टर्म इंश्योरेंस खरीदने के पहले क्या कभी आपने अपनी खुद की कीमत जानने की कोशिश करी है, (What is the cost of life? How Much Insurance required?) वैसे तो जिंदगी की कीमत कोई नहीं लगा सकता है क्योंकि यह अनमोल है। लेकिन किसी भी आकस्मिक अनचाही दशा से निपटने के लिए हमें हर समय तैयार रहना चाहिए और अपने परिवार और खुद के लिए हमें बीमा खरीदना चाहिए। जिससे किसी अनहोनी की दशा में कम से कम हमें या परिवार को सहारा रहे। हालांकि पैसा किसी इंसान की कमी को पूरा नहीं कर सकता है, लेकिन कम से कम आपके पास अच्छे से रहने का विकल्प उपलब्ध करवाता है। जिस जीवन स्तर पर आप अभी रह रहे हैं और अगर कमाने वाले की ही मृत्यु हो जाती है तो कम से कम अभी के मौजूदा जीवन स्तर पर तो आप अपना जीवन यापन कर पाएं और आगे के जो भी लक्ष्य हैं वे पूर्ण कर पाएं।
यह जानकारी केवल कमाने वाले के लिए ही जरूरी नहीं है, बल्कि उनके ऊपर आश्रित परिवार के लिए उससे भी ज्यादा जरूरी है, क्योंकि अगर कमाने वाले के साथ कोई अनहोनी होती है तो कम से कम वे लिए गए बीमा का सही तरीके से उपयोग अपने जीवन में कर पाएं। इसलिए खुद के साथ-साथ अपने परिवार को भी वित्तीय ज्ञान देना बहुत आवश्यक है।
जैसे हम बाजार जाते हैं तो हम हर वस्तु की कीमत उस पर लिखी हुई देख सकते हैं, क्या हम वैसे ही अपनी जिंदगी की कीमत भी लगा सकते हैं? लेकिन हमें किसी न किसी प्रकार तो अपनी जिंदगी की कीमत की गणना करनी ही चाहिए, तभी हम सही रकम का टर्म इंश्योरेंस खरीद सकते हैं। हमें अपनी कमाई और अपने खर्चों को देखकर ही अपनी जिंदगी की कीमत की गणना करनी चाहिए। जितना आपका खर्चा है उसमें उतने वर्ष से गुणा कर दीजिये, जितने वर्ष आपके सेवानिवृत्ति के बचे हैं, तो आपको मोटे तौर पर अपने जीवन की कीमत पता चल जायेगी। ध्यान रखें इसमें हर वर्ष अपने खर्चों में लगभग 10-15 प्रतिशत बढ़ा लें, क्योंकि हर वर्ष मुद्रास्फीति और महंगाई भी बढ़ती जाएगी।
यह कोई अंगूठाछाप नियम नहीं है जीवन की कीमत पता लगाने का, लेकिकन इसमें आप अपने बहुत से लक्ष्यों को जोड़ सकते हैं। हम इस बात को साधारण तरीके से भी समझ सकते हैं जैसे कि अगर आज की कमाई छह लाख रूपए सालाना है और उम्र लगभग 35 वर्ष है और सेवानिवृत्ति की उम्र 60 वर्ष है, तो सेवानिवृत्ति के 25 वर्ष बाकी हैं, यहां व्यक्ति को कम से कम 10 गुना 60 लाख रूपयों का टर्म इंश्योरेंस और अधिकतम 20 गुना याने कि 1.20 करोड़ रूपए का बीमा लेना चाहिए। अगर गृह ऋण ले रखा है तो गृह ऋण को भी टर्म इंश्योरेंस की रकम में जोड़ना चाहिए। यहां अगर ऋण 20 लाख रूपए बकाया है तो आपको 1.40 करोड़ रूपए का टर्म इंश्योरेंस लेना चाहिए।
याद रखिये कि जीवन की कीमत हम केवल आज के खर्चों और आने वाले खर्चों के अनुमान से ही लगा सकते हैं। जीवन की कीमत अनमोल है, समय समय पर अपने जीवन की कीमत लगाकर देख लेना चाहिए कि कहीं बीमा कम तो नहीं रह गया, अगर कमाई बढ़ती है और जिम्मेदारियां बढ़ती हैं तो आपको बीमे की रकम बढ़ानी चाहिए, जिससे जिन अपनों के लिए आप बीमा ले रहे हैं यानि कि परिवार के लिए, तो वे आपकी अनुपस्थिति में कम से कम आपकी इस छोटे और बेहद महत्वपूर्ण निर्णय से हमेशा खुश रह सकें।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
सबसे पहली बात कि आपका आकस्मिक फंड यानि की आकस्मिक रकम हमेशा आपके पास तैयार होनी चाहिए, जो कि आपके बचत खाते से जुड़े मियादी जमा के रूप में होनी चाहिए। या फिर किसी म्युचुअल फंड में जो कि बहुत उतार चढ़ाव वाला न हो, क्योंकि आजकल म्युचुअल फंड से भी आपको पैसा मात्र 24 घंटों में ही आपके खाते में जमा हो जाता है।
अब आते हैं सवाल की और कि क्या अपने जीवन बीमा में भरने वाली रकम पर ऋण ले सकता हूं, जी हां अगर आपका जीवन बीमा एन्डोमेंट पॉलिसी है तो आप जीवन बीमा के लिए जमा की गई रकम के विरूद्ध ऋण ले सकते हैं। बैंक आपकी जीवन बीमा कंपनी की पॉलिसी को लेगा और उस पर ऋण लिया गया है, का स्वत्व लगवा कर जीवन बीमा कंपनी को निर्देशित कर देगा। और आपको एक डिमांड लोन याने कि मांग ऋण दे देगा। कई बैंके इस ऋण को अधविकर्ष खाता यानि कि ओवरड्रॉफ्ट भी कहते हैं।
इस ऋण की वजह से आप अपनी जीवन बीमा पॉलिसी सरेंडर नहीं कर पाएंगे, जब तक कि आप पूरा पैसा बैंक को जमा नहीं करवा देते और अपनी पॉलिसी को बैंक के स्वत्व से छुड़ा नहीं लेते।
आजकल तो कई जीवन बीमा कंपनियां खुद भी अपनी एन्डोमेंट पॉलिसी के विरूद्ध ऋण दे देती हैं।
जीवन बीमा पॉलिसी के विरूद्ध लिए गए ऋण पर हर बैंक का अपना अलग ब्याज दर हो सकता है। और वैसे ही कितनी रकम वे आपको ऋण देंगे, ये बैंक ही आपको बताएगा, अगर जीवन बीमा कंपनी से ऋण लेते हैं तो वहां प्रोसेस सरल है और आसानी से ऋण मिल जाता है। हां, थोड़ी ब्याज दर ज्यादा हो सकती है।
ध्यान रखें कि जीवन बीमा पॉलिसी पर ऋण तभी मिलेगा जब कि आपकी जीवन बीमा पॉलिसी एन्डोमेंट है, अगर टर्म इंश्योरेंस है तो आपको आपकी जीवन बीमा पॉलिसी पर कोई ऋण नहीं मिलेगा, क्योंकि टर्म बीमा में कोई सरेंडर वैल्यू नहीं होती है। अगर मनी बैक पॉलिसी है और अगर कोई पेमेंट आनी है तो बीमा कंपनी उस मनी बैक को अपने ऋण में जमा कर लेगी। वह रकम ग्राहक को नहीं दी जाएगी, क्योंकि उस जीवन बीमा पॉलिसी पर ऋण चल रहा है।
ऋण लेने के बावजूद आपका जीवन बीमा चलता रहेगा, अगर जीवन को किसी भी प्रकार का आघात लगता है तो नामांकित व्यक्ति को अपना दिया गया ऋण की रकम काटकर जीवन बीमा कंपनी पैसा दे देती है।
सभी लोग जीवन बीमा लेते हैं, लेकिन उन्हें पता ही नहीं होता है कि जीवन बीमा कितने प्रकार के होते हैं और उसके बीच क्या अंतर होता है। यहां आप संक्षेप में विभिन्न प्रकार के बीमा प्लॉन के बारे में समझ पाएंगे।
टर्म लाईफ पॉलिसी (Term Insurance) : जीवन बीमा यानि कि टर्म लाईफ पॉलिसी एक निश्चित समय अंतराल में बिना किसी बचत या लाभ के आपके जीवन को जोखिम से सुरक्षा देती है। एक निश्चित रकम या बीमित रकम निर्देशित नामित व्यक्ति को दे दी जाती है अगर बीमाधारक की पॉलिसी के समय में मृत्यु हो जाती है और अगर बीमाधारक को पॉलिसी के समय में कुछ नहीं होता है तो किसी को भी कोई भुगतान नहीं दिया जाता। क्योंकि यह एक शुद्ध जीवन बीमा है, जिनका प्रीमियम अन्य पॉलिसीयों से बहुत कम होता है।
एन्डोमेन्ट बीमा पॉलिसी (Endowment Plans) : एन्डोमेन्ट बीमा पॉलिसी जोखिम से सुरक्षा देने के साथ ही वित्तीय बचत का भी एक उत्पाद है। बीमाधारक को इस बीमा में दो फायदे हैं – अगर बीमा अवधि के अंदर बीमाधारक की मृत्यु हो जाती है तो नामित व्यक्ति को बीमा की रकम मिल जाती है और अगर बीमा अवधि में बीमाधारक को कुछ नहीं होता है तो बीमाधारक ने जो प्रीमियम जमा किया था उसके साथ ही उसके निवेशित उत्पाद बीमा पर बोनस भी मिलता है। अगर बीमाधारक की मृत्यु बीमे की अवधि में होती है तो नामित व्यक्ति को बीमित रकम दे दी जाती है और ध्यान रखें एन्डोमेन्ट बीमा प्लॉन उच्च प्रीमियम और शुल्कों पर कम बीमा के साथ उपलब्ध होते हैं।
संपूर्ण जीवन (Whole Life) : संपूर्ण जीवन पॉलिसी बीमा धारक को उसके पूर्ण जीवन काल के लिए बीमा देती है, जो कि नाम से भी विदित होता है। इस पॉलिसी में बीमा धारक को प्रीमियम कुछ निश्चित वर्षों तक भरना होता है और 100 वर्ष की उम्र इस पॉलिसी के लिए परिपक्वता अवधि होती है। अगर बीमाधारक 100 वर्ष से ज्यादा जीवित रहता है तो वह प्लॉन एन्डोमेन्ट पॉलिसी में बदल जाता है।
यूनिट लिंक्ड बीमा प्लॉन (ULIP) : यूलिप एन्डोमेन्ट बीमा का ही एक प्रकार है क्योंकि यह बाजार से जुड़े होते हैं और निवेश के लिए उत्पाद में भी गिने जाते हैं। साथ ही जीवन बीमा भी देते हैं, तो यूलिप के जरिये आप अपने निवेश को बाजार में लगा सकते हैं जिससे रिटर्न मिलने की उम्मीद ज्यादा होता है और साथ ही बीमा भी रहता है। यूलिप में आप अपने जोखिम का अनुपात खुद निश्चित कर सकते हैं कि कितने प्रतिशत आप इक्विटी में लगाना चाहते हैं जिससे कि अच्छा रिटर्न मिले और कितना प्रतिशत सुरक्षित निवेश उत्पादों में निवेश करना चाहते हैं यानि कि डेब्ट बाजार में। यूलिप को साधारणतया: लंबी अवधि के लक्ष्यों के साथ जोड़कर उपयोग किया जाता है, जैसे कि सेवानिवृत्ति, बच्चों की शिक्षा और बच्चों की शादी।
मनीबैक पॉलिसी (Money Back Plans) : मनीबैक भी एन्डोमेन्ट पॉलिसी का एक प्रकार ही है, जिसमें कि जीवन बीमा और निवेश के जरिये पैसे को इकट्ठा करना ही मुख्य उद्देश्य होता है, इस पॉलिसी में निश्चित अवधि और नियत समय पर कुछ निवेश का पैसा वापिस से निवेशक को लौटा दिया जाता है। अगर बीमाधारक अपनी पॉलिसी की अवधि में जीवित रहता है तो उसको बाकी बचा हुआ निवेश लौटा दिया जाता है और बीमाधारक की मृत्यु होने पर नामित व्यक्ति को बीमित रकम प्रदान कर दी जाती है।
एन्यूटी और पेन्शन प्लॉन (Annuities and Pension Plans) : इस तरह की पॉलिसी में बीमा कंपनी बीमित व्यक्ति को एक समय के बाद या सेवानिवृत्ति के समय निवेशित रकम से बनी निश्चित रकम जिसका वायदा उन्होंने किया था या सेवानिवृत्ति के बाद निश्चित पूर्व निर्धारित निश्चित समयावधि के बाद रकम देती रहती हैं। इससे निवेशक अपना सेवानिवृत्ति भी प्लॉन कर सकता है।
वर्ष 1999 के भारतीय बीमा विनायामक एवं विकास कानून जो कि 10 अप्रैल 2000 से लागू हुआ, इससे भारतीय बीमा बाजार में बीमा के क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव हुए। हालांकि भारतीय बाजार कई व्यावसायिक क्षेत्रों में निजी एवं विदेशी कंपनियों के लिए बहुत पहले 1991 में ही खोल दिए गए थे। बीमा क्षेत्र उस समय इस बदलाव से दूर ही रहे। फिर भी बीमा क्षेत्र में एक नये युग का शुरूआत तब हुई जब भाबीविवि (IRDA) ने निजी बीमा क्षैत्र की कंपनियों को वर्ष 2000 के अंत में लाइसेंस देने की प्रक्रिया शुरू की। बीमा क्षैत्र निजी कंपनियों के लिए खोलने के पहले तक भारत सरकार की दो कंपनियों का ही भारतीय बाजार पर वर्चस्व था – जीवन बीमा (भारतीय जीवन बीमा निगम LIC of India) एवं साधारण बीमा (भारतीय साधारण बीमा निगम General Insurance Corporation of India)।
भारतीय बीमा बाजार : अपने निजी क्षेत्रों के प्रवेश के बाद 16वें वर्ष में चल रहा है। निजी क्षेत्रों की बीमा कंपनियों को भारतीय बाजार में लाने का मुख्य उद्देश्य बीमा के प्रति जागरूकता, समझ और निवेश बढ़ाना था। आजकल, बीमा क्षेत्र भारत के वित्तीय बाजार में बहुत तेजी से उभर कर आया है। भारत में 53 बीमा कंपनियों में 24 जीवन बीमा व्यवसाय में और 28 साधारण बीमा व्यवसाय में हैं। एक सोल रि-इन्श्योरर जो कि सभी 53 बीमा कंपनियों के लिए है वह है भारतीय साधारण बीमा निगम General Insurance Corporation of India)। इन 53 कंपनियों में 8 सार्वजनिक क्षेत्र और बाकी की 45 कंपनियाँ निजी क्षेत्र की हैं। भारतीय बीमा बाजार के निजीकरण से बीमा उत्पादों में उत्तरोत्तर प्रगति, बीमा क्षैत्र में फैलाव और आबादी के हिसाब से बीमा का घनत्व बड़ रहा है, जिससे बीमा व्यापार की कार्यकुशलता बढ़ाने में मदद मिल रही है।
भारतीय बीमा बाजार में साधारण बीमा क्षैत्र में मांग-आपूर्ति :
जीवन बीमा के अलावा कुछ और बीमित करना साधारण बीमा कहलाता है, साधारण बीमा इस प्रकार से होते हैं –
संपत्ति बीमा – इस बीमा में संपत्ति को कोई भी नुक्सान किसी अप्रत्याशित घटना से हो, बीमित होता है, जैसे कि आग लगना, भूकंप, बाढ़ इत्यादि।
परिवहन बीमा – इस बीमा में सामान का बीमा जो समुद्री, हवा या सड़क मार्ग से परिवहन हो रहा हो, बीमित होता है।
वाहन बीमा – इस बीमा में वाहन को नुक्सान या क्षति की दशा में और साथ ही अन्य पक्ष को नुक्सान की देयता होती है जो कि वाहन के उपयोग से किसी भी समय आ सकती है।
उत्तरदायित्व बीमा – इस बीमा को कंपनियों द्वारा करवाया जाता है, जो कि खासकर कंपनी के व्यापार से संबंधित होता है साथ ही इसी बीमा में कानूनी दायित्व, काम करने वाले मजदूरों का बीमा भी होता है।
दुर्घटना एवं स्वास्थ्य बीमा – स्वास्थ्य बीमा व्यक्तियों द्वारा अपने लिए या परिवार के लिए लिया जाता है, जिससे बीमार होने के दशा में होने वाले खर्च के जोखिम को उठाता है। कंपनियां भी अपने कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा लेती हैं। दुर्घटना बीमा में व्यक्ति को दुर्घटना होने की दशा में हर अंग का बीमा होता है और दुर्घटना से हुई मृत्यु का बीमा भी इस बीमा में होता है।
साधारण बीमा का आर्थिक रूप से अगर ब्यौरा देखा जाए तो हमारे सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.7 प्रतिशत है। बीमा बाजार में अभी विकास की बहुत संभावनाएं हैं, क्योंकि साधारण बीमा हमारे आबादी के घनत्व के हिसाब से बहुत कम लोगों द्वारा लिया जाता है। साधारण बीमा का बीमा शुल्क पिछले 13 वर्षों में 13.8 प्रतिशत तक बड़ा है। 13 वर्ष पहले 436 लाख पॉलिसी बिकी थीं वहीं अब इनकी संख्या 1260 लाख पॉलिसी हैं। पॉलिसी की बिक्री का औसत हर वर्ष 9.2 प्रतिशत बढ़ोतरी लिए रहा है। एक रपट के मुताबिक कुल बीमा में वाहन बीमा का हिस्सा 39.41 प्रतिशत और स्वास्थ्य बीमा का हिस्सा 27.75 प्रतिशत रहा है।
साधारण बीमा में सार्वजनिक क्षेत्रों की कंपनियों ने 57.2 प्रतिशत की हिस्सेदारी की है, जिसमें केवल न्यू इंडिया बीमा कंपनी का 19 प्रतिशत हिस्सा है।
भारत में साधारण बीमा क्षेत्र में बदलाव
1973 – साधारण बीमा व्यापार को 1 जनवरी 1973 को राष्ट्रीयकृत किया गया। लगभग 107 कंपनियों को 4 बड़ी कंपनयों में विलय कर दिया गया जो कि नेशनल इन्शोयरेंस कंपनी, न्यू इंडिया इन्श्योरेन्स कंपनी, ओरियेंटल इन्श्योरेन्स और यूनाईटेड इन्श्योरेन्स कंपनी हैं, भारतीय साधारण बीमा निगम General Insurance Corporation of India वर्ष 1971 में गठित किया गया था और अपने बीमा व्यवसाय की शुरूआत उपरोक्त चार सहायक कंपनियों के साथ 1 जनवरी 1973 से की।
2000 – दिसंबर 2000 में भारतीय साधारण बीमा निगम General Insurance Corporation of India की सहायक कंपनियों का पुनर्गठन किया गया और सबको स्वतंत्र कंपनियां बना दिया गया। भारतीय साधारण बीमा निगम General Insurance Corporation of India को राष्ट्रीय रिइन्श्योरर में बदल दिया गया। भारतीय साधारण बीमा निगम General Insurance Corporation of India अपनी सहायक कंपनियों के प्रति पर्यवक्षकीय कार्य से भी मुक्त हुआ।
2002 – संसद ने जुलाई 2002 में बिल पास कर भारतीय साधारण बीमा निगम General Insurance Corporation of India की चारों सहायक कंपनियों का स्वामित्व अधिकार भारत सरकार को दे दिया।
2005 – संसद में बिल पास किया गया, जिसके तहत 49 प्रतिशत विदेशी निवेशक निवेश कर सकें और 26 प्रतिशत के निवेश होने पर विदेशी निवेशक प्रमोशन बोर्ड सम्मति लेना होती है।
2012 – IRDA ने साधारण बीमा करने वाली कंपिनयों को आईपीओ शेयर इश्यू करने के लिए कुछ नये नियम लागू किये, जहाँ बीमा करने वाली कंपनी की वित्तीय स्थिति, उनका वित्तीय ढाँचा और नियामकों के रिकार्ड कुछ चुने हुए मापदंडों के तहत देखे जाएंगे।
2016 – 49 प्रतिशत तक के विदेशी निवेश को सीधे छूट दे दी गई।
वर्ष 2000, जबसे साधारण बीमा व्यापार आया है, तब से इस व्यापार ने परिचालन संबंधित संतोषजनक एवं ठोस बदलाव देखे हैं। इसके लिए नियामक के नए नियमों में जो बदलाव किया गये हैं, भी एक महत्वपूर्ण कारण है। वर्ष 2015 में बीमा बिल को पास किया गया था जिससे विदेशी निवेशक बीमा क्षैत्र में 26 की बजाय 49 प्रतिशत तक निवेश कर सकते हैं, इससे देश के निजी बीमा क्षेत्र में क्रांति ही आ गई है। इस बीमा बिल से सार्वजनिक क्षैत्र की चारों कंपनियों को बाजार से पूंजी उगाहने की अनुमति भी मिल गई है। इससे सरकारी हिस्सा 100 प्रतिशत से 51 प्रतिशत तक हो जाएगा। अभी बीमा कंपनियों में सरकारी हिस्सा 100 प्रतिशत है। बीमा कंपनियां 49 प्रतिशत हिस्सा बेचकर अपने व्यापार को बड़ा सकती हैं और बाजार की प्रतिस्पर्धा में खड़ी रह सकती हैं। 2016-17 के बजट में सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियां बाजार में लिस्ट होकर पैसा उगाह सकती हैं। भविष्य में सार्वजिनक कंपनियों में जब जनता की होल्डिंग भी होगी तो अधिक पारदर्शिता और उत्तरादायित्व सरकार पर होगा।
भारत सरकार ने दो नई बीमा योजनाएं बाजार में उतारी हैं जिनकी 2015-16 यूनियन बजट में घोषणा की गई थी। पहली है प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY), जो कि निजी दुर्घटना बीमा योजना है। यह योजना सभी सार्वजनिक क्षैत्र की बीमा कंपनियों द्वारा दी जा रही है, और कोई बीमा कंपनी अगर इस योजना को लागू करना चाहती है तो वे बैंक के साथ समझौता करके योजना को बाजार में उतार सकते हैं। दूसरी बीमा योजना है प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY), यह एक सरकारी जीवन बीमा योजना है। दोनों योजनाएं जनता को कम से कम दाम में बुनियादी बीमा सुविधाएं देती हैं और बहुत ही आसानी से इन योजनाओं को विभिन्न सरकारी संस्थाओं और निजी क्षेत्र की संस्थाओं से लिया जा सकता है।
इरडा ने 12 जुलाई 2016 को स्वास्थ्य बीमा नियम 2016 पेश किया और यह नियम स्वास्थ्य बीमा नियम 2013 को बदल देगा। स्वास्थ्य बीमा नियम 2016 में नई अवधारणा को पायलट प्रोडक्ट को पेश किया गया है। जिसमें उत्पाद को बनाते समय उन सभी प्रकार के जोखिमों को भी बाजार में उतारा जाएगा, जो बाजार में अभी तक उपलब्ध ही नहीं हैं। पायलट प्रोडक्ट जो कि साधारण बीमा और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों द्वारा बाजार में उतारे जाने हैं, उनकी समयावधि एक वर्ष से अधिकतम पांच वर्ष तक की होगी। सामूहिक रूप में ऋण से संबंद्ध स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को भी लाया जाएगा और इन नए नियमों में समयावधी बढ़ाकर अधिकतम पांच वर्ष कर दी गई है। यह योजना साधारण एवं स्वास्थ्य बीमा कंपनियों द्वारा बाजार में लाई जाएगी। अभी तक जीवन बीमा कंपनियां बैंकों से गृह ऋण लेने पर जीवन बीमा दे ही रही थीं, अगर ऋणी की मृत्यु ऋण चुकाने के पहले हो जाती है तो जीवन बीमा बैंक को ऋण की रकम चुका देते हैं। इसी तरह से स्वास्थ्य संबंधी बीमा योजनाएँ कार्य करेंगी अगर ऋणी बीमार पड़ जाता है और ऋण नहीं चुका पा रहा है तो स्वास्थ्य बीमा कंपनियां बैंक को ऋण का पैसा देंगी।
नियामक के ढांचे में सुधार से स्वास्थ्य बीमा उत्पादों को बीमा कंपनियों द्वारा और ज्यादा जबाबदेह बनाया जाए और उत्पाद प्रबंधन समिती सुनिश्चित करेगी कि कोई भी बीमा बाजार में उतारें उससे पहले देख लें कि उत्पाद नियामक और कानूनों के मानदंडों पर खरे उतर रहे हों। इन सबके होने से नए तरह के उत्पादों की खोज होगी और नए इन्नोवेटिव उत्पाद बाजार में आएंगे।
जुलाई 2016 में जनरल इंश्योरेन्स काउंसिल ऑफ इंडिया नें जितने भी क्लेम धोखाधड़ी से हुए हैं उनका एक डाटाबैंक बनाने की पहल की है। साथ ही कंपनियों के आपसी भुगतान को जो कि रूके हुए हैं उनके लिए क्लियरिंग हाऊस बनाने की पहल की है, एवं सभी कंपनियों की कमर्शियल बीमा पॉलिसी की पॉलिसी वर्डिंग को एक मानकीकरण पर लाया जायेगा। काउंसिल ने सॉफ्टवेयर बनाने के लिए बाजार से कंपनियों को आऊटसोर्स किया है जो कि सभी कंपनियों की पॉलिसी वर्डिंग को डिजिटाईज करने की प्रक्रिया में सहयोग करेगी। इरडा ने जून 2016 में दो कमेटियों का गठन किया जिनका मूल कार्य था ई-कॉमर्स को प्रमोट करना, जिससे बीमा का व्यापार और पहुँच को ओर बढ़ाया जा सके और इसमें फाईनेंशियल इन्कलूसन को भी लाया जा सके। इसमें कुछ महत्वपूर्ण बातों को शामिल किया गया है –
बीमा का खुद का एक सेल्फ नेटवर्क प्लेटफॉर्म जो कि तकनीक रूप से उन्नत हो।
बीमा का सेल्फ नेटवर्क प्लेटफॉर्म बीमा कंपनियों की ई-कॉमर्स गतिविधियों पर नजर रखेगी, जैसे कि बीमा बेचना और बीमा उत्पादों पर दी जाने वाली सेवायें।
साधारण बीमा क्षेत्र में भविष्य का बीमा बाजार :
भविष्य में जैसे जैसे गाड़ियों में नई डिवाइस आ रही हैं जो कि गाड़ियों पर नजर रखेंगी कि किस तरस से चलाया जा रहा है मतलब कि ड्राईविंग पैटर्न और गाड़ी की स्थिती कैसी है। इसे टैलीमैटिक्स कहा जाता है। टैलीमैटिक्स से कार के चलाने को समझा जाता है, किस रफ्तार से कार चलाई जाती है कितनी देर में दूरियां तय की जाती है, कितने दिनों में कितने किमी कार चलाई जा रही है। इन सब डाटा के ऊपर बीमा कंपनियां बीमित कार और व्यक्ति की जोखिम देखकर बीमा का प्रीमियम निर्धारित करेंगी। ड्राईविंग पैटर्न पर को भी ऑनलाइन देखा जा सकेगा जो कि कार मालिक और कार ड्राइवर दोनों ही देख सकेंगे, बीमा कंपनियां इस पर भी अपना जोखिम निर्धारित कर सकेंगी।
आगे आने वाले वर्षों में बीमा कंपनियां नए प्रकार के उत्पाद बाजार में उतारेंगी, जिसमें कुछ अनूठी चीजें भी दिखाई देंगी। जैसे कि न्यू इंडिया एश्योरेन्स कंपनी ने अभी एक बीमा बाजार में उतारा है ग्रामीण बीमा पैकेज जिसमें किसान के घर, चल एवं अचल संपत्ति, मवेशी आदि को बीमा में लाया गया है। वहीं यूनाईटेड इन्श्योरेन्स कंपनी ने वर्कमैन मेडिकेयर पॉलिसी लाई है जिसमें नौकरी के दौरान दुर्घटना होने से अस्पतान में भर्ती और इलाज का खर्चा कवर किया गया है। सारी बीमा कंपनियां इसी तरह के कम प्रीमियम वाले नये बीमा उत्पाद बाजार में उतार रहे हैं, जिससे ज्यादा से ज्याद भारत की जनता बीमा का लाभ उठा सके। बीमा कंपनियां अपना सारा कार्य डिजिटल कर रही हैं जिससे बीमा कंपनी की लागत कम हो जाएगी और इससे 15-20 प्रतिशत तक जीवन बीमा में और 20-30 प्रतिशत तक साधारण बीमा में कीमत कम होने के आसार हैं।
भारत में बीमा रिनीवल की संख्या बढ़ रही है, नए बीमा बाजार में लगभग रोज ही आ रहे हैं और भारतीय जनता बीमा का लाभ उठा रहा है। हमारी सार्वाधिक संख्या गांव और कस्बों में है, हमारे यहां केवल मानवीय जीवन ही महत्वपूर्ण नहीं वरन हमसे जुड़े और जीवन जैसे कि पशु पक्षी भी हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, जो कि हमारी संवेदनाओं को छू जाते हैं। भारत का बीमा बाजार तेजी से बढ़ रहा है और भारत के बीमा बाजार में अपार संभावनाओं के कारण ही विश्व की सारी बीमा कंपनियां भारतीय बाजार की और नजर गड़ाए बैठी हैं।
आपको लगता है कि बीमा बहुत महंगा होता है, या फिर ये फालतू की चीज है तो ये बताइए कि आप अगर रोज के दो पान खाते हैं या 2-4 सिगरेट पीते हैं या फिर 2-4 चाय पीते हैं, तो कम से कम रोज के 20 से 25 रूपये तो खर्च करते ही हैं। अगर ये शौक नहीं फरमाते तो कोई और शौक फरमाते होंगे जिसमें 20 से 25 रूपए तो रोज खर्च होता ही होंगे जैसे कि गुटखा, खैनी, शराब, भांग इत्यादि। तो आप भले ही ये सब चीजें बंद न करें, परंतु क्या आपको पता है कि रोज के इतने रूपए अगर आप साल भर खर्च करते हैं तो ये लगभग 7,500 रूपए होते हैं, और इतने में 50 लाख का बीमा आ जाता है। मुझे पता है कि कई लोगों का तो यह खर्चा 100 रूपए से ज्यादा का भी होता है।
जरा सोचिये कि आप 20-25 रूपए अपने शौक पर खर्च कर सकते हैं परंतु यही 20-25 रूपए आप अपने परिवार, आपके अपने लोगों को आर्थिक सुरक्षा देने के लिये नहीं खर्च कर पाते हैं। क्योंकि हमारी सोच ही ऐसी नहीं है, बस यह सोच लीजिये कि आप ये जो 20-25 रूपए खर्च अपने लिए कर रहे हैं वह अगर आप अपने परिवार के लिए खर्च करेंगे तो उनकी नजरों में आपको लिए इज्जत और बढ़ जाएगी।
मुझे याद है कि मेरे एक मित्र जो मुझसे वरिष्ठ भी हैं, वे बस में सफर करते थे और मैं ऑटो में, तो वे कहते कि सप्ताह के आने जाने का ऑटो में जाने के खर्चे का हिसाब लगाओ और बस के खर्चे का हिसाब लगाओ, तो तुम्हें अपने आप ही पता चल जाएगा कि हम यही पैसा अपने परिवार के लिए या उनके साथ सप्ताहांत में उन पर खर्च कर आनंदित हो सकते हैं, हम बहुत सी बातों में कटौती करते हैं, परंतु हम अपनी आदतों पर कटौती करने से बाज नहीं आते हैं। और उनकी इसी बात से हम बहुत प्रभावित हुए, और हम बस का उपयोग करने लगे और परिवार भी अचानक से आए इस प्रकार के आनंद से खुश रहने लगा।
हम कहते हैं कि टर्म इंश्योरेंस में पैसा वापिस नहीं मिलता और हमें यह उम्मीद भी है कि आप यह समझते होंगे कि आप जिस भी लत में यह 20-25 रूपए खर्च कर रहे हैं तो वहां से भी आपको पैसा वापिस नहीं मिलने वाला है। अगर यही पैसा सही जगह लगाया जाए याने कि बीमा खरीद लिया जाए तो आपकी असामयिक मृत्यु के क्षणों में आपका परिवार इस समाज में सिर उठाकर सम्मान के साथ जी पाएगा, बच्चे भी अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएंगे। जिस प्रकार से जिंदगी अभी गुजार पा रहे हैं, तो कम से कम उस स्तर की जिंदगी आप अपने परिवार को दे पाएंगे। परिवार भी आपके इस निर्णय का स्वागत तभी कर पाएगा, जब वे इस प्रकार की किसी परिस्थिति में पड़ें। याद रखें कि बीमा हमेशा ही आपके अपनों की आर्थिक सुरक्षा के लिए है न कि किसी प्रकार के लाभ के लिए लिया जाता है।
जब भी बीमा लें तो टर्म इंश्योरेंस ही लें कोई भी एन्डोर्समेंट पॉलिसी या यूलिप पॉलिसी न लें, पैसा निवेश करने के लिए विशिष्ट निवेश करें जिसमें शेयर बाजार, म्युचुअल फंड या बैंक में सावधि जमा उत्पाद मुख्य हैं।
Tuesday March 21,2023
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