मुंबई। मेंथा ऑयल एमसीएक्स वायदा अगस्त 2020 से 925-1020 रुपए की रेंज में कंसोलिडेशन हो रहा है एवं वर्तमान में यह 1000 रुपए के करीब कारोबार कर रहा है। इस वायदा का निकट भविष्य में लांग टार्म रेजिस्टेंस 1021 रुपए है। यदि यह वायदा साप्ताहिक आधार पर 1022 रुपए के ऊपर बंद होता है तो यह बढ़कर 1077-1105 रुपए तक जा सकता है। इस वायदा के लिए 966 मुख्य सपोर्ट लेवल होगा।
पृथ्वी फिनमार्ट, मुंबई के कमोडिटी हैड डाइरेक्टर मनोज कुमार जैन का कहना है कि कारोबारियों को मेंथा ऑयल वायदा में 1022 रुपए के ऊपर बंद होने पर खरीद करनी चाहिए एवं ऊपर में लक्ष्य 1077-1105 रुपए का रखें। स्टॉप लॉस 970 रुपए का बंद आधार पर लगाएं।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
चंदौसी। मेंथा ऑयल जनवरी वायदा कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में बीते कारोबारी दिवस गुरुवार को गिरकर 993.60 रुपए प्रति किलोग्राम पर बंद हुआ। हालांकि, यह ऊपर में 1007.50 रुपए तक गया था लेकिन यह अपनी बढ़त को कायम नहीं रख सका।
कारोबारी अनुमान के मूताबिक देश से अप्रैल से सितंबर 2020 के दौरान मेंथा ऑयल का निर्यात 18 हजार टन हुआ। यह निर्यात अक्टूबर में भी बढ़ा लेकिन अब कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने से इसके निर्यात में कमी की आशंका जताई जा रही है। यदि कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ जाती है तो यह तय है कि मेंथा ऑयल का निर्यात सुधरेगा एवं जो कंपनियां खासकर प्रोक्टर एंड गेम्ब्ल एवं मार्स की ओरल केयर से जुड़ी हुई हैं, उनकी खरीद जरुर बढ़ेगी। भारत हर साल चीन, यूरोप, अमरीका और दक्षिण अमरीका को 30 हजार टन मेंथा ऑयल का निर्यात करता है।
कारोबारियों का कहना है कि मेंथा ऑयल के मौजूदा भाव आकर्षक है और कोरोना का प्रकोप घटता है तो इंडस्ट्रियल डिमांड खासतौर से एरोमा इंडस्ट्री की ओर से मांग बढ़ेगी। ऐसे में अगले कुछ महीनों में मेंथा ऑयल 1200 रुपए प्रति किलोग्राम का लेवल छू सकता है। बता दें कि मेंथा ऑयल के भाव वर्ष 2012 में 2565 रुपए प्रति किलोग्राम के उच्च भाव पर पहुंच गए थे जो एक रिकॉर्ड है।
ब्रोकरेज फर्म केडिया एडवाइजरी के एमडी अजय केडिया का कहना है कि मेंथा में सर्दियों में अक्सर डिमांड बढ़ती है। इस बार भी हाजिर बाजार में मांग आने से मेंथा की कीमतों को सपोर्ट मिला है। फ्रैग्नेंस इंडस्ट्री अब पटरी पर आ रही है। लॉकडाउन खुलने के बाद अब परफ्यूम या डीयो की मांग बढ़ रही है। इस वजह से मेंथा ऑयल के सेंटीमेंट सुधरे हैं।
देश में इस साल मेंथा ऑयल का उत्पादन 45 हजार टन रहा जो वर्ष 2019 में भी समान था। जबकि, इस साल पुराने मेंथा ऑयल का स्टॉक चार हजार टन था। इस तरह कुल उपलब्धता 49 हजार टन की है। हालांकि, कुछ कारोबारियों का कहना है कि मेंथा ऑयल उत्पादन वर्ष 2019 में 48500-50000 टन तक रहा जो पिछले साल 33000-35000 टन था। हालांकि, मेंथा ऑयल के उत्पादन के आधिकारिक आंकडे उपलब्ध नहीं होते।
भारत मेंथा के उत्पादन एवं निर्यात में पहले स्थान पर है एवं उत्तर प्रदेश में पैदा होने वाला मेंथा देश के कुल उत्पादन में 80 फीसदी का योगदान देता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रामपुर, संभल, चंदौसी, बाराबंकी एवं बदायू जिलों में मेंथा का उत्पादन होता है। मेंथा की खेती अब तक उत्तर प्रदेश के कुछ एरिया में होती थी लेकिन अब मध्य प्रदेश एवं बिहार में भी इसकी खेती शुरु हो चुकी है। मेंथा तीन महीने की फसल है। इसकी बोआई फरवरी के पहले सप्ताह में होती है, जबकि कुछ इलाकों में जनवरी के अंतिम सप्ताह में इसकी बोआई की जाती है। मेंथा को भारत में पुदीना कहा जाता है एवं इसके लिए सिंचाई की हल्की व्यवस्था जरुरी है एवं तापमान 18-22 इसके अनुकूल है। प्रति हैक्टेयर मेंथा ऑयल की उत्पादकता (यील्ड) 150-225 किलोग्राम रहती है।
चंदौसी। मेंथा ऑयल के मौजूदा दाम बॉटम भाव कहे जा सकते हैं एवं धीरे धीरे इनमें सुधार होगा लेकिन वर्ष 2020 इसमें बड़ी तेजी का वर्ष नहीं होगा। मेंथा ऑयल कारोबारियों के बीच किए गए सर्वे के मुताबिक कोरोना माहमारी की वजह से मेंथा ऑयल की मांग दुनिया भर में बुरी तरह प्रभावित हुई जिससे इसके भाव बुरी तरह घटे हैं। कोविड-19 की वजह से मेंथा ऑयल का कारोबार पूरी तरह अस्त व्यस्त हुआ है।
उत्तर प्रदेश की संभल मंडी में मेंथा ऑयल 1045 रुपए प्रति किलोग्राम चल रहा है जो इस साल नीचे में 950-975 रुपए प्रति किलोग्राम तक आ गया था। अब धीरे-धीरे इसमें सुधार संभव है एवं यह 1200 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकता है। पिछले साल इसका बॉटम रेट 1250-1255 रुपए प्रति किलोग्राम हुआ था जो कुछ समय ही ठहर पाया था। कारोबारियों का कहना है कि हम पिछले साल के बॉटम रेट को इस साल का सबसे ऊपरी रेट मानकर चल रहे हैं।
कोविड-19 की वजह से मेंथा के आयातक देशों की मांग काफी कमजोर है। हालांकि, विदेशों में किसी ने भी मेंथा ऑयल का स्टॉक नहीं बनाया है, ऐसे में जब भी कोरोना माहमारी की वैक्सिन बनेगी एवं इस माहमारी का प्रकोप कमजोर होगा, मेंथा ऑयल के आयातक देश इसकी खरीद करेंगे एवं भावों में तेजी से सुधार होगा। मेंथा ऑयल के बाजार के हालात कोरोना वैक्सिन पर निर्भर है। कारोबारी कहते हैं कुल मिलाकर यह साल मेंथा ऑयल में तेजी का साल नहीं है। बता दें कि मेंथा ऑयल के भाव वर्ष 2012 में 2565 रुपए प्रति किलोग्राम के उच्च भाव पर पहुंच गए थे जो एक रिकॉर्ड है।
सर्वे के मुताबिक देश में इस साल मेंथा ऑयल का उत्पादन 45 हजार टन रहा जो वर्ष 2019 में भी समान था। जबकि, इस साल पुराने मेंथा ऑयल का स्टॉक चार हजार टन था। इस तरह कुल उपलब्धता 49 हजार टन की है। हालांकि, कुछ कारोबारियों का कहना है कि मेंथा ऑयल उत्पादन वर्ष 2019 में 48500-50000 टन तक रहा जो पिछले साल 33000-35000 टन था। हालांकि, मेंथा ऑयल के उत्पादन के आधिकारिक आंकडे उपलब्ध नहीं होते।
बाराबंकी। भारी बारिश की वजह से एक सप्ताह की देरी के बाद उत्तर प्रदेश के बाराबंकी मार्केट में नए मेंथा ऑयल की आवक शुरु हो गई है। यह आवक 5-10 ड्रम (प्रति ड्रम 180 किलोग्राम) है।
कारोबारियों का कहना है कि नए मिंट की फसल बरेली, सीतापुर एवं कोंच जिलों में शुरु हो चुकी है। नए मेंथा ऑयल की मांग है लेकिन आवक बढ़ने में अभी कुछ समय लगेगा। नए मेंथा ऑयल की आवक में तेजी जून के पहले सप्ताह से दिखाई देगी। जून के पहले सप्ताह से हर दिन आवक 100 ड्रम पहुंच सकती है। जबकि, मध्य जून में यह आवक सभी बाजार मसलन चंदौसी, संभल, बाराबंकी में 400-500 ड्रम रोजाना पहुंच जाएगी।
नया मेंथा ऑयल 1250 रुपए प्रति किलोग्राम पर ऑफर हो रहा है। जबकि, सीजन के दौरान इसमें 70-100 रुपए प्रति किलोग्राम की गिरावट आ सकती है। कारोबारियों का कहना है कि आने वाले समय में मेंथा ऑयल की कीमतों पर दबाव रह सकता है क्योंकि इस साल इसका रिकॉर्ड उत्पादन 55-60 हजार टन होने की संभावना है जो पिछले सीजन की तुलना में 40 फीसदी ज्यादा होगा। उत्तर प्रदेश में किसानों ने इस साल मेंथा की उपज को बढ़ाया है क्योंकि यह बाजरा, उड़द एवं मक्का से ज्यादा रिटर्न दे रही है। कारोबारी अनुमान के मुताबिक मेंथा का रकबा इस साल तकरीबन 40 फीसदी बढ़ा है।
मुंबई। मेंथा ऑयल मार्च वायदा कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में गिरकर 1180-1190 आने पर खरीदना चाहिए। यह ऊपर में 1210-1225 रुपए तक जा सकता है। जबकि, 1165 रुपए के नीचे इसमें नरमी के चांस हैं।
तकनीकी विश्लेषक नरेश कुमार सुथार का कहना है कि मेंथा ऑयल वायदा में मध्य अवधि की बात की जाए तो इसे 1140-1160 रुपए के बीच खरीदना चाहिए। मेंथा ऑयल वायदा 1120 रुपए के ऊपर 1220-1245 और इसके ऊपर 1245 रुपए तक जा सकता है।
मुंबई। मेंथा ऑयल वायदा कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में हाल में 1320 रुपए की ऊंचाई को छूने के बाद 1130 रुपए के निचले स्तर पर आ गया। लेकिन इस वायदा ने कल सोमवार को चार फीसदी की बढ़त बनाते हुए 1211 रुपए के स्तर को छूआ।
तकनीकी विश्लेषक नरेश कुमार सुथार का कहना है कि मेंथा ऑयल को 1140-1180 रुपए के बीच खरीदना चाहिए एवं यह फिर से 1225-1250 रुपए का लेवल छू सकता है। मेंथा ऑयल वायदा यदि 1250 रुपए के ऊपर रहता है तो यह 1290-1320 रुपए तक पहुंच सकता है।
सुथार का कहना है कि मेंथा ऑयल वायदा के लिए 1320 रुपए का स्तर अहम है और यह इस लेवल को पार नहीं कर पाता। इस लेवल पर पहुंचते ही इसमें बिकवाली का दबाव दिखता है और यह नीचे आ जाता है। मेंथा ऑयल वायदा ने 14 नवंबर 2019 को 1320 रुपए का लेवल छूआ था जो 3 दिसंबर 2019 को भी छूआ। यह 17 दिसंबर 2019 को 1321.90 रुपए तक गया लेकिन तीन बार यह इस स्तर को पार करने में विफल रहा है। इस ऊंचाई पर पहुंचने के बाद इसने 17 फरवरी 2020 को 1130 रुपए का निचला स्तर छूआ एवं फिर से ऊपर की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहा है।
मुंबई। कुंवरजी कमोडिटीज का कहना है कि एमसीएक्स में मेंथा ऑयल सितंबर वायदा में खरीद करनी चाहिए।
कमोडिटी
एक्शन
एंट्री
लक्ष्य
स्टॉप लॉस
मेंथा ऑयल
खरीद
1280
1306
1266
1317
1340
1309
मुंबई। कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में मेंथा ऑयल वायदा आज मंगलवार को सुबह की नरमी से उठकर हल्की बढ़त के साथ बंद हुआ, हालांकि इसमें इंडस्ट्री की मांग कमजोर है। मेंथा वायदा में सटोरिए ताजा पोजीशन लेने से बच रहे हैं। मेंथा ऑयल की सप्लाई बेहतर है जबकि उपभोक्ता इंडस्ट्री की मांग कमजोर है।
एमसीएक्स में मेंथा ऑयल अगस्त वायदा 3.80 रुपए बढ़कर 1268.50 रुपए प्रति किलोग्राम पर बंद हुआ। यह नीचे में 1253 रुपए और ऊपर में 1271.20 रुपए रहा।
विश्लेषकों का कहना है कि निचले स्तरों पर कुछ सटटात्मक खरीद देखी गई है लेकिन यह खरीद यदा कदा हुई है। कुल मिलाकर मेंथा का बेहतर उत्पादन होने से इसके सेंटीमेंट कमजोर हैं। कैपिटलएम के रिसर्च हैड रोमेश तिवारी का कहना है कि कमजोर फंडामेंटल की वजह से कारोबारी एवं निवेशक हर बढ़त पर बिक्री की रणनीति अपना कर चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेंथा ऑयल अगस्त वायदा अपने दैनिक चार्ट पर 1280 रुपए से नीचे कारोबार कर रहा है। यह अपने 50 दिन की मूविंग एवरेज से भी नीचे हैं जबकि दैनिक चार्ट की आरएसआई बिक्री के संकेत ही दे रही है। मेंथा ऑयल अगस्त वायदा के मुख्य रेजिस्टेंस 1280 और 1340 है जबकि सपोर्ट स्तर 1230 और 1190 हैं।
चंदौसी। मेंथा ऑयल के दाम पिछले कुछ कारोबारी सीजन में खासे उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहे हैं। मेंथा ऑयल के भावों के मूवमेंट को देखकर लगता है इस कमोडिटी में जबरदस्त सटेटबाजी हावी है।
मेंथा ऑयल के दाम वर्ष 2018 में मजबूत रहे। हालांकि, इस साल उत्पादन में बढ़ोतरी से इसके दाम नरम रह सकते हैं। वर्ष 2019 में देश में मेंथा ऑयल का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 30-40 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। ग्लोरियस कैमिकल्स के डाइरेक्टर अनुराग रस्तौगी का कहना है कि इस साल बोआई बढ़ने से मेंथा ऑयल का उत्पादन निश्चित तौर पर 20-30 फीसदी बढ़ेगा। नई मेंथा फसल बाजार में 15 मई के आसपास आने लग जाएगी। मेंथा के हाजिर भाव पिछले आठ-दस दिनों में 30-40 रुपए प्रति किलोग्राम तक घट चुके हैं। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यह रुख जारी रहेगा।
कारोबारियों का कहना है कि इस महीने के अंत तक मेंथा ऑयल के दाम हाजिर बाजार में गिरकर 1625 रुपए प्रति किलोग्राम तक आ सकते हैं। उत्तर प्रदेश के चंदौसी बाजार में 3 अप्रैल को मेंथा ऑयल का भाव 1670 रुपए प्रति किलोग्राम था। सप्लाई बढ़ने पर इस कमोडिटी में मई एवं जून में दबाव दिखाई देगा। हालांकि, पिछले दो साल के रुख को देखा जाए तो जुलाई से इसके दाम बढ़ना शुरु हो जाते हैं जब निर्यात एवं घरेलू मांग में इजाफा होता है। कारोबारियों की राय में मेंथा अप्रैल वायदा कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में 1500 रुपए प्रति किलोग्राम तक आ सकता है।
मेंथा की खेती अब तक उत्तर प्रदेश के कुछ एरिया में होती थी लेकिन अब मध्य प्रदेश में भी इसकी खेती शुरु हो चुकी है। मेंथा की खेती में बढ़ोतरी होने से इसके उत्पादन में 30-40 फीसदी इजाफा होगा। रेलीगेयर सिक्युरिटीज के वरिष्ठ रिसर्च मैनेजर अभिजीत बनर्जी का कहना है कि अप्रैल के अंत या मई के दूसरे सप्ताह में एमसीएक्स में मेंथा ऑयल फिसलकर 1500-1480 रुपए प्रति किलोग्राम तक आ सकता है।कारोबारियों का कहना है कि मेंथा ऑयल उत्पादन वर्ष 2019 में 48500-50000 टन तक पहुंच सकता है जो पिछले साल 33000-35000 टन था। हालांकि, मेंथा ऑयल के उत्पादन के आधिकारिक आंकडे उपलब्ध नहीं होते। कुछ कारोबारी मानते हैं मेंथा ऑयल की आवक जब अपने चरम पर होगी यानी 15 जून के आसपास तब मेंथा ऑयल वायदा गिरकर 1100-1200 रुपए प्रति किलोग्राम तक आ सकता है। केडिया कमोडिटीज के अजय केडिया का कहना है कि जर्मन कंपनी बीएएसएफ में सिंथेटिक मेंथा का उत्पादन फिर से शुरु होने जा रहा है। इससे भी बाजार पर दबाव आएगा। बता दें कि दुनिया में सिंथेटिक मेंथा सप्लाई करने वाली यह सबसे बड़ी कंपनी है। मेंथा ऑयल में अमरीका एवं चीन की कमजोर मांग भी इसके भाव गिरने का कारण होगी। बता दें कि मेंथा ऑयल के भाव वर्ष 2012 में 2565 रुपए प्रति किलोग्राम के उच्च भाव पर पहुंच गए थे जो दिसंबर 2017 में 1991.90 रुपए प्रति किलोग्राम आ गए थे।
भारत मेंथा के उत्पादन एवं निर्यात में पहले स्थान पर है एवं उत्तर प्रदेश में पैदा होने वाला मेंथा देश के कुल उत्पादन में 80 फीसदी का योगदान देता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रामपुर, संभल, चंदौसी, बाराबंकी एवं बदायू जिलों में मेंथा का उत्पादन होता है। मेंथा तीन महीने की फसल है। इसकी बोआई फरवरी के पहले सप्ताह में होती है, जबकि कुछ इलाकों में जनवरी के अंतिम सप्ताह में इसकी बोआई की जाती है। मेंथा को भारत में पुदीना कहा जाता है एवं इसके लिए सिंचाई की हल्की व्यवस्था जरुरी है एवं तापमान 18-22 इसके अनुकूल है। प्रति हैक्टेयर मेंथा ऑयल की उत्पादकता (यील्ड) 150-225 किलोग्राम रहती है।
Saturday January 23,2021
मुंबई। मेंथा ऑयल एमसीएक्स वायदा अगस्त 2020 से 925-1020 रुपए की रेंज में क मुंबई। मेंथा ऑयल एमसीएक्स वायदा अगस्त 2020 से 925-1020 रुपए की रेंज में क . . . . .
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