14.90 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2021-22 में 12.50 करोड़ टन रहा। जबकि, वर्ष 2020-21 में यह 13.95 करोड़ टन था।े
अर्जेंटीना में सोयाबीन का उत्पादन वर्ष 2022-23 में सोयाबीन उत्पादन 5.10 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2021-22 में 4.20 करोड़ टन रहा। जबकि, वर्ष 2020-21 में यह 4.62 करोड़ टन था। चीन में सोयाबीन का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 1.75 करोड़ टन और वर्ष 2021-22 में 1.64 करोड़ टन रहने का अनुमान है। चीन में वर्ष 2020-21 में सोयाबीन का उत्पादन 1.96 करोड़ टन रहा। यूएसडीए का कहना है कि वर्ष 2022-23 में चीन का सोयाबीन आयात 9.90 करोड़ टन रहने की संभावना है। यह आयात वर्ष 2021-22 में 9.20 करोड़ टन रहने के आसार हैं।
यूएसडीए ने अपनी रिपोर्ट में वर्ष 2022-23 में ब्राजील का सोयाबीन निर्यात वर्ष 2021-22 के 8.27 करोड़ टन की तुलना में 8.85 करोड़ टन रहने का अनुमान जताया है। अमरीका का सोयाबीन निर्यात अनुमान वर्ष 2022-23 में 5.98 करोड़ टन रहने के आसार है जबकि वर्ष 2021-22 में यह 5.82 करोड़ टन रहने की संभावना है। अर्जेंटीना का 2022-23 में सोयाबीन निर्यात 47 लाख टन रहने की संभावना है। यह वर्ष 2021-22 में 27.50 लाख टन रहने का अनुमान है। पेरुग्वे का 2022-23 में सोयाबीन निर्यात 65 लाख टन रहने की संभावना है। यह वर्ष 2021-22 में 29 लाख टन रहा।
अमरीकी कृषि विभाग के मुताबिक भारत में वर्ष 2022-23 में सोयाबीन का उत्पादन 115 लाख टन रहने का अनुमान जताया है। यह उत्पादन वर्ष 2021-22 में 119 लाख टन और वर्ष 2020-21 में भी 104.50 लाख टन रहा। भारत में वर्ष 2022-23 में 102 लाख टन सोयाबीन क्रश होने का अनुमान है जो वर्ष 2021-22 में भी 102 लाख टन रहने के आसार हैं। जबकि, वर्ष 2020-21 में यह 95 लाख टन रहा।
समूची दुनिया में वर्ष 2022-23 में सोयाबीन का अंतिम स्टॉक 9.95 करोड़ टन रहने का अनुमान है। जबकि, वर्ष 2021-22 में बढ़कर 8.52 करोड़ टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2020-21 में दुनिया में सोयाबीन का अंतिम स्टॉक 9.99 करोड़ टन रहा। (मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
जयपुर। देश में सरसों की क्रशिंग अप्रैल में 15 लाख टन रही। देश में अप्रैल महीने में सरसों की आवक 18 लाख टन रही। देश में 30 अप्रैल 2022 को किसानों के पास सरसों का कुल स्टॉक 67.75 लाख टन था। जबकि, प्रोसेसर्स और स्टॉकिस्टों के पास सरसों का स्टॉक 9.25 लाख टन था। यह जानकारी मरुधर ट्रेडिंग कंपनी, जयपुर के प्रमुख अनिल चतर ने दी।
उन्होंने बताया कि अप्रैल में सरसों की आवक 18 लाख टन और मार्च में 22.25 लाख टन रही। अप्रैल में हुई आवक में उत्तर प्रदेश में 2.65 लाख टन, राजस्थान में नौ लाख टन, पंजाब/हरियाणा 1.65 लाख टन, गुजरात 0.85 लाख टन, मध्य प्रदेश 1.95 लाख टन, पश्चिम बंगाल, बिहार एवं अन्य राज्यों में 1.90 लाख टन सरसों की आवक हुई। चालू सीजन में सरसों की कुल उपलब्धता 111 लाख टन की है।
बता दें कि सरसों की बोआई सितंबर-अक्टूबर में शुरु होती है एवं नई सरसों की आवक फरवरी से शुरु हो जाती है। मार्च से इसकी आवक में तेजी आती है लेकिन जून से ऑफ सीजन शुरु हो जाने से इसकी आवक सुस्त पड़ जाती है। देश में कुल पैदा होने वाली तिलहन में सरसों की हिस्सेदारी 25 फीसदी होती है। फसल वर्ष 2022-23 में उत्तर प्रदेश में 15 लाख टन, राजस्थान में 51 लाख टन, पंजाब/हरियाणा में 11.50 लाख टन, गुजरात में 6.50 लाख टन, मध्य प्रदेश में 12.50 लाख टन और पश्चिम बंगाल, पूर्वी भारत एवं अन्य राज्यों में 14.50 लाख टन सरसों पैदा होने का अनुमान रहा।
इंदौर। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के मुताबिक तेल वर्ष 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) में अप्रैल 2022 में 40 हजार टन सोयामील का निर्यात हुआ। यह निर्यात अप्रैल 2021 में 1.15 लाख टन था। इस तरह, सोयामील के निर्यात में 65.21 फीसदी की गिरावट आई। दूसरी ओर, तेल वर्ष 2021-22 में अब तक कुल निर्यात 4.12 लाख टन रहा। यह निर्यात पिछले तेल वर्ष के समान समय में 17.46 लाख टन था।
सोपा का कहना है कि अप्रैल अंत में प्रोसेसरों के पास सोया मील का स्टॉक 1.26 लाख टन था। चालू तेल वर्ष की शुरुआत में देश में सोयामील का शुरुआती स्टॉक 2.41 लाख टन था जबकि, अप्रैल में 4.39 लाख टन, मार्च, फरवरी और जनवरी 2022 हरेक महीने में 5.19 लाख टन, दिसंबर 2021 में 6.39 लाख टन, नवंबर में 5.59 लाख टन और अक्टूबर में 4.79 लाख टन सोयामील का उत्पादन हुआ। देश में अप्रैल में 4.60 लाख टन, मार्च में 5.10 लाख टन, फरवरी में 4.75 लाख टन सोया मील घरेलू खपत में गई है। इस तरह सोयामील का स्टॉक 1 मई 2022 को 1.26 लाख टन बचा।
देश की मंडियों में अप्रैल 2022 में सोयाबीन की कुल आवक पांच लाख टन रही जो पिछले साल समान महीने में 2.75 लाख टन थी। अप्रैल 2022 में सोयाबीन की क्रशिंग 5.50 लाख टन रही जो अप्रैल 2021 में 6.50 लाख टन थी। मार्च 2022 में यह आवक 6 लाख टन रही। अप्रैल में सीधे खपत में 30 हजार टन सोयाबीन गई एवं निर्यात 5 हजार टन का हुआ। इस तरह किसानों, प्लांटो और कारोबारियों के पास सोयाबीन का स्टॉक 1 मई 2022 को 62 लाख टन रहने का अनुमान है।
सोपा के मुताबिक 1 अक्टूबर 2021 से शुरु हुए नए मार्केटिंग वर्ष में सोयाबीन का ओपनिंग स्टॉक 1.83 लाख टन था जबकि उत्पादन 118.89 लाख टन हुआ। 3.50 लाख टन सोयाबीन का आयात हुआ। इस तरह कुल उपलब्धता 124.22 लाख टन की है। किसानों द्धारा बोआई के लिए 13 लाख टन सोयाबीन रखने के बाद सीधे खपत, क्रशिंग और निर्यात के लिए 91.50 लाख टन उपलब्ध है। जबकि, कैरी फारवर्ड 19.72 लाख टन रहने का अनुमान है।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
Tuesday May 24,2022
विनिपग। एग्रीकल्चर एंड एग्री फूड कनाडा (एएएफसी) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में क विनिपग। एग्रीकल्चर एंड एग्री फूड कनाडा (एएएफसी) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में क . . . . .
मोलतोल.इन साइट को अपने मोबाइल पर खोलने के लिए आप इस QR कोड को स्कैन कर सकते है..
www.moltol.in © 2016