मुंबई। एमसीएक्स पर मेंथा ऑयल जनवरी वायदा सोमवार को 3 फीसदी से अधिक बढा और जुलाई, 2021 के बाद पहली बार 1040 के स्तर को पार कर गया। मेंथा वायदा 1050-950 के बीच लंबे कंसोलिडेशन के बाद ऊपर की ओर बढ़ने लगा है। तेजी से टीकाकरण के बाद बढ़ती निर्यात मांग की संभावना से मेंथा तेल की कीमतों को समर्थन मिल रहा है। मेंथा तेल ने 950-980 क्षेत्र के आसपास मजबूत बेस बनाया और एक बार फिर ऊपर की ओर बढ़ना शुरू कर दिया।
पृथ्वी फिनमार्ट, मुंबई के कमोडिटी डाइरेक्टर मनोज कुमार जैन का कहना है कि तकनीकी रूप से, मासिक तकनीकी चार्ट पर मेंथा ऑयल फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट ने पिछले महीने 978 के अपने ट्रेंड लाइन रेजिस्टेंस को तोड़ दिया। मासिक तकनीकी चार्ट पर एमएसीडी भी सकारात्मक क्रॉसओवर दिखा रहा है। हालांकि, आरएसआई 50 के स्तर से नीचे आ रहा है। तकनीकी चार्ट को देखते हुए, उम्मीद है कि आने वाले सत्रों में मेंथा तेल और मजबूती दिखा सकता है। हम 1100-1220 के लक्ष्य के लिए दैनिक बंद आधार पर 950 से नीचे स्टॉप लॉस के साथ 1040-1010 के बीच मेंथा तेल जनवरी वायदा को खरीदने का सुझाव है।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
चंदौसी। देश में नए फसल वर्ष 2021-22 में मेंथा ऑयल का उत्पादन पिछले दिनों हुई बारिश से घटने की संभावना नजर आती है। उत्पादन में कमी आने का सबसे बड़ा फायदा ऑयल के सरप्लस में कमी आना है जिससे आने वाले समय में इसके भाव में बड़ी गिरावट की गुंजाइश खत्म हो गई है। यदि चीन सहित अन्य देशों की आने वाले समय में मेंथा ऑयल में मांग आती है तो भाव मजबूत जरुर हो सकते हैं।
वैभव अग्रवाल, नोरेक्स फ्लैवर्स, गजरौला का कहना है कि पिछले दिनों हुई बारिश से मेंथा की फसल को तकरीबन 25-30 फीसदी नुकसान हुआ है एवं पहले मेंथा ऑयल का जो उत्पादन अनुमान 55 हजार टन आंका जा रहा था वह अब घटकर 45 हजार टन रहने की संभावना है। मेंथा ऑयल का कैरीओवर स्टॉक 13 हजार टन है। हालांकि, यह कुल उपलब्धता हमारी निर्यात और घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। लेकिन उत्पादन घटने से सरप्लस कम हो जाएगा जिससे इसकी कीमतों पर दबाव घटेगा।
वे कहते हैं कि मेंथा ऑयल का उत्पादन घटने से ऑयल का स्टॉक किसानों के पास चला गया है। वे कहते हैं कि बाजार में जो मेंथा ऑयल की आवक हो रही है वह नगदी की जरुरत वाले लेकर आ रहे हैं। जबकि, आर्थिक रुप से जो किसान सक्षम हैं, वे ऑयल बेचने की जल्दबाजी नहीं कर रहे। मेंथा ऑयल का उत्पादन घटने और सरप्लस कम होने से इसके भावों पर बड़ा दबाव बनने की संभावना नहीं है एवं मौजूदा भाव 1040 रुपए से इसमें 20 रुपए प्रति किलोग्राम तक भाव गिर सकते हैं। अग्रवाल का कहना है कि कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में मेंथा ऑयल का कांट्रैक्ट नोट बदलने से अब इनवेस्टमेंट बढ़ने लगेगा और स्टॉकिस्ट एक्टिव हो रहे हैं जो इस कारोबार के लिए सकारात्मक बात है। वे कहते हैं कि बाजार को चीन सहित अन्य देशों की मांग का इंतजार है। धर्मेंद्र विक्की, एसजे मेंथा प्रॉडक्स, चंदौसी का कहना है कि इस साल मेंथा फसल का रकबा 10-15 फीसदी बढ़ा और मेंथा ऑयल का उत्पादन 45-50 हजार टन के करीब रहने की उम्मीद थी लेकिन पिछले दिनों हुई बारिश से फसल को अधिक नुकसान नहीं हुआ है जबकि यील्ड का नुकसान 10-15 फीसदी होने के आसार हैं। तेल की मात्रा प्रति बीघा 10-13 किलोग्राम मिल रही थी लेकिन अब यह पिछले साल की तरह 7-8 किलोग्राम प्रति बीघा रह जाएगी। वे कहते हैं कि इन दिनों मेंथा की क्रशिंग जोरों पर चल रही है और यह जुलाई अंत तक चलने की संभावना है। वे कहते हैं कि इन दिनों मेंथा ऑयल में घरेलू एवं विदेशी मांग कमजोर हैं एवं बाजार में वित्तीय तंगी महसूस की जा रही है।
वे कहते हैं कि इस साल मेंथा का क्रशिंग सीजन जुलाई अंत तक चल सकता है क्योंकि इस साल फसल पहले ही 10-15 दिन लेट थी और 10-15 दिन बारिश होने से फसल का बड़ा हिस्सा खेतों में ही है। बाराबंकी साइड खेतों में 40-45 फीसदी है जबकि अन्य एरिया में यह खेतों में 80 फीसदी तक है। ऐसे में इस साल क्रशिंग सीजन जुलाई अंत तक चलने की संभावना है। आम तौर पर क्रशिंग सीजन जून अंत तक पूरा हो जाता है। वे कहते हैं कि मेंथा ऑयल के दाम नई मांग पर निर्भर हैं जबकि किसानी माल के भाव 1000 रुपए और कारोबारी भाव 1100 रुपए प्रति किलोग्राम हैं। मेंथा ऑयल के कारोबारी भाव आने समय में बेहतर मांग से 1250 रुपए प्रति किलोग्राम पहुंच सकते हैं। यानी तेल के दाम में ऊपरी गुंजाइश 150 रुपए प्रति किलोग्राम तक है।
मुंबई। उत्तर प्रदेश के बाजारों में नए मेंथा ऑयल की आवक शुरु हो गई है लेकिन मांग कमजोर होने एवं सप्लाई बढ़ने से इसके दाम पिछले साल की तुलना में 5-6 फीसदी नीचे हैं।
कारोबारियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के चंदौसी, संभल और बाराबंकी सहित मुख्य बाजारों में मेंथा ऑयल की दैनिक आवक 700-800 ड्रम (एक ड्रम 180 किलोग्राम) की आवक होने का अनुमान है। जबकि पिछले साल समान समय में यह आवक 300-400 ड्रम थी। मेंथा ऑयल का मुख्य बाजार चंदौसी है। मेंथा ऑयल 990-1040 रुपए प्रति किलोग्राम पर ऑफर हो रहा है जबकि पिछले साल समान समय में इसका भाव 1050-1100 रुपए प्रति किलोग्राम था। अनुकूल मौसम होने से इस साल मेंथा का उत्पादन बढ़ा है। अरोरा एरोमेटिक्स, संभल के विशाल गुप्ता का कहना है कि बल्क बायर्स की मेंथा ऑयल की मांग सुस्त है। कोविड-19 की वजह से कारोबारी गतिविधियां कमजोर है। कोविड मामलों में कमी के बाद बाजार एक्टिव हुआ है लेकिन अभी उतना दमखम नहीं है जैसा होना चाहिए था।
एक निर्यातक ने बताया कि मेंथा ऑयल के दाम नीचे रहने की एक वजह इसकी निर्यात मांग सुस्त पड़ना है। कोविड ने ट्रांसपोर्टशन और उत्पादन गतिविधियों को प्रभावित किया है। मेंथा ऑयल की मांग में सुधार आता है तो इसके भाव बढ़ने की उम्मीद है।
बता दें कि देश में नए फसल वर्ष 2021-22 में मेंथा ऑयल का उत्पादन 49 हजार टन से 55 हजार टन रहने का कारोबारी अनुमान है। मेंथा की कटाई के साथ क्रशिंग चल रही है जिसकी वजह से मेंथा ऑयल का कुल उत्पादन कितना रहेगा, यह अभी कहना जल्दबाजी होगा लेकिन उत्पादन के आंकडे 49-55 हजार टन के बीच रहने चाहिए।
चंदौसी। देश में नए फसल वर्ष 2021-22 में मेंथा ऑयल का उत्पादन 49 हजार टन से 55 हजार टन रहने का अनुमान है। मेंथा की कटाई के साथ क्रशिंग अभी शुरु हुई है जिसकी वजह से मेंथा ऑयल का कुल उत्पादन कितना रहेगा, यह अभी कहना जल्दबाजी होगा लेकिन उत्पादन के आंकडे 49-55 हजार टन के बीच रहने चाहिए।
किसानों और कारोबारियों का कहना है कि जून अंत तक मेंथा ऑयल उत्पादन की तस्वीर काफी साफ हो जाएगी जबकि जुलाई अंत से पहले क्रशिंग समापत होने की उम्मीद है क्योंकि मानसून में इसकी क्रशिंग नहीं हो पाती।
प्रीतेश अग्रवाल, प्रकाश कैमिकल्स, बदायूं के मुताबिक देश में इस साल मेंथा की फसल 50 हजार टन रहने की संभावना है जिससे तकरीबन 49 हजार टन मेंथा ऑयल मिलेगा। वे कहते हैं कि इस साल मेंथा की फसल का अनुमान कुछ लोग दस फीसदी ज्यादा जता रहे हैं तो कुछ समान कह रहे हैं। ऐसे में तस्वीर जून अंत तक साफ होने की संभावना है। देश से पिछले साल 22 हजार टन मेंथा ऑयल का निर्यात हुआ जिसमें से अकेले चीन को 14 हजार टन का शीपमेंट हुआ। शेष आठ हजार टन मेंथा ऑयल दुनिया के अन्य देशों को निर्यात हुआ।
मेंथा ऑयल की निर्यात मांग इस साल भी अच्छी रहने की संभावना है, हालांकि कोविड की वजह से समय अधिक लग रहा है। वे कहते हैं कि नेचुरल मेंथा को सिंथेटिक मेंथा ऑयल से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है क्योंकि जहां नेचुरल मेंथा ऑयल का भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में 17-18 डॉलर प्रति किलोग्राम है वहीं सिंथेटिक मेंथा ऑयल 10 डॉलर प्रति किलोग्राम के आसपास ऑफर हो रहा है। सिंथेटिक मेंथा ऑयल ने असल में प्राइस वार को रोका है।
मेंथा उत्पादक इलाकों में मेंथा ऑयल की नई आवक के साथ जून एमसीएक्स वायदा घटकर 914 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास आ गया है। अब उत्तर प्रदेश की मंडियों में मेंथा ऑयल की दैनिक आवक बढ़ती जाएगी। इन दिनों में यह आवक 10-15 ड्रम है जो अगले सात से दस दिनों में 400-500 ड्रम तक पहुंच जाएगी। मेंथा ऑयल के दाम अब अधिक नीचे जाने की आशंका नहीं है क्योंकि ये पहले ही पांच साल के औसत भाव 945 रुपए प्रति किलोग्राम के करीब है। वर्ष 2017-18 में मेंथा ऑयल का औसत भाव 945 रुपए था और अब यह उसी लेवल पर पहुंच गया है। वे कहते हैं कि इस औसत भाव से मेंथा ऑयल 20 रुपए प्रति किलोग्राम तक घट सकता है लेकिन इसके बाद इसमें सुधार होने की संभावना दिखाई देती है।
वैभव अग्रवाल, नोरेक्स फ्लैवर्स, गजरौला का कहना है कि मेंथा की फसल पिछले साल के समान है और इस साल भी पिछले साल जितना ही 55 हजार टन मेंथा ऑयल का उत्पादन होने की संभावना है। वे कहते हैं कि देश में जर्मनी और मलेशिया से 4500 टन के करीब सिंथेटिक मेंथा का आयात भी हो रहा है। जर्मनी के सिंथेटिक मेंथा ऑयल पर दस फीसदी डयूटी लगती है लेकिन इसका प्राइस इतना कम है कि डयूटी अदा करने के बाद भी इसकी लैंडेड कॉस्ट नीचे रहती है जबकि मलेशिया से आने वाले सिंथेटिक मेंथा ऑयल पर कोई आयात शुल्क नहीं लगता। मेंथा की निर्यात मांग अब अफ्रीकन देशों, ब्राजील एवं चीन जैसे देशों में बढ़ रही है। इसके अलावा घरेलू मांग भी है।
वे कहते हैं पूरे कारोबार पर पिछले साल से कोविड का असर है और दूसरी लहर से इसने और कमजोर किया है। हर साल जहां अप्रैल-मई में जून डिलीवरी के सौदे हुआ करते थे, उनकी संख्या इस साल नहीं के बराबर रही। मेडिसन सैक्टर में मेंथा ऑयल की मांग अच्छी है लेकिन अन्य सैक्टर से मांग कमजोर पड़ी है जो कोरोना महामारी का प्रकोप कम होने के बाद बढ़ सकती है। प्राइस को लेकर उन्होंने कहा कि मौजूदा भाव से मेंथा ऑयल 100 रुपए प्रति किलोग्राम नीचे आ सकता है लेकिन स्टॉकिस्ट निचले भावों पर बेचना पसंद नहीं करेगा।
धर्मेंद्र विक्की, एसजे मेंथा प्रॉडक्स, चंदौसी का कहना है कि इस साल मेंथा फसल का रकबा 10-15 फीसदी बढ़ा है और मेंथा ऑयल का उत्पादन 45-50 हजार टन के करीब रह सकता है। इस साल आलू के भाव ऊंचे होने से किसानों ने आलू की खेती की और आलू को निकालने के बाद कोई दूसरी फसल का विकल्प न होने से मेंथा की बोआई हुई। इस साल ताउते तूफान से दो दिन हुई बारिश से मेंथा की फसल को बड़ा लाभ हुआ एवं तेल की मात्रा प्रति बीघा 10-13 किलोग्राम मिल रहा है वहीं यह पिछले साल 7-8 किलोग्राम प्रति बीघा था। वे कहते हैं कि इन दिनों मेंथा की क्रशिंग जोरों पर चल रही है और यह जुलाई अंत तक चलने की संभावना है।
वे कहते हैं कि किसानों के पास पुराना मेंथा ऑयल का भी स्टॉक है लेकिन इसे भाव ऊपर उठने तक डैड स्टॉक माना जाना चाहिए। पिछले साल के मेंथा ऑयल का तकरीबन 20-25 फीसदी स्टॉक किसानों के पास रखा है। कोरोना महामारी की वजह से इसका निर्यात और घरेलू खपत घटी जिसकी वजह से स्टॉक बढ़ा है। वे कहते हैं कि पिछले साल सीजन की शुरुआत में मेंथा ऑयल ऊपर में 1350 रुपए प्रति किलोग्राम खुला लेकिन बाद में यह नीचे में 1060 तक आया। इस साल भी सीजन की शुरुआत सुस्ती के साथ हुई है लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि अनलॉक प्रक्रिया के बाद इसकी निर्यात एवं घरेलू मांग और प्राइस में सुधार होगा।
मुंबई। मेंथा ऑयल कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में सोमवार को 961.50 रुपए पर बंद हुआ। मेंथा ऑयल की प्राइस रेंज 954-968 रुपए है। इससे पूर्व कारोबारी सत्र में यह 0.23 फीसदी घटकर 962.50 रुपए पर बंद हुआ था।
विश्लेषकों के मुताबिक मेंथा की बोआई इस समय चल रही है एवं गर्मी के सीजन की वजह से मेंथा की औद्योगिक मांग भी बढ़ रही है। आरंभिक अनुमान के मुताबिक इस साल मेंथा की बोआई पिछले साल के समान होने की संभावना है। मेंथा ऑयल में 955 रुपए के आसपास खरीद की जानी चाहिए जबकि इसका लक्ष्य 970 रुपए का रखें। स्टॉप लॉस 945 रुपए का लगाएं।
मुंबई। मेंथा ऑयल एमसीएक्स वायदा अगस्त 2020 से 925-1020 रुपए की रेंज में कंसोलिडेशन हो रहा है एवं वर्तमान में यह 1000 रुपए के करीब कारोबार कर रहा है। इस वायदा का निकट भविष्य में लांग टार्म रेजिस्टेंस 1021 रुपए है। यदि यह वायदा साप्ताहिक आधार पर 1022 रुपए के ऊपर बंद होता है तो यह बढ़कर 1077-1105 रुपए तक जा सकता है। इस वायदा के लिए 966 मुख्य सपोर्ट लेवल होगा।
पृथ्वी फिनमार्ट, मुंबई के कमोडिटी हैड डाइरेक्टर मनोज कुमार जैन का कहना है कि कारोबारियों को मेंथा ऑयल वायदा में 1022 रुपए के ऊपर बंद होने पर खरीद करनी चाहिए एवं ऊपर में लक्ष्य 1077-1105 रुपए का रखें। स्टॉप लॉस 970 रुपए का बंद आधार पर लगाएं।
चंदौसी। मेंथा ऑयल जनवरी वायदा कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में बीते कारोबारी दिवस गुरुवार को गिरकर 993.60 रुपए प्रति किलोग्राम पर बंद हुआ। हालांकि, यह ऊपर में 1007.50 रुपए तक गया था लेकिन यह अपनी बढ़त को कायम नहीं रख सका।
कारोबारी अनुमान के मूताबिक देश से अप्रैल से सितंबर 2020 के दौरान मेंथा ऑयल का निर्यात 18 हजार टन हुआ। यह निर्यात अक्टूबर में भी बढ़ा लेकिन अब कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने से इसके निर्यात में कमी की आशंका जताई जा रही है। यदि कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ जाती है तो यह तय है कि मेंथा ऑयल का निर्यात सुधरेगा एवं जो कंपनियां खासकर प्रोक्टर एंड गेम्ब्ल एवं मार्स की ओरल केयर से जुड़ी हुई हैं, उनकी खरीद जरुर बढ़ेगी। भारत हर साल चीन, यूरोप, अमरीका और दक्षिण अमरीका को 30 हजार टन मेंथा ऑयल का निर्यात करता है।
कारोबारियों का कहना है कि मेंथा ऑयल के मौजूदा भाव आकर्षक है और कोरोना का प्रकोप घटता है तो इंडस्ट्रियल डिमांड खासतौर से एरोमा इंडस्ट्री की ओर से मांग बढ़ेगी। ऐसे में अगले कुछ महीनों में मेंथा ऑयल 1200 रुपए प्रति किलोग्राम का लेवल छू सकता है। बता दें कि मेंथा ऑयल के भाव वर्ष 2012 में 2565 रुपए प्रति किलोग्राम के उच्च भाव पर पहुंच गए थे जो एक रिकॉर्ड है।
ब्रोकरेज फर्म केडिया एडवाइजरी के एमडी अजय केडिया का कहना है कि मेंथा में सर्दियों में अक्सर डिमांड बढ़ती है। इस बार भी हाजिर बाजार में मांग आने से मेंथा की कीमतों को सपोर्ट मिला है। फ्रैग्नेंस इंडस्ट्री अब पटरी पर आ रही है। लॉकडाउन खुलने के बाद अब परफ्यूम या डीयो की मांग बढ़ रही है। इस वजह से मेंथा ऑयल के सेंटीमेंट सुधरे हैं।
देश में इस साल मेंथा ऑयल का उत्पादन 45 हजार टन रहा जो वर्ष 2019 में भी समान था। जबकि, इस साल पुराने मेंथा ऑयल का स्टॉक चार हजार टन था। इस तरह कुल उपलब्धता 49 हजार टन की है। हालांकि, कुछ कारोबारियों का कहना है कि मेंथा ऑयल उत्पादन वर्ष 2019 में 48500-50000 टन तक रहा जो पिछले साल 33000-35000 टन था। हालांकि, मेंथा ऑयल के उत्पादन के आधिकारिक आंकडे उपलब्ध नहीं होते।
भारत मेंथा के उत्पादन एवं निर्यात में पहले स्थान पर है एवं उत्तर प्रदेश में पैदा होने वाला मेंथा देश के कुल उत्पादन में 80 फीसदी का योगदान देता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रामपुर, संभल, चंदौसी, बाराबंकी एवं बदायू जिलों में मेंथा का उत्पादन होता है। मेंथा की खेती अब तक उत्तर प्रदेश के कुछ एरिया में होती थी लेकिन अब मध्य प्रदेश एवं बिहार में भी इसकी खेती शुरु हो चुकी है। मेंथा तीन महीने की फसल है। इसकी बोआई फरवरी के पहले सप्ताह में होती है, जबकि कुछ इलाकों में जनवरी के अंतिम सप्ताह में इसकी बोआई की जाती है। मेंथा को भारत में पुदीना कहा जाता है एवं इसके लिए सिंचाई की हल्की व्यवस्था जरुरी है एवं तापमान 18-22 इसके अनुकूल है। प्रति हैक्टेयर मेंथा ऑयल की उत्पादकता (यील्ड) 150-225 किलोग्राम रहती है।
चंदौसी। मेंथा ऑयल के मौजूदा दाम बॉटम भाव कहे जा सकते हैं एवं धीरे धीरे इनमें सुधार होगा लेकिन वर्ष 2020 इसमें बड़ी तेजी का वर्ष नहीं होगा। मेंथा ऑयल कारोबारियों के बीच किए गए सर्वे के मुताबिक कोरोना माहमारी की वजह से मेंथा ऑयल की मांग दुनिया भर में बुरी तरह प्रभावित हुई जिससे इसके भाव बुरी तरह घटे हैं। कोविड-19 की वजह से मेंथा ऑयल का कारोबार पूरी तरह अस्त व्यस्त हुआ है।
उत्तर प्रदेश की संभल मंडी में मेंथा ऑयल 1045 रुपए प्रति किलोग्राम चल रहा है जो इस साल नीचे में 950-975 रुपए प्रति किलोग्राम तक आ गया था। अब धीरे-धीरे इसमें सुधार संभव है एवं यह 1200 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकता है। पिछले साल इसका बॉटम रेट 1250-1255 रुपए प्रति किलोग्राम हुआ था जो कुछ समय ही ठहर पाया था। कारोबारियों का कहना है कि हम पिछले साल के बॉटम रेट को इस साल का सबसे ऊपरी रेट मानकर चल रहे हैं।
कोविड-19 की वजह से मेंथा के आयातक देशों की मांग काफी कमजोर है। हालांकि, विदेशों में किसी ने भी मेंथा ऑयल का स्टॉक नहीं बनाया है, ऐसे में जब भी कोरोना माहमारी की वैक्सिन बनेगी एवं इस माहमारी का प्रकोप कमजोर होगा, मेंथा ऑयल के आयातक देश इसकी खरीद करेंगे एवं भावों में तेजी से सुधार होगा। मेंथा ऑयल के बाजार के हालात कोरोना वैक्सिन पर निर्भर है। कारोबारी कहते हैं कुल मिलाकर यह साल मेंथा ऑयल में तेजी का साल नहीं है। बता दें कि मेंथा ऑयल के भाव वर्ष 2012 में 2565 रुपए प्रति किलोग्राम के उच्च भाव पर पहुंच गए थे जो एक रिकॉर्ड है।
सर्वे के मुताबिक देश में इस साल मेंथा ऑयल का उत्पादन 45 हजार टन रहा जो वर्ष 2019 में भी समान था। जबकि, इस साल पुराने मेंथा ऑयल का स्टॉक चार हजार टन था। इस तरह कुल उपलब्धता 49 हजार टन की है। हालांकि, कुछ कारोबारियों का कहना है कि मेंथा ऑयल उत्पादन वर्ष 2019 में 48500-50000 टन तक रहा जो पिछले साल 33000-35000 टन था। हालांकि, मेंथा ऑयल के उत्पादन के आधिकारिक आंकडे उपलब्ध नहीं होते।
बाराबंकी। भारी बारिश की वजह से एक सप्ताह की देरी के बाद उत्तर प्रदेश के बाराबंकी मार्केट में नए मेंथा ऑयल की आवक शुरु हो गई है। यह आवक 5-10 ड्रम (प्रति ड्रम 180 किलोग्राम) है।
कारोबारियों का कहना है कि नए मिंट की फसल बरेली, सीतापुर एवं कोंच जिलों में शुरु हो चुकी है। नए मेंथा ऑयल की मांग है लेकिन आवक बढ़ने में अभी कुछ समय लगेगा। नए मेंथा ऑयल की आवक में तेजी जून के पहले सप्ताह से दिखाई देगी। जून के पहले सप्ताह से हर दिन आवक 100 ड्रम पहुंच सकती है। जबकि, मध्य जून में यह आवक सभी बाजार मसलन चंदौसी, संभल, बाराबंकी में 400-500 ड्रम रोजाना पहुंच जाएगी।
नया मेंथा ऑयल 1250 रुपए प्रति किलोग्राम पर ऑफर हो रहा है। जबकि, सीजन के दौरान इसमें 70-100 रुपए प्रति किलोग्राम की गिरावट आ सकती है। कारोबारियों का कहना है कि आने वाले समय में मेंथा ऑयल की कीमतों पर दबाव रह सकता है क्योंकि इस साल इसका रिकॉर्ड उत्पादन 55-60 हजार टन होने की संभावना है जो पिछले सीजन की तुलना में 40 फीसदी ज्यादा होगा। उत्तर प्रदेश में किसानों ने इस साल मेंथा की उपज को बढ़ाया है क्योंकि यह बाजरा, उड़द एवं मक्का से ज्यादा रिटर्न दे रही है। कारोबारी अनुमान के मुताबिक मेंथा का रकबा इस साल तकरीबन 40 फीसदी बढ़ा है।
मुंबई। मेंथा ऑयल मार्च वायदा कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में गिरकर 1180-1190 आने पर खरीदना चाहिए। यह ऊपर में 1210-1225 रुपए तक जा सकता है। जबकि, 1165 रुपए के नीचे इसमें नरमी के चांस हैं।
तकनीकी विश्लेषक नरेश कुमार सुथार का कहना है कि मेंथा ऑयल वायदा में मध्य अवधि की बात की जाए तो इसे 1140-1160 रुपए के बीच खरीदना चाहिए। मेंथा ऑयल वायदा 1120 रुपए के ऊपर 1220-1245 और इसके ऊपर 1245 रुपए तक जा सकता है।
Tuesday March 21,2023
मुंबई। एमसीएक्स पर मेंथा ऑयल जनवरी वायदा सोमवार को 3 फीसदी से अधिक बढा और ज मुंबई। एमसीएक्स पर मेंथा ऑयल जनवरी वायदा सोमवार को 3 फीसदी से अधिक बढा और ज . . . . .
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