मुंबई। यूरोप के कई देशों में लॉकडाउन से कैस्टर ऑयल का निर्यात प्रभावित होने की आशंका है। भारत से होने वाले कैस्टर ऑयल के कुल निर्यात में 30-35 फीसदी भागीदारी यूरोप की होती है जबकि चीन की हिस्सेदारी 40 फीसदी रहती है। निर्यातकों को यह भी आशंका है कि अब तक चीन ने खासा कैस्टर ऑयल खरीद लिया है जिसकी वजह से आने वाले समय में उसकी इंवैंट्री कम नहीं हुई तो खरीद घट सकती है।
कैस्टर ऑयल निर्यातकों का कहना है कि यूरोप के अनेक देशों में लॉकडाउन है, कुछ जगह कर्फ्यू है जिसकी वजह से रेस्टोरेंटस/होटल/मॉल के साथ लुब्रिकेंटस, ऑटोमोबाइल, पेंटस, कॉस्मेटिक्स आदि की मांग घटी है। औद्योगिक गतिविधियां भी सुस्त है। ऐसे में खाने एवं मेडिसन में काम आने वाले कैस्टर ऑयल की खपत घटी है। भारतीय कैस्टर ऑयल के लिए यूरोप बड़ा बाजार है।
दूसरी ओर, चीन ने अब तक कैस्टर ऑयल की जमकर खरीद की है लेकिन लूनार न्यू ईयर अवकाश की वजह से उसकी खरीद इस समय सुस्त है। लूनार न्यू ईयर अवकाश के बाद चीन के बाजार 12 फरवरी के बाद खुलेंगे। इसके बाद चीन का रुख कैसा रहता है, यह अहम होगा। यदि चीन की इंवैंट्री खत्म हो गई तो कैस्टर ऑयल के नए ऑर्डर मिल सकते हैं अन्यथा चीन की खरीद सुस्त रहेगी एवं उसकी नजर भारतीय कैस्टर के उत्पादन पर रहेगी।
यद्यपि, चीन एवं यूरोपीयन देशों को यह पता है कि इस साल भारत में कैस्टर की उपज कमजोर है। कारोबारी अनुमान के मुताबिक देश में नए सीजन में कैस्टर का उत्पादन 14 लाख टन एवं कैरी ओवर स्टॉक चार लाख टन रहने की उम्मीद है। इस तरह, नए सीजन में कुल उपलब्धता 18 लाख टन के करीब रहेगी जो उम्मीद से कम है। कारोबारियों का कहना है कि इस बैलेंसशीट को देखते हुए कैस्टर का भाव 4000 रुपए प्रति क्विंटल से नीचे जाने की संभावना नजर नहीं आती। कैस्टर 4000 रुपए प्रति क्विंटल आता है तो मिलर्स निश्चित रुप से आक्रामक खरीद करेंगे क्योंकि यह भाव काफी आकर्षक है।
बता दें कि भारत का कैस्टर ऑयल निर्यात कैलेंडर वर्ष 2020 में वर्ष 2019 की तुलना में 27.5 फीसदी बढ़ा है। वर्ष 2020 के दौरान देश से कैस्टर ऑयल का कुल निर्यात 695408 टन हुआ। जबकि, वर्ष 2019 में यह निर्यात 545311 टन था।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
मुंबई। गुजरात सरकार द्धारा अगले महीने के मध्य से पुरानी मूंगफली की बिकवाली शुरु करने एवं चीन की लूनार न्यू ईयर अवकाश की वजह से पड़ी सुस्त मांग से अब मूंगफली दाने के भावों में गिरावट की आशंका है। मूंगफली दाने के भाव बीते अक्टूबर से अब तक तकरीबन 25 फीसदी बढ़ चुके हैं जिसके बाद ऊंचे स्तर पर घरेलू ग्राहकी भी बेहद कमजोर पड़ गई है।
गुजरात सरकार ने राज्य में अब मूंगफली की खरीद बंद कर दी है और 15 फरवरी से वर्ष 2019 की पुरानी मूंगफली बेचने की घोषणा की है। नाफैड के पास वर्ष 2019 की तकरीबन 90 हजार टन यानी 30 लाख बोरी (प्रति बोरी 30 किलोग्राम) मूंगफली रखी है। इस मूंगफली की बिक्री ऑन लाइन ऑक्शन के माध्यम से होगी जबकि नई मूंगफली की बिकवाली अप्रैल महीने से शुरु होने की संभावना है। गुजरात सरकार ने नए सीजन में अब तक 2.03 लाख टन यानी 68 लाख बोरी मूंगफली खरीदी है।
डीएसएन एग्रीब्रोकर्स, राजकोट के नीरज अढिया का कहना है कि आने वाले दिनों में मूंगफली दाने के भावों में कुछ नरमी आ सकती है। इसकी वजह, ग्रीष्मकालीन मूंगफली फसल के लिए बीज की बिक्री जबरदस्त हुई है जिससे यह फसल बेहतर आ सकती है। दूसरा, नाफैड की मूंगफली की बिकवाली का बाजार पर दबाव बनेगा। वे कहते हैं कि सीजन की शुरुआत में मूंगफली दाने का औसत भाव 70 रुपए प्रति किलोग्राम था, जो 90 रुपए प्रति किलोग्राम पहुंच गए हैं। इस तरह, भावों में 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जिससे इस भारी बढ़ोतरी के बाद भाव स्थिरता से नरमी की ओर नजर आ सकते हैं। चीन सहित अनेक देशों की भारतीय मूंगफली में मांग का ही नतीजा है कि अक्टूबर से जनवरी के दौरान मूंगफली दाने के भाव 25 फीसदी बढ़े। इतने कम समय में हुई इस भारी बढ़ोतरी के बाद बाजार में अब भाव नीचे आने का भय भी दिख रहा है।
उन्होंने बताया कि चीन में नए वर्ष की छुट्टियां फरवरी की शुरुआत से 12 फरवरी तक रहेगी जिसकी वजह से चीन के लिए भारतीय मूंगफली दाने का शीपमेंट नहीं है। चीन की इस अवकाश के बाद कैसी मांग निकलती है, पर बाजार की अगली दिशा तय होगी। घरेलू बाजार में भी ग्राहकी कमजोर है क्योंकि अभी भी कई राज्यों और शहरों में लॉकडाउन के हालात सामान्य नहीं हुए हैं, कई शहरों में कर्फ्यू जारी रहने से कारोबार कमजोर है।
बता दें कि भारतीय मूंगफली दाना जावा-टीजे में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस आदि देशों की मांग अच्छी रहती है लेकिन कोरोना की दूसरी लहर से कई देशों में लॉकडॉउन हुआ है। मलेशिया में पूरी तरह लॉकडॉउन है जबकि यूरोप के अनेक देशों के भी हालात अच्छे नहीं है जिसकी वजह से मूंगफली दाने का निर्यात प्रभावित हुआ है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक सहित दक्षिण राज्यों में नई मूंगफली की आवक शुरु हो गई है जिसका भी बाजार पर दबाव दिखाई देगा।
निर्यात के लिए मूंगफली दाना एचपीएस जावा काउंट 80-90 का भाव 87 रुपए, जावा 50-60 काउंट का भाव 102 रुपए, बोल्ड टीजे 50-60 काउंट का भाव 88 रुपए, बोल्ड टीजे 50-60 काउंट का भाव 90 रुपए और बोल्ड 40-50 काउंट 97 रुपए प्रति किलोग्राम बोला जा रहा है।
राजकोट। दक्षिण कोरिया का 12 हजार टन का तिल टेंडर 25 जनवरी को खुलेगा एवं इसमें भारत को कम से कम 50-60 फीसदी हिस्सा मिलता है तो सफेद तिल के दामों को अच्छा सपोर्ट मिलेगा। इसके अलावा, आने वाले समय में आयातक देशों की मांग आती है तो तिल के दाम आसानी से प्रति किलोग्राम 4-5 रुपए बढ़ सकते हैं। यह बात डीएसएन एग्रीब्रोकर्स, राजकोट के प्रतीक अढिया ने कही।
अढिया के मुताबिक राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में इस साल उपजा 80-90 फीसदी तिल बाजार में आ चुका है एवं वहां अब काफी कम तिल बचा है। जबकि, गुजरात में भी नई उपज 15 मई के बाद आएगी। इसका मतलब यह है कि अब चार महीने का समय देश में जो स्टॉक है, उससे ही निकालना है। उन्होंने कहा कि इस समय चीन भारत से तिल की खरीद नहीं कर रहा है क्योंकि उसके पास इसका पर्याप्त स्टॉक है एवं वह कुछ खरीद अफ्रीकन देशों से कर रहा है। लेकिन, दक्षिण कोरिया के टेंडरों को देखते हुए यह साफ है कि वहां तिल की कमी है जिससे आने वाले दिनों में भी उसकी खरीद जारी रहने की संभावना है।
दक्षिण कोरिया का टेंडर 25 जनवरी को खुलेगा। इस टेंडर में भारत को 50-60 फीसदी यानी 5000-6000 टन तिल सप्लाई का ऑर्डर मिलने की पूरी संभावना है। यदि इतनी या इससे ज्यादा मात्रा का टेंडर भारत के पक्ष में आता है तो तिल के दामों में सुधार निश्चित रुप से होगा। इस बीच, अन्य आयातक देशों से ऑर्डर आते हैं तो तिल के भाव प्रति किलोग्राम 4-5 रुपए आसानी से बढ़ सकते हैं। अढिया का कहना है कि इस साल रमजान अप्रैल में है जबकि गुजरात में तिल की नई फसल मई में आएगी। ऐसे में खाड़ी देशों, यूक्रेन आदि की मांग आने पर तिल के दामों को और मजबूती मिल सकती है। हालांकि, मकर संक्रांति पर्व बीत जाने से घरेलू बाजार की तिल में मांग सुस्त पड़ गई है।
बता दें कि इंडियन ऑयलसीडस एंड प्रोडयूस एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (आईओपीईपीसी) ने देश में खरीफ फसल वर्ष 2020-21 में तिल का कुल उत्पादन 439075 टन होने का अनुमान जारी किया था जो खरीफ फसल वर्ष 2019-20 में 396857 टन था। इस तरह कुल उत्पादन में 10.63 फीसदी का इजाफा होने का अनुमान है। देश में तिल का उत्पादन वर्ष 2018-19 में 177936 टन था। खरीफ सीजन 2020-21 में तिल की कुल बोआई 1401200 हैक्टेयर में हुई जो पिछले साल 1371700 हैक्टेयर में थी एवं वर्ष 2018 में यह 1324256 हैक्टेयर में थी।
राजस्थान में खरीफ सीजन वर्ष 2020-21 में तिल की कुल बोआई 270191 हैक्टेयर की तुलना में 284900 हैक्टेयर में हुई एवं उत्पादन 85275 टन की तुलना में 92308 टन होने का अनुमान था। गुजरात में इस साल खरीफ सीजन में तिल की कुल बोआई 149100 हैक्टेयर (116200 हैक्टेयर) में हुई एवं उत्पादन 65733 टन की तुलना में 45774 टन रहने की संभावना जताई गई।
उत्तर प्रदेश में खरीफ सीजन 2020-21 में तिल की कुल बोआई 417435 हैक्टेयर की तुलना में घटकर 393000 हैक्टेयर में हुई एवं उत्पादन पिछले साल के 100034 टन से घटकर 72312 टन रहने की संभावना जताई गई। मध्य प्रदेश में तिल की कुल बोआई 314300 हैक्टेयर से बढ़कर 335000 हैक्टेयर रहने की संभावना एवं उत्पादन 82321 टन के बजाय 162475 टन रहने के आसार जताए गए। हैं। जबकि, अन्य राज्यों में इस साल तिल की कुल बोआई 136900 हैक्टेयर में हुई जो पिछले साल 253574 हैक्टेयर में थी एवं उत्पादन 63497 टन से गिरकर 39916 टन रहने की संभावना थी।
बता दें कि भारत सरकार ने खरीफ फसल वर्ष 2020-21 के पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान में देश में तिल का कुल उत्पादन 7.49 लाख टन होने का अनुमान जताया है। यह अनुमान खरीफ फसल वर्ष 2019-20 के चौथे अग्रिम अनुमान में 7.50 लाख टन था। देश में खरीफ सीजन वर्ष 2018-19 में 6.89 लाख टन तिल का उत्पादन हुआ।
(मोलतोल ब्यूरो ; +91-75974 64665)
मुंबई। कैस्टर एनसीडीईएक्स फरवरी वायदा ने दैनिक बंद आधार पर अपने 4440 रुपए के मुख्य सपोर्ट लेवल को तोड़ दिया है एवं यह 4390 रुपए पर कारोबार कर रहा है। तकनीकी चार्ट पर इसमें दैनिक, साप्ताहिक और मासिक आधार पर कमजोरी दिख रही है। यह वायदा 4440 रुपए के नीचे कारोबार करता है तो शार्ट टर्म में 4320-4280 रुपए आ सकता है। साप्ताहिक बंद आधार पर यह 4440 रुपए के ऊपर उठने पर ही इसमें रुख बदल सकता है।
पृथ्वी फिनमार्ट, मुंबई के कमोडिटी हैड डाइरेक्टर मनोज कुमार जैन का कहना है कि कारोबारियों को कैस्टर फरवरी वायदा में शार्ट पोजीशन बनाए रखनी चाहिए एवं लक्ष्य 4320-4280 रुपए रहेगा। सोमवार को अपने निचले स्तर से ऊपर उठता दिखा। यह वायदा पिछले एक सप्ताह से कमजोरी दिखा रहा है एवं अपने उच्च स्तर 6200 रुपए से पिछले सप्ताह 5481 रुपए के निचले स्तर पर पहुंच गया था। सोमवार को यह वायदा दो फीसदी से अधिक बढ़कर अपने रेजिस्टेंस स्तर 5680 रुपए के करीब बंद हुआ।
मुंबई। भारत का ऑयल मील निर्यात चालू वित्त वर्ष के दिसंबर 2020 महीने में दिसंबर 2019 की तुलना में दोगुना पहुंच गया। देश से दिसंबर 2020 में 512997 टन ऑयल मील का निर्यात हुआ जो दिसंबर 2019 में 220404 टन था। इस तरह इसमें दोगुने से अधिक 133 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। देश से अप्रैल से दिसंबर 2020 के दौरान यह निर्यात 20 फीसदी बढ़ा एवं 2461696 टन पहुंच गया जो अप्रैल से दिसंबर 2019 के दौरान 1955276 टन था। यह जानकारी साल्वेंट एक्सट्रैकटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने दी।
एसईए के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 के पिछले नौ महीनों में वैश्विक बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद भारतीय सोयामील, रेपसीड मील और अन्य ऑयल मील का निर्यात प्रदर्शन अच्छा रहा। सोयाबीन मील का निर्यात दिसंबर 2020 में 251221 टन और रेपसीड मील का निर्यात 141866 टन पहुंच गया। जबकि, अप्रैल से दिसंबर 2020 के दौरान सोया मील का कुल निर्यात 888202 टन और रेपसीड मील का निर्यात 916715 टन पहुंच गया जबकि पिछले साल समान समय में यह निर्यात क्रमश: 569349 टन और 741199 टन था। राइसब्रान एक्सट्रैक्शन का निर्यात अप्रैल से दिसंबर 2020 के दौरान पिछली समान अवधि के 164208 टन से 339271 टन पहुंच गया। कैस्टर मील का निर्यात 479823 टन से घटकर 316496 टन रहा जबकि, मूंगफली मील का निर्यात 697 टन के बजाय 1012 टन रहा।
चालू वित्त वर्ष में दिसंबर 2020 में सोयाबीन मील का निर्यात 251221 टन रहा। रेपसीड मील का निर्यात 141866 टन पहुंच गया। राइस ब्रॉन मील का निर्यात 59470 टन और कैस्टर मील का निर्यात 60440 टन रहा।
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में दक्षिण कोरिया का आयात 6.38 फीसदी घटकर 727194 टन की तुलना में 680791 टन रहा जबकि, वियतनाम का आयात 34.63 फीसदी बढ़कर 242622 टन से 326630 टन पहुंच गया। जबकि, थाईलैंड का आयात अप्रैल-दिसंबर में 28.37 फीसदी घटकर 132737 टन रहा जो अप्रैल-दिसंबर 2019 में 185327 टन था। अमरीका को निर्यात 17.54 फीसदी उछलकर 150191 टन से 176528 टन पहुंच गया। दूसरी ओर, ताईवान को यह निर्यात 5.20 फीसदी बढ़कर 98288 टन से 103398 टन पहुंच गया। बांग्लादेश को निर्यात 34552 टन से 340771 टन पहुंच गया।
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों अप्रैल-दिसंबर के दौरान कंडला बंदरगाह से 673192 टन, मुंबई/जेएनपीटी से 281274 टन, मुंद्रा से 639088 टन, कोलकाता से 203935 टन और अन्य से 664207 टन ऑयल मील का शीपमेंट हुआ। देश से जो ऑयल मील का निर्यात हुआ उसका दिसंबर में औसत एफओबी भाव इस तरह था : सोयाबीन मील 492 डॉलर प्रति टन (नवंबर 2020 में 495 डॉलर), रेपसीड मील 295 डॉलर (294 डॉलर), कैस्टरसीड मील 72 डॉलर (80 डॉलर), राइस ब्रॉन मील 181 डॉलर (174 डॉलर)। एक डॉलर के लिए 73.62 रुपए (74.23 रुपए)।
मुंबई। सरसों एनसीडीईएक्स फरवरी वायदा सोमवार को अपने निचले स्तर से ऊपर उठता दिखा। यह वायदा पिछले एक सप्ताह से कमजोरी दिखा रहा है एवं अपने उच्च स्तर 6200 रुपए से पिछले सप्ताह 5481 रुपए के निचले स्तर पर पहुंच गया था। सोमवार को यह वायदा दो फीसदी से अधिक बढ़कर अपने रेजिस्टेंस स्तर 5680 रुपए के करीब बंद हुआ।
पृथ्वी फिनमार्ट, मुंबई के कमोडिटी हैड डाइरेक्टर मनोज कुमार जैन का कहना है कि यदि यह वायदा 5680 रुपए के ऊपर रहता है तो यह 5770-5840 रुपए के लेवल को फिर से टेस्ट करेगा। सरसों वायदा को लंबी अवधि के लिए 5400 रुपए पर सपोर्ट है एवं इसके नीचे जाने पर ही इसमें और कमजोरी देखने को मिलेगी। अन्यथा यह वायदा अपने निचले स्तर पर लगातार सपोर्ट पाता रहेगा। सरसों वायदा में शार्ट सेल केवल 5400 रुपए दैनिक बंद आधार के नीचे आने पर ही करें अन्यथा 5400 रुपए का लेवल खरीद का मौका समझें।
अहमदाबाद। कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में बीते कारोबारी सप्ताह के दौरान कैस्टर फरवरी वायदा सोमवार के खुले भाव से 10 अंक की गिरावट के साथ 4470 रुपए पर बंद हुआ। जबकि कैस्टर वायदा ने पिछले सप्ताह 4510 का ऊपरी एवं 4452 रुपए का निचला स्तर टेस्ट किया।
तकनीकी विश्लेषक कमलेश शाह का कहना है कि कैस्टर के लिए इस सप्ताह 4502 और इसके ऊपर 4536 के ऊपरी स्तर महत्वपूर्ण रेजिस्टेंस होंगे जबकि, 4444 और 4420 अहम सपोर्ट होंगे।
अहमदाबाद। कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में बीते कारोबारी सप्ताह में सरसों फरवरी वायदा साप्ताहिक खुले भाव से 580 अंक की गिरावट के साथ 5540 रुपए पर बंद हुआ। सरसों वायदा ने पिछले सप्ताह 6126 रुपए का ऊपरी एवं 5481 रुपए का निचला स्तर टेस्ट किया।
तकनीकी विश्लेषक कमलेश शाह का कहना है कि सरसों वायदा के लिए इस सप्ताह 5950 और 6360 रेजिस्टेंस हैं जबकि, 5305 और 5070 अहम सपोर्ट का काम करेंगे।
मुंबई। रिफाइंड सोया ऑयल एनसीडीईएक्स फरवरी वायदा दूसरे सप्ताह लगातार घटा है। यह 1222 रुपए प्रति दस किलोग्राम की ऊंचाई से गिरकर पिछले सप्ताह 1119.30 रुपए आ गया।
पृथ्वी फिनमार्ट, मुंबई के कमोडिटी हैड डाइरेक्टर मनोज कुमार जैन का कहना है कि घरेलू रिफाइंड सोया ऑयल वायदा को दैनिक बंद आधार पर 1112 रुपए पर मजबूत सपोर्ट है। यदि यह इस लेवल से नीचे आता है तो यह 1096-1078 तक आ सकता है। इस वायदा में मजबूती तभी दिखेगी जब यह 1045 रुपए से ऊपर होगा।
जयपुर। कमोडिटी विश्लेषक अमित खरे का कहना है कि कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में बीते कारोबारी दिन के दौरान फरवरी वायदा सोयाबीन 59 रुपए (1.27 फीसदी) की बढ़त के साथ 4718 रुपए पर बंद हुआ।
सोयाबीन के टेक्निकल चार्ट पर अच्छी तेजी नजर आ रही है। अतः ट्रेडर्स को फरवरी वायदा सोयाबीन में 4680-4650 रुपए के करीब खरीदारी करनी चाहिए एवं इसमें 4600 रुपए का स्टॉप लॉस रखें। ऊपर की तरफ फरवरी वायदा सोयबीन में शार्ट-टर्म में 4780 और 4780 रुपए के ऊपर निकलने पर इसमें 4900-5000 रुपए तक के स्तर देखने को मिल सकते हैं।
Saturday January 23,2021
मुंबई। यूरोप के कई देशों में लॉकडाउन से कैस्टर ऑयल का निर्यात प्रभावित होन मुंबई। यूरोप के कई देशों में लॉकडाउन से कैस्टर ऑयल का निर्यात प्रभावित होन . . . . .
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