50 करोड़ डॉलर से कम मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनी का इक्विटी इश्यू, इन्हे स्माल कैप स्टॉक्स भी कहा जाता है।
एंकल बाइटर : 50 करोड़ डॉलर से कम मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनी का इक्विटी इश्यू, इन्हे स्माल कैप स्टॉक्स भी कहा जाता है। इस तरह के इश्यू लार्ज कैप स्टॉक की तुलना में ज्यादा स्पेक्युलेटिव दिख सकते हैं। हालांकि, छोटे इश्यू में बढ़ने की संभावना ज्यादा रहती है और ये सामान्यत: लार्ज कैप को आउटपरफार्म करते हैं। ये स्टॉक बाद में बढ़कर लार्ज कैप की जमात में शामिल हो जाते हैं।
एस्प्रिन काउंट थ्योरी : इस थ्योरी या अवधारणा के मुताबिक शेयर के भाव और एस्प्रिन का उत्पादन विपरीत संबंध है। यह एक लेगिंग इंडीकेटर है जिसका औपचारिक आंकलन नहीं हुआ है, इसलिए यह एक मजाकिया परिकल्पना ज्यादा है। जब शेयरों के भाव गिरते हैं तो ज्यादा से ज्यादा दर्दनिवारक दवाओं का सहारा लेते हैं। इसलिए जब एस्प्रिन की बिक्री बढ़ती है तो शेयर बाजार गिरते हैं और जब बिक्री घटती है तो शेयर बाजार चढ़ते हैं।
असेट स्ट्रिपर : कोई व्यक्ति या कंपनी जो किसी कॉर्पोरेशन को इसलिए खरीदते हैं कि उसे टुकड़ों में बांट कर बेंचे जिससे मुनाफा मिल सके। उदाहरण के लिए एक असेट स्ट्रिपर बैटरी कंपनी को 100 करोड़ में खरीदता है और उसे बांटकर आर एंड डी डिवीजन को 30 करोड़ और बाकी कंपनी को 85 करोड़ में बेंच देता है जिससे उसे 15 करोड़ का फायदा होता है।
आंट मिली : यह एक स्लैंग टर्म है जिसका मतलब होता है अशिक्षित या मूढ़ निवेशक। वित्तीय क्षेत्र में इसे व्यंगात्मक तौर पर खराब निवेश चयन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। फाइनेंशियल प्रोफेशनल्स निवेश से अनभिज्ञ लोगों के लिए आंट मिली इंवेस्टमेंट की सलाह देते हैं क्योंकि वे निवेश को ग्राहक से मैच करते हैं। इसलिए वे सामान्यत: ऐसे लोगों के लिए सरल और कम जोखिम वाले निवेश विकल्पों की सलाह देते हैं।
बैंडवैगन इफेक्ट : यह एक साइकोलॉलिजक प्रक्रिया है जिसमें लोग अपनी खुद की धाऱणा को नजरअंदाज करते हुए कोई काम इसलिए करते हैं क्योंकि दूसरे लोग वह कर रहे होते हैं। यह इफेक्ट राजनीति और कंज्युमर बिहेवियर में देखा जाता है। बुल मार्केट और असेट बबल को दौरान भी इस तरह का व्यवहार देखा जाता है।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
शेयर बाजार में कई तरह के तकनीकी शब्द प्रचलित हैं। जानिए ऐसे ही कुछ शब्द.. बॉटम फिशर, कैट्स एंड डाग्स, शैंपेन स्टॉक।बॉटम फिशर : ऐसे निवेशक जो शेयरों में तेज गिरावट के बाद निचले स्तर पर खरीदी करते हैं। इस तरह के निवेशक मानते हैं कि गिरावट तात्कालिक है और भाव जल्द बढ़ जाएंगे।
कैट्स एंड डाग्स : ऐसे सट्टात्मक शेयर जिनका बिक्री, आय और डिविडेंड का रिकॉर्ड संदेहजनक रहता है। इस शब्द की उत्पत्ति डॉग्स से हुई है जिसका उपयोग सामान्यत: अंडरपरफॉर्मिंग शेयरों के लिए किया जाता है। बुल मार्केट में विश्लेषक सामान्यत: कहते हैं कि सभी ऊपर जा रहे हैं यहां तक कि कैट्स एंड डाग्स।
शैंपेन स्टॉक : ऐसे शेयर जिनके भाव नाटकीय ढंग से बढ़े हों। शैंपेन स्टॉक निवेशकों को खासा पैसा कमाकर देते हैं। इस शेयर किसी भी सेक्टर या इंडस्ट्री के हो सकते हैं। ऐसे स्टॉक छोटी अवधि में ही दो या तीन गुना बढ़ जाते हैं।
शेयर बाजार के इंडेक्स में किसी कंपनी का वेटेज (भारिता) तय करने के लिए दो विधियां हैं। एक, फ्री फ्लोट और दूसरी, फुल फ्लोट। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ्री फ्लोट विधि को तरजीह दी जाती है क्योंकि इसके तहत कारोबार के लिए उपलब्ध शेयरों को हिस्सेदारी तय करने के समय आधार बनाया जाता है।
फ्री फ्लोट: इस विधि के तहत इंडेक्स में कंपनी का वेटेज इसके कारोबार के लिए उपलब्ध शेयरों के आधार पर तय किया जाता है। इसमें उन शेयरों को गणना नहीं की जाती है जो प्रवर्तकों और संस्थानों के पास होते हैं। इसके परिणामस्वरूप जिन कंपनियों में प्रवर्तकों या संस्थानों के पास ज्यादा संख्या में शेयर होंगे, उनके वेटेज में कमी आएगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ्री फ्लोट विधि को तरजीह दी जाती है क्योंकि इसके तहत कारोबार के लिए उपलब्ध शेयरों को हिस्सेदारी तय करने के समय आधार बनाया जाता है।
फुल फ्लोट: इसके तहत इंडेक्स में कंपनी का वेटेज उसके कुल बाजार पूंजीकरण के आधार पर तय होता है। इसमें प्रवर्तकों और संस्थानों के नियंत्रण वाले शेयरों को भी शामिल किया जाता है।
निवेश शब्दावली के तहत आज ए डी इंडेक्स, ब्लू चिप शेयर, कंट्रेरियन शेयर के बारे में चर्चा करेंगे। ए डी इंडेक्स के माध्यम से निवेशक खुद यह जान सकते हैं कि शेयर बाजार में तेजी रहेगी या नरमी।
ए डी इंडेक्स : इस इंडेक्स का उपयोग शेयर बाजार की तेजी या मंदी के रुख का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसकी गणना के लिए एक दिन में जिन शेयरों के मूल्य बढ़ते हैं उनकी संख्या में उन शेयरों की संख्या का भाग दिया जाता है जिनके मूल्य उस दिन गिरे हैं। यदि इंडेक्स 1 से अधिक होता है तो बाजार में तेजी का रुख माना जाता है लेकिन यदि इंडेक्स 1 से कम होता है तो मंदी का रुख माना जाता है।
ब्लू चिप शेयर : इस श्रेणी में उन शेयरों को शामिल किया जाता है जो सभी को पसंद होते हैं। इनमें किया गया निवेश सुरक्षित और बहुत ही लाभप्रद होता है। यह ख्याति प्राप्त कंपनियों के शेयर होते हैं। इन शेयरों पर वर्तमान लाभ तो कम होता है लेकिन पूंजीगत लाभ अधिक होता है। इन्हें ग्रोथ शेयर भी कहा जाता है।
कंट्रेरियन शेयर : इस श्रेणी में उन शेयरों को शामिल किया जाता है जो बाजार के रुख से अलग दिशा में चलते हैं। अर्थात यदि बाजार में भाव बढ़ रहे हैं ता इन शेयरों के भाव घटते हैं और यदि बाजार का रुख गिरावट का होता है तो इन शेयरों के दाम बढ़ते हैं।
मुंबई। शेयर निवेशकों को निवेश के दौरान अनेक शब्दों का सामना करना पड़ता है। निवेश के दौरान दो चार होने वाले शब्दों का खुलासा करने के लिए हमने निवेश शब्दावली सेक्शन शुरु किया। इस सेक्शन में आज जानिए ब्लैक स्वान, बेलवैदर स्टॉक, कर्ब ट्रेडिंग को।
ब्लेक स्वान : ब्लेक स्वान ऐसी घटनाएं होती हैं जिनका पूर्वाभाष होना मुश्किल होता है। उदाहरण के लिए रुस सरकार द्वारा डेब्ट डिफाल्ट किए जाने से हैज फंड का पहले काफी सफल रह चुका लांग टर्म कैपिटल मेनेजमेंट मॉडल (एलटीसीएम) जमींदोज हो गया। रुस सरकार द्वारा डेब्ट डिफॉल्ट करना एक ब्लेक स्वान घटना है क्योंकि कोई भी एलटीसीएम कंप्यूटर मॉडल इस घटना और इसके असर की भविष्यवाणी नहीं कर सकता था।
बेलवैदर स्टॉक : ऐसा शेयर जो पूरे सैक्टर, इंडस्ट्री या बाजार की दिशा बताने वाले लीडिंग इंडीकेटर हो। बेलवैदर स्टॉक सामान्यत: ऐसा लार्ज कैप शेयर होता है जो अगर अच्छा परफार्म कर रहा है तो मार्केट में तेजी का संकेत मिलता है जबकि कमजोर परफार्म करता है तो मंदी के आसार रहते हैं। हालांकि, कई शेयर बेलवैदर स्टॉक हो सकते हैं लेकिन सामान्यत: शिपिग व रेलवे को अर्थव्यवस्था के अच्छे बेलवैदर स्टॉक माना जाता है।
कर्ब ट्रेडिंग : आधिकारिक एक्सचेंज के बाहर होने वाले कारोबार को कर्ब ट्रेडिंग कहा जाता है। सामान्यत:कर्ब ट्रेडिंग एक्सचेंज बंद होने के बाद फोन या कंप्यूटर से होती है।
निवेश शब्दावली के तहत आज बॉटम अप इंवेस्टिंग, कैश काउ, कोटैल इंवेस्टिंग के बारे में चर्चा करेंगे।
बॉटम अप इंवेस्टिंग : निवेश की बॉटम अप एप्रोच निवेशक इकॉनॉमिक और मार्केट साइकिल के महत्व को अहमियत नहीं देता बल्कि किसी खास शेयर को उसके गुण-दोष के आधार पर खरीदता है। बॉटम अप एप्रोच में निवेशक इंडस्ट्री की बजाय कंपनी पर अपना फोकस रखता है। इस तरह की निवेश रणनीति में यह माना जाता है कि इंडस्ट्री अच्छी प्रदर्शन भले न करें लेकिन उसके अंतर्गत आने वाली कोई खास कंपनी अच्छा प्रदर्शन करेगी।
कैश काउ : बीसीजी ग्रोथ-शेयर मेट्रिक्स के चार भागों में कैश काउ एक भाग है जो कंपनी के ऐसे डिवीजन या किसी बड़े ग्रुप की ऐसी कंपनी को दर्शाता है जिसका किसी मैच्योर इंडस्ट्री में बड़ा मार्केट शेयर है। कैश काउ बिना किसी बड़े निवेश के लगातार पोजिटिव कैश फ्लो देती रहेगी जिसे कंपनी की दूसरे डिवीजन या ग्रुप की किसी दूसरी कंपनी में निवेश किया जा सकता है।
कोटैल इंवेस्टिंग : ऐसी निवेश रणनीति जिसमें निवेशक नामी और सफल निवेशकों के कारोबार का अनुशरण करते हुए पैसा लगाते हैं। अगर आप होल्ड करने के लिए शेयर ले रहे हैं तो यह रणनीति काफी कारगर होती है।
Tuesday March 21,2023
50 करोड़ डॉलर से कम मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनी का इक्विटी इश्यू, इन्हे 50 करोड़ डॉलर से कम मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनी का इक्विटी इश्यू, इन्हे . . . . .
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