वाशिंग्टन। अमरीकी कृषि विभाग (यूएसडीए) की अगस्त महीने की रिपोर्ट में मार्केटिंग वर्ष 2022-23 में मक्का का यूरोपीयन संघ, सरबिया और अमरीका में उत्पादन घटने की बात कही गई है जबकि यूक्रेन, टर्की, रुस और मलावी में इसका उत्पादन बढ़ेगा। मक्का का निर्यात रुस, सरबिया और यूक्रेन से बढ़ेगा जबकि यूरोपीयन संघ का आयात बढेगा। यूएसडीए ने मक्का का औसत दाम वर्ष 2022-23 के लिए 6.65 डॉलर प्रति बुशेल पर स्थिर रखा है। जबकि, वर्ष 2021-22 के लिए मक्का का औसत दाम 5.95 डॉलर प्रति बुशेल कायम रखा है।
यूएसडीए ने दुनिया भर में वर्ष 2022-23 के लिए 117.96 करोड़ टन मक्का पैदा होने का अनुमान जताया है जो वर्ष 2021-22 में 121.87 करोड़ टन पैदा होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2020-21 में यह पैदावार 112.94 करोड़ टन थी।
भारत में मक्का का उत्पादन वर्ष 2021-22 के 330 लाख टन की तुलना में वर्ष 2022-23 में 315 लाख टन होने का अनुमान है। यह उत्पादन वर्ष 2020-21 में 316.47 लाख टन रहा। भारत से वर्ष 2020-21 में मक्का निर्यात 36.77 लाख टन रहा जो वर्ष 2021-22 में घटकर 33 लाख टन जबकि वर्ष 2022-23 में 24 लाख टन रह सकता है।
वर्ष 2022-23 में अर्जेंटीना का मक्का निर्यात 4.10 करोड़ टन, अमरीका का निर्यात 6.15 करोड़ टन और ब्राजील का निर्यात 4.65 करोड़ टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2021-22 में अर्जेंटीना का मक्का निर्यात 4.15 करोड़ टन, अमरीका का निर्यात 6.20 करोड़ टन और ब्राजील का निर्यात 3.40 करोड़ टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2020-21 में अर्जेंटीना का मक्का निर्यात 3.65 करोड़ टन, अमरीका का निर्यात 6.82 करोड़ टन और ब्राजील का निर्यात 2.74 करोड़ टन रहा।
यूएसडीए के मुताबिक अमरीका में वर्ष 2022-23 में मक्का का उत्पादन 36.47 करोड़ टन आंका है जो 2020-21 में 35.84 करोड़ टन और वर्ष 2021-22 में 38.39 करोड़ टन रहने का अनुमान है। चीन में मक्का का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 27.10 करोड़ टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2021-22 में यह उत्पादन 27.25 करोड़ टन रहा। यूरोपीयन संघ में मक्का का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 6 करोड़ टन रह सकता है जो वर्ष 2021-22 में 7.09 करोड़ टन रहा।
यूएसडीए की रिपोर्ट के अनुसार ब्राजील में मक्का का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 11.60 करोड़ टन रहने का अनुमान है। यह वर्ष 2022-23 में 12.60 करोड़ टन रहने की संभावना है। अर्जेंटीना में मक्का का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 5.50 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2021-22 में 5.30 करोड़ टन रह सकता है। दक्षिण अफ्रीका में मक्का का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 1.63 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2022-23 में 1.73 करोड़ टन पहुंच सकता है।
यूक्रेन में मक्का का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 4.21 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2022-23 में तीन करोड़ टन रहने के आसार हैं। रुस में मक्का का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 1.50 करोड़ टन रहने की संभावना है जो वर्ष 2021-22 में 1.52 करोड़ टन रहने का अनुमान है। मैक्सिको में मक्का का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 2.76 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
समूची दुनिया में वर्ष 2022-23 में मक्का का अंतिम स्टॉक 3.06 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2021-22 के लिए भी 3.11 करोड़ टन आंका गया है। यह वर्ष 2020-21 में 2.92 करोड़ टन रहा। मक्का की कुल खपत वर्ष 2022-23 में 118.47 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2021-22 में 119.98 करोड़ टन और वर्ष 2020-21 में 114.40 करोड़ टन रही।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
वाशिंग्टन। अमरीकी कृषि विभाग (यूएसडीए) की जुलाई महीने की रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्केटिंग वर्ष 2022-23 में मक्का का रुस, यूरोपीयन संघ और केन्या में उत्पादन घटेगा जबकि पेरुग्वे में उत्पादन बढ़ने की संभावना है। पेरुग्वे से मक्का का निर्यात बढ़ेगा जबकि रुस से घटेगा। यूएसडीए ने मक्का का औसत दाम वर्ष 2022-23 के लिए दस सेंटस घटाकर 6.65 डॉलर प्रति बुशेल किया है। जबकि, वर्ष 2021-22 के लिए मक्का का औसत दाम 5.95 डॉलर प्रति बुशेल कायम रखा है।
यूएसडीए ने दुनिया भर में वर्ष 2022-23 के लिए 118.58 करोड़ टन मक्का पैदा होने का अनुमान जताया है जो वर्ष 2021-22 में 121.60 करोड़ टन पैदा होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2020-21 में यह पैदावार 112.89 करोड़ टन थी।
वर्ष 2022-23 में अर्जेंटीना का मक्का निर्यात 4.10 करोड़ टन, अमरीका का निर्यात 6.20 करोड़ टन और ब्राजील का निर्यात 4.65 करोड़ टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2021-22 में अर्जेंटीना का मक्का निर्यात 4.15 करोड़ टन, अमरीका का निर्यात 6.20 करोड़ टन और ब्राजील का निर्यात 3.40 करोड़ टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2020-21 में अर्जेंटीना का मक्का निर्यात 3.65 करोड़ टन, अमरीका का निर्यात 6.85 करोड़ टन और ब्राजील का निर्यात 2.74 करोड़ टन रहा।
यूएसडीए के मुताबिक अमरीका में वर्ष 2022-23 में मक्का का उत्पादन 36.84 करोड़ टन आंका है जो 2020-21 में 35.84 करोड़ टन और वर्ष 2021-22 में 38.39 करोड़ टन रहने का अनुमान है। चीन में मक्का का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 27.10 करोड़ टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2021-22 में यह उत्पादन 27.25 करोड़ टन रहा। यूरोपीयन संघ में मक्का का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 6.80 करोड़ टन रह सकता है जो वर्ष 2021-22 में 7.04 करोड़ टन रहा।
यूएसडीए की रिपोर्ट के अनुसार ब्राजील में मक्का का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 11.60 करोड़ टन रहने का अनुमान है। यह वर्ष 2022-23 में 12.60 करोड़ टन रहने की संभावना है। अर्जेंटीना में मक्का का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 5.50 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2021-22 में 5.30 करोड़ टन रह सकता है। दक्षिण अफ्रीका में मक्का का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 1.63 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2022-23 में 1.73 करोड़ टन रह सकता है।
यूक्रेन में मक्का का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 4.21 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2022-23 में 2.50 करोड़ टन रहने के आसार हैं। रुस में मक्का का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 1.45 करोड़ टन रहने की संभावना है जो वर्ष 2021-22 में 1.52 करोड़ टन रहने का अनुमान है। मैक्सिको में मक्का का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 2.76 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
समूची दुनिया में वर्ष 2022-23 में मक्का का अंतिम स्टॉक 3.12 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2021-22 के लिए भी 3.12 करोड़ टन आंका गया है। यह वर्ष 2020-21 में 2.93 करोड़ टन रहा। मक्का की कुल खपत वर्ष 2022-23 में 118.52 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2021-22 में 119.88 करोड़ टन और वर्ष 2020-21 में 114.31 करोड़ टन रही।
मुंबई। भारत से मक्का का निर्यात फिसल गया है क्योंकि ऊंचे घरेलू भावों ने इसके शिपमेंट को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा में कमजोर कर दिया है।
एग्री कमोडिटीज एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एम मदन प्रकाश का कहना है कि ब्राजील वियतनाम जैसे देशों के लिए 320 डॉलर प्रति टन लागत और माल ढुलाई की बहुत प्रतिस्पर्धी कीमत पर शिपिंग कर रहा है। लेकिन, यहां पर, घरेलू कीमतें अधिक हैं, जिससे निर्यात असंभव हो गया है। उन्होंने कहा कि बिहार में रबी मक्का की फसल बाजार में आनी शुरू हो गई है, जिससे कीमतों में कुछ गिरावट आई है।
दूसरी ओर जिन क्षेत्रों में मक्का की फसल हुई थी, वहां बारिश ने फसल की गुणवत्ता को खराब किया है। निर्यातकों का कहना है कि मक्का के घरेलू दाम बढ़ने की वजह से हमने हाल में मक्का की बिक्री नहीं की है।
इंटरनेशनल ग्रेन काउंसिल का कहना है कि वर्तमान में ब्राजील और अर्जेंटीना से फ़ीड-ग्रेड मक्का क्रमशः 293 और 288 डॉलर प्रति टन पर ऑफर की जा रही है। शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर, बेंचमार्क मक्का वायदा वर्तमान में 7.77 डॉलर प्रति बुशल ( 305.88 डॉलर प्रति टन) पर बोला जा रहा है। मक्का वायदा अप्रैल में 11 साल के उच्च स्तर 8.1 डॉलर पर पहुंच गया था।
हालांकि, व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि कीमतें सामान्य से अधिक हैं क्योंकि रूस और यूक्रेन से आपूर्ति उनके बीच युद्ध के कारण प्रभावित हुई है, जबकि ब्राजील और यूरोप से आपूर्ति सूखे मौसम से प्रभावित हुई है। साथ ही खरीफ मक्का का रकबा कम होने से बाजार की चिंता बढ़ी है।
देश में 8 जुलाई तक खरीफ का रकबा 31.84 लाख हैक्टेयर पर था, जो एक साल पहले इसी अवधि में 41.63 लाख हैक्टेयर था। जून में मानसून की कमी को देखते हुए रकबे में गिरावट आई है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मक्का का भारित औसत मोडल मूल्य (जिस दर पर अधिकांश व्यापार होता है) 1,933 रुपए प्रति क्विंटल है। हालांकि, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में कीमतें 2,600 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रही हैं।
निर्यातकों का कहना है कि अभी मक्का 2,500-2,600 रुपए प्रति क्विंटल बोली जा रही है। हम केवल तभी निर्यात कर सकते हैं जब भाव 2000-2300 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर आ जाएं। हालांकि, रुस-यूक्रेन युद्ध के समय एक समय यह डर था कि भाव 2800-300 रुपए प्रति क्विंटल न पहुंच जाएं। 30 सितंबर को समाप्त होने वाले मौजूदा मार्केटिंग वर्ष के लिए मक्का का एमएसपी 1,870 रुपए प्रति क्विंटल है जबकि अगले मार्केटिंगवर्ष के लिए, एमएसपी 1,962 रुपए निर्धारित किया गया है। खरीदार कीमतों में गिरावट का इंतजार कर रहे हैं। कीमतों में गिरावट के बाद, वे फिर से खरीदारी शुरू कर सकते हैं।
नई दिल्ली के एक ट्रेड एनालिस्ट ने कहा, पोल्ट्री सेक्टर से भी मांग को देखते हुए फिलहाल घरेलू कीमतें ज्यादा हैं। चावल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ, पोल्ट्री किसान अब मक्का का उपयोग करने के लिए वापस आ गए हैं। इससे भी भाव बढ़े हैं।
इसे देखते हुए, मक्का सहित अन्य अनाजों का शिपमेंट एक साल पहले के 5.97 लाख टन से चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-मई में 25 प्रतिशत घटकर 4.48 लाख टन रह गया है। हालांकि, कीमत की दृष्टि से एक साल पहले की अवधि के 1,098 करोड़ रुपए की तुलना में यह 1,167 करोड़ रुपए है। अन्य अनाज का निर्यात पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर 38.55 लाख टन हो गया, जो 2020-21 में 30.26 लाख टन था। 2014-15 के बाद शिपमेंट आठ साल के उच्च स्तर पर था, जब 35.10 लाख टन निर्यात किया गया था।
पिछले फसल वर्ष (जुलाई 2020-जून 2021) में रिकॉर्ड 331.8 लाख टन उत्पादन के बावजूद मक्का की कीमतों में इजाफा हुआ। मक्का के उत्पादन में लगातार दूसरे वर्ष रिकॉर्ड फसल देखी गई।
निर्यातकों का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल उनके पास बहुत कम पूछताछ है। बांग्लादेश का आयात भी कम रहा और वियतनाम दूसरे स्थान पर रहा। दूसरी ओर, कुछ निर्यातक वियतनाम, सिंगापुर और मलेशिया के खरीदारों के साथ विवादों से प्रभावित हुए हैं। कुछ निर्यातकों को नुकसान उठाना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने सभी सावधानियां बरतीं। निर्यातकों ने कहा कि इससे शिपमेंट धीमा हो गया है।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
मुंबई। भारत से मक्का का निर्यात सात साल के अंतराल के बाद 2021-22 में कीमत की दृष्टि से तेजी से बढ़कर एक अरब डॉलर को पार कर गया। दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों जैसे बांग्लादेश, वियतनाम और मलेशिया से मक्का की बढ़ती मांग से यह संभव हुआ। बता दें कि वर्ष 2019-20 में यह निर्यात नौ साल के निचले स्तर 14.20 करोड़ डॉलर पर आ गया था।
एपीडा के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 के लिए मक्का शिपमेंट 1.02 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वित्त वर्ष के 634 लाख डॉलर से 61 प्रतिशत अधिक है। पिछले दो वर्षों में अर्जेंटीना और ब्राजील जैसे दक्षिण अमरीकी देशों से कम आपूर्ति ने भारतीय निर्यातकों को फायदा पहुंचाया नतीजन दक्षिण-पूर्व एशिया के उपभोक्ता देशों जैसे वियतनाम और मलेशिया से अधिक मांग आई।
भारत का मक्का निर्यात 2019-20 के 3.7 लाख टन से बढ़कर 2021-22 में 36.90 लाख टन पहुंच गया। चालू वित्त वर्ष में, हालांकि पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अप्रैल के दौरान शिपमेंट 21 प्रतिशत बढ़कर 2.51 लाख टन था। नेपाल को पीछे करते हुए बांग्लादेश पिछले दो वर्षों में भारतीय मक्का का सबसे बड़ा खरीदार बनकर उभरा है। बांग्लादेश, जिसने 2019-20 में भारत से महज दस हजार टन से कम खरीदा, पिछले दो वित्तीय वर्षों में 15 लाख टन से अधिक मक्का खरीदा है।
इसी तरह, वियतनाम जिसने 2019-20 में 1,893 टन मक्का खरीदा था ने भारत से अपनी खरीद को 2020-21 में 4.98 लाख टन तक बढ़ा दिया। इसके अलावा, वियतनाम ने पिछले वित्त वर्ष में अपनी खरीद को दोगुना से अधिक 11.8 लाख टन किया। मलेशिया जिसने 2020-21 के दौरान लगभग 1.12 लाख टन मक्का खरीदा था ने वर्ष 2021-22 के दौरान अपनी खरीद को दोगुना से अधिक 2.66 लाख टन कर दिया, जबकि नेपाल की खरीद भी बढ़कर 5.87 लाख टन रही। कारोबारियों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में बांग्लादेश और वियतनाम से मांग में कमी आई है, नतीजन शिपमेंट कम हो सकता है। इस साल मक्का के शीपमेंट में पांच लाख टन की कमी आती दिख रही है।
भारत सरकार के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, भारत का मक्का उत्पादन पिछले एक दशक में 2011-12 के उत्पादन लगभग 217.6 लाख टन से बढ़कर 2021-22 में 330 लाख टन पहुंच गया। मौजूदा खरीफ फसल सीजन के लिए केंद्र ने मक्का उत्पादन का लक्ष्य 231 लाख टन रखा है, जो पिछले साल सीजन के दौरान उत्पादित 226.5 लाख टन से अधिक है। मक्का के लिए एमएसपी को 2022-23 के लिए बढ़ाकर 1,962 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि पिछले वर्ष यह 1,870 रुपए था।
वाशिंग्टन। अमरीकी कृषि विभाग (यूएसडीए) की जून महीने की रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्केटिंग वर्ष 2022-23 में मक्का का यूक्रेन में उत्पादन बढ़ेगा जो पेरु एवं जाम्बिया में होने वाले कम उत्पादन की भरपाई कर देगा। मक्का के वैश्विक निर्यात में परिवर्तन नहीं होगा जबकि वैश्विक आयात में कमी आएगी। यूएसडीए ने मक्का का औसत दाम वर्ष 2022-23 के लिए 6.75 डॉलर प्रति बुशेल पर कायम रखा है, जो वर्ष 2012-13 के बाद एक रिकॉर्ड है। जबकि, वर्ष 2021-22 के लिए मक्का का औसत दाम पांच सेंटस बढ़ाकर 5.95 डॉलर प्रति बुशेल किया है।
वर्ष 2022-23 में अर्जेंटीना का मक्का निर्यात 4.10 करोड़ टन, अमरीका का निर्यात 6.20 करोड़ टन और ब्राजील का निर्यात 4.65 करोड़ टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2021-22 में अर्जेंटीना का मक्का निर्यात 4.25 करोड़ टन, अमरीका का निर्यात 6.20 करोड़ टन और ब्राजील का निर्यात 3.40 करोड़ टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2020-21 में अर्जेंटीना का मक्का निर्यात 3.65 करोड़ टन, अमरीका का निर्यात 6.85 करोड़ टन और ब्राजील का निर्यात 2.74 करोड़ टन रहा।
यूएसडीए के मुताबिक अमरीका में वर्ष 2022-23 में मक्का का उत्पादन 36.73 करोड़ टन आंका है जो 2020-21 में 35.84 करोड़ टन और वर्ष 2021-22 में 38.39 करोड़ टन रहने का अनुमान है। चीन में मक्का का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 27.10 करोड़ टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2021-22 में यह उत्पादन 27.25 करोड़ टन पहुंच सकता है। यूरोपीयन संघ में मक्का का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 6.82 करोड़ टन पहुंच सकता है जो वर्ष 2021-22 में 7.04 करोड़ टन रहा।
यूक्रेन में मक्का का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 4.21 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2022-23 में 2.50 करोड़ टन रहने के आसार हैं। रुस में मक्का का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 1.55 करोड़ टन रहने की संभावना है जो वर्ष 2021-22 में 1.52 करोड़ टन रहने का अनुमान है। मैक्सिको में मक्का का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 2.76 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
समूची दुनिया में वर्ष 2022-23 में मक्का का अंतिम स्टॉक 3.10 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2021-22 के लिए भी 3.10 करोड़ टन आंका गया है। यह वर्ष 2020-21 में 2.93 करोड़ टन रहा। मक्का की कुल खपत वर्ष 2022-23 में 118.62 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2021-22 में 119.83 करोड़ टन और वर्ष 2020-21 में 114.32 करोड़ टन रही।
मुंबई। भारतीय मक्का निर्यात के लिए विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व और पश्चिम एशियाई देशों से मांग में कमी देखी जा रही है, क्योंकि उच्च घरेलू कीमतों से इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हुई है, जबकि निर्यातकों को पिछले वित्त वर्ष की भुगतान की समस्याओं से अभी तक उबरना बाकी है।
वैश्विक बाजार में भारतीय गेहूं और चावल की भारी मांग के बीच मक्का की मांग सुस्त है। एक विश्लेषक ने कहा कि अर्जेंटीना एशिया में 380 डॉलर प्रति टन सीएंडएफ पर मक्का की पेशकश कर रहा है, जबकि हमारा मक्का प्रतिस्पर्धी नहीं है। उदाहरण के लिए बंदरगाहों पर दावणगेरे से लागत 28,000 रुपए (360.76 डॉलर) प्रति टन है।
एग्री कमोडिटीज एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एम मदन प्रकाश का कहना है कि पिछले साल, उसी समय के दौरान हमें नए खरीदारों से अच्छी पूछताछ हुई थी। इस बार हमें कोई नई पूछताछ नहीं मिल रही है। मक्का का निर्यात धीमा हो गया है।
इंटरनेशनल ग्रेन काउंसिल (आईजीसी) के अनुसार, सप्ताहांत के दौरान अर्जेंटीना से डिलीवरी के लिए गेहूं की कीमतें 318 डॉलर प्रति टन बोली गईं, जबकि ब्राजील ने अपनी उपज 322 डॉलर और अमरीका ने 346 डॉलर की पेशकश की। 344 के साथ मक्का उप-सूचकांक साल-दर-साल 14 फीसदी ऊपर है।
शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर, बेंचमार्क मक्का वायदा चार सप्ताह के निचले स्तर 7.81 डॉल्र प्रति बुशल (307.46 डॉलर प्रति टन) पर उद्धृत किया गया क्योंकि सट्टेबाजों ने गेहूं खरीदा और मक्का बेचा। पिछले महीने यह 10 साल के उच्च स्तर 8.1 डॉलर प्रति बुशल पर पहुंच गया था।
भारत में कीमतें पोल्ट्री क्षेत्र की मांग को देखते हुए अधिक चल रही हैं, जो इसका उपयोग मिश्रित फ़ीड के लिए करती है। इसके अलावा, बिहार जैसे कुछ उत्पादक क्षेत्रों में बारिश से वर्तमान रबी फसल प्रभावित हुई है।
वर्तमान में, राष्ट्रीय भारित औसत मॉडल मूल्य (दरें जिस पर अधिकांश ट्रेड होते हैं) 2,088 रुपए प्रति क्विंटल है, जो केंद्र द्वारा चालू सीजन के लिए जून के लिए निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,870 रुपए से अधिक है। एक मई से अब तक आवक 1.53 लाख टन होने का अनुमान है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 69,718 टन थी।
विश्व स्तर पर, मक्का की कीमतों में वृद्धि हुई है क्योंकि यूक्रेन, चौथा सबसे बड़ा वैश्विक निर्यातक, रूस के खिलाफ लड़ रहे युद्ध से प्रभावित हुआ है।
लेकिन गेहूं के मामले में कीमतों में तेजी नहीं आई है क्योंकि अर्जेंटीना द्धारा जो दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक निर्यातक, पिछले साल 300 लाख टन से अपनी शिपमेंट सीमा बढ़ाकर 350 लाख टन की जा सकती है। कुछ विश्लेषकों का तो यह भी मानना है कि निर्यात 400 लाख टन से ऊपर है।
2020-21 के वित्तीय वर्ष में छह साल के उच्च स्तर पर मक्का निर्यात 30.3 लाख टन रहा जो पिछले वित्त वर्ष में 38.5 लाख टन के साथ आठ साल के उच्च स्तर को छू गया था।
मुंबई। बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में चक्रवात आसनी द्वारा लाए गए मौसम के पैटर्न में बदलाव से रबी मक्का की फसल की कटाई पर असर पड़ने की संभावना है, जिससे बाजार में आवक प्रभावित हो सकती है। बिहार रबी मक्का का मुख्य उत्पादक है, जबकि, पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में भी रबी के दौरान मक्का उगाया जाता है।
मक्का की कीमतें, जो अप्रैल के अंत में गुलाबबाग में लगभग 2,150 रुपए प्रति क्विंटल तक कम हो गई थीं, अब पलट गई हैं और खराब मौसम से फसल के प्रभावित होने की आशंका से लगभग 2,250 रुपए के आसपास मंडरा रही हैं। पिछले साल, मक्का की कीमतें लगभग 1,500 रुपए के स्तर पर थीं।
कारोबारियों का कहना है कि पिछले 4-5 दिनों में, बिहार में बारिश के कारण कीमतों को कुछ समर्थन मिला और आवक थोड़ी कम है। अप्रैल में औसत आवक हर दिन 1-1.2 लाख बोरी थी, लेकिन अब यह घटकर 70,000-80,000 बोरी रह गई है, नतीजन भावों को कुछ सपोर्ट मिला है। कारोबारियों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में छिटपुट बारिश के अलावा, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में चक्रवात आसनी का कुछ प्रभाव है, जिससे फसल लेट हो रही है।
बेगूसराय के एक दलाल राम कुमार शर्मा ने कहा मक्का को फसल के दौरान धूप की जरूरत होती है, लेकिन यहां बादल छाए रहते हैं और बंगाल के कुछ हिस्सों में बारिश हो रही है, जिससे आवक में और देरी हो सकती है। बिहार के कुछ हिस्सों में हाल के दिनों में बेमौसम छिटपुट बारिश हुई है।
शर्मा ने कहा कि इस साल बिहार में मक्का की कुल फसल कम देखी गई है और बोआई में देरी के कारण फसल कुछ हफ़्ते लेट हो गई है। पिछले साल मानसून की अधिक बारिश के कारण खेतों में पानी भर जाने से बोआई में देरी हुई थी। शर्मा ने कहा कि अगले कुछ हफ्तों में आवक बढ़ने की संभावना है, बशर्ते मौसम अनुकूल हो। उन्होंने कहा हमें यह देखना होगा कि चक्रवात का यह प्रभाव कैसे प्रभाव डालता है।
कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, इस वर्ष रबी मक्का का उत्पादन 98.3 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के 100.9 लाख टन से थोड़ा कम है। एनबीएचसी के मुख्य जोखिम अधिकारी अभय दंडवते ने कहा कि रबी मक्के का उत्पादन 98.3 लाख टन के अनुमान से कम होने की संभावना है, मुख्य रूप से बिहार के कोसी क्षेत्र में हाल ही में हुई बारिश और तूफान के कारण फसल पर असर पड़ा है। फर्टिलाइजर की उपलब्धता में देरी, उच्च पोषक तत्वों की कीमतें और अन्य फसलों पर स्विच करना भी देरी से बोआई की वजह से मक्का का रकबा घटा। उन्होंने कहा कि बिहार के मक्का उत्पादन में करीब 10 फीसदी की गिरावट आ सकती है।
कारोबारियों का कहना है कि बिहार का उत्पादन पिछले साल की तुलना में थोड़ा कम है। फसल की प्रगति के साथ अगले कुछ हफ़्तों में कीमतों में नरमी आ सकती है और आवक दबाव पर मक्का 2,050 रुपए तक आ सकती है। हालांकि, कीमतों के इन स्तरों पर लंबे समय तक बने रहने की संभावना नहीं है क्योंकि अभी भी सप्लाई कमजोर है। एक बार कीमत 2,050 रुपए के स्तर को छूने के बाद, नई खरीफ फसल आने तक वे फिर से 2,400-2,500 रुपए तक पहुंच सकती है।
वाशिंग्टन। अमरीकी कृषि विभाग (यूएसडीए) का कहना है कि मार्केटिंग वर्ष 2022-23 में मक्का का वैश्विक उत्पादन, कारोबार, खपत और अंतिम स्टॉक कम रहने की संभावना है। यूक्रेन, अमरीका ओर यूरोपीयन संघ में उत्पादन घटेगा जबकि इसकी भरपाई ब्राजील और अर्जेंटीना से होगी। यूक्रेन से निर्यात घटने से मक्का के वैश्विक कारोबार में कमी आएगी। अर्जेंटीना और अमरीका का निर्यात ऊंचा बने रहने की आस है जबकि ब्राजील यूक्रेन से उपजे अुतर को तेजी से पाटने में सफल होगा। यूएसडीए ने मक्का का औसत दाम वर्ष 2022-23 के लिए 6.75 डॉलर प्रति बुशेल किया है, जो वर्ष 2012-13 के बाद एक रिकॉर्ड है। जबकि, वर्ष 2021-22 के लिए मक्का का औसत दाम 10 सेंटस बढ़ाकर 5.90 डॉलर प्रति बुशेल किया है।
यूएसडीए ने दुनिया भर में वर्ष 2022-23 के लिए 118.07 करोड़ टन मक्का पैदा होने का अनुमान जताया है जो वर्ष 2021-22 में 121.56 करोड़ टन पैदा होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2020-21 में यह पैदावार 112.90 करोड़ टन थी।
भारत में मक्का का उत्पादन वर्ष 2021-22 के 325 लाख टन की तुलना में वर्ष 2022-23 में 315 लाख टन होन का अनुमान है। यह उत्पादन वर्ष 2020-21 में 316.47 लाख टन रहा। भारत से वर्ष 2020-21 में मक्का निर्यात 36.77 लाख टन रहा जो वर्ष 2021-22 में घटकर 33 लाख टन जबकि वर्ष 2022-23 में 24 लाख टन रह सकता है।
वर्ष 2022-23 में अर्जेंटीना का मक्का निर्यात 4.10 करोड़ टन, अमरीका का निर्यात 6.20 करोड़ टन और ब्राजील का निर्यात 4.65 करोड़ टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2021-22 में अर्जेंटीना का मक्का निर्यात 4.25 करोड़ टन, अमरीका का निर्यात 6.35 करोड़ टन और ब्राजील का निर्यात 3.40 करोड़ टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2020-21 में अर्जेंटीना का मक्का निर्यात 3.65 करोड़ टन, अमरीका का निर्यात 6.85 करोड़ टन और ब्राजील का निर्यात 2.74 करोड़ टन रहा।
यूक्रेन में मक्का का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 4.21 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2022-23 में 1.95 करोड़ टन रहने के आसार हैं। रुस में मक्का का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 1.55 करोड़ टन रहने की संभावना है जो वर्ष 2021-22 में 1.52 करोड़ टन रहने का अनुमान है। मैक्सिको में मक्का का उत्पादन वर्ष 2022-23 में 2.76 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
समूची दुनिया में वर्ष 2022-23 में मक्का का अंतिम स्टॉक 3.05 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2021-22 के लिए 3.09 करोड़ टन आंका गया है। यह वर्ष 2020-21 में 2.93 करोड़ टन रहा।
मुंबई। कर्नाटक में कुक्कुट खिलाड़ी मक्का की उपलब्धता को लेकर चिंतित हैं और आरोप लगाया कि कुछ व्यापारी और किसान जमाखोरी कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप कीमतें आसमान छू रही हैं और सप्लाई पर असर पड़ा है। कर्नाटक पोल्ट्री फार्मर्स एंड ब्रीडर्स एसोसिएशन (केपीएफबीए) ने एक बयान में कहा कि इनपुट लागत में इस उछाल से उत्पादन की लागत बढ़ गई है, जिससे चिकन की खपत में कमी आई है।
मक्का की सप्लाई तंग होने और भाव बढ़ने की वजह से कारोबारी संगठन केपीएफबीए मक्का जमाकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आग्रह करते हुए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को एक ज्ञापन सौंप रहा है।
केपीएफबीए के अध्यक्ष सुशांत राय बी और महासचिव अंजन गोस्वामी ने कहा कि मक्का की उपलब्धता एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। मक्का के उत्पादन में लगभग 15-20 प्रतिशत की कमी का अनुमान है और अनाज के निर्यात से घरेलू जरुरत पूरी नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा कि इन दो मुद्दों की वजह से जमाखोर पोल्ट्री और अन्य क्षेत्रों की कीमत पर भारी मुनाफा कमाने की कोशिश कर रहे हैं।
केपीएफबीए ने कहा कि उत्पादन लागत बढ़ रही है क्योंकि मक्का और सोयाबीन जैसे कच्चे माल की कीमत पिछले कुछ महीनों से बढ़ रही है। जबकि मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 18.70 रुपए प्रति किलोग्राम है, इस साल यह इससे ऊपर है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2021 में मक्का की कीमत 19 रुपए प्रति किलो थी और छह महीने में यह 35 प्रतिशत बढ़कर 26 रुपए हो गई।
उत्पादन की लागत बढ़ने के साथ, पोल्ट्री क्षेत्र के पास खुदरा मूल्य बढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि खुदरा स्तर पर चिकन की बढ़ती कीमत के साथ, केपीएफबीए का कहना है कि चिकन की खपत में उल्लेखनीय गिरावट आई है क्योंकि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लोगों ने या तो खपत कम कर दी है या वैकल्पिक प्रोटीन स्रोतों का सहारा लिया है। केपीएफबीए खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने की पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन उत्पादन लागत बढ़ने के साथ, एसोसिएशन तत्काल सरकारी हस्तक्षेप की मांग कर रहा है।
वाशिंग्टन। अमरीकी कृषि विभाग (यूएसडीए) का कहना है कि ब्राजील, यूरोपीयन संघ, इंडोनेशिया और पाकिस्तान में मक्का की उपज बढ़ने से इसका वैश्विक उत्पादन बढ़ने की संभावना है। सरबिया और यूक्रेन से निर्यात घटने से इसके वैश्विक कारोबार में कमी आएगी। लेकिन, भारत, ब्राजील और कनाडा के निर्यात में बढ़ोतरी होने की संभावना है। यूएसडीए ने मक्का का औसत दाम वर्ष 2021-22 के लिए 15 सेंटस बढ़ाकर 5.80 डॉलर प्रति बुशेल किया है।
यूएसडीए ने दुनिया भर में वर्ष 2021-22 के लिए 121.04 करोड़ टन मक्का पैदा होने का अनुमान जताया है जबकि वर्ष 2020-21 में यह पैदावार 112.58 करोड़ टन थी। यूएसडीए के मुताबिक वर्ष 2019-20 में समूची दुनिया में मक्का का उत्पादन 112.01 करोड़ टन रहा।
भारत में मक्का का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 325 लाख टन होने का अनुमान है। यह उत्पादन वर्ष 2020-21 में 316.47 लाख टन रहा। भारत में मक्का का उत्पादन वर्ष 2019-20 में 287.66 लाख टन रहा। भारत से वर्ष 2020-21 में मक्का निर्यात 36.77 लाख टन रहा जो वर्ष 2021-22 में घटकर 33 लाख टन रह सकता है। वर्ष 2020-21 में अर्जेंटीना का मक्का निर्यात 3.65 करोड़ टन, अमरीका का निर्यात 6.85 करोड़ टन और ब्राजील का निर्यात 2.74 करोड़ टन रहा। वर्ष 2021-22 में अर्जेंटीना का मक्का निर्यात 4.25 करोड़ टन, अमरीका का निर्यात 6.35 करोड़ टन और ब्राजील का निर्यात 3.40 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
यूएसडीए के मुताबिक अमरीका में वर्ष 2020-21 में मक्का का उत्पादन 35.84 करोड़ टन रहा जो वर्ष 2021-22 में 38.39 करोड़ टन रहने का अनुमान है। अमरीका में वर्ष 2019-20 में मक्का उत्पादन 34.59 करोड़ टन रहा। चीन में मक्का का उत्पादन वर्ष 2020-21 में 26.06 करोड़ टन रहा। जबकि, वर्ष 2021-22 में यह उत्पादन 27.25 करोड़ टन पहुंच सकता है। यूरोपीयन संघ में मक्का का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 7.04 करोड़ टन पहुंच सकता है जो वर्ष 2020-21 में 6.71 करोड़ टन रहा।
यूएसडीए की रिपोर्ट के अनुसार ब्राजील में मक्का का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 11.60 करोड़ टन रहने का अनुमान है। यह वर्ष 2020-21 में 8.70 करोड़ टन रहा। अर्जेंटीना में मक्का का उत्पादन वर्ष 2020-21 में 5.20 करोड़ टन रहा जो वर्ष 2021-22 में 5.30 करोड़ टन रह सकता है। दक्षिण अफ्रीका में मक्का का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 1.63 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2020-21 में 1.69 करोड़ टन रहा।
यूक्रेन में मक्का का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 4.19 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2020-21 में 3.02 करोड़ टन रहा। रुस में मक्का का उत्पादन वर्ष 2020-21 में 1.38 करोड़ टन रहा जिसके वर्ष 2021-22 में 1.52 करोड़ टन रहने का अनुमान है। मैक्सिको में मक्का का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 2.76 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
समूची दुनिया में वर्ष 2020-21 में मक्का का अंतिम स्टॉक 2.92 करोड़ टन रहा जो वर्ष 2021-22 के लिए 3.05 करोड़ टन आंका गया है। यह वर्ष 2019-20 में 3.06 करोड़ टन रहा।
Tuesday March 21,2023
वाशिंग्टन। अमरीकी कृषि विभाग (यूएसडीए) की अगस्त महीने की रिपोर्ट में मार्क वाशिंग्टन। अमरीकी कृषि विभाग (यूएसडीए) की अगस्त महीने की रिपोर्ट में मार्क . . . . .
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