इंदौर। कॉटन सीड ऑयल केक के दाम लांग टर्म में और मजबूत होने की संभावना है। कॉटन सीड ऑयल केक यदि जून अंत तक 4500 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच जाए तो अचरज नहीं होना चाहिए। जबकि, कॉटन सीड भी 5000 रुपए प्रति क्विंटल का लेवल छू सकता है। कपास की उपलब्धता घटने से जिनिंग इकाइयां तेजी से बंद हो रही है जिससे साफ है आने वाले समय में कॉटन सीड की खासी शार्टेज देखने को मिल सकती है जिससे इसके साथ कॉटन सीड ऑयल केक के दाम भी ऊपर उठेंगे। यह कहना है आल इंडिया कॉटन सीड ऑयल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के को-ऑर्डिनेटर सुधीर अग्रवाल का।
अग्रवाल का कहना है कि कॉटन सीड ऑयल केक के दाम सोयाबीन डीओसी की तुलना में नीचे हैं सोयाबीन का मौजूदा भाव इंदौर में 7000 रुपए और सरसों का भाव 6600 रुपए प्रति क्विंटल के करीब चल रहा है। जबकि, इन दोनों की तुलना में कॉटन सीड का भाव 3300-3400 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है। इस तरह, कॉटन सीड इन दोनों की तुलना में सस्ता होने की वजह से इसकी मांग बनी रहेगी। सोया डीओसी के भाव 6000 रुपए प्रति क्विंटल की तुलना में कॉटन सीड ऑयल केक का भाव आधा है जिससे इसकी सोया डीओसी में बड़े स्तर पर मिक्सिंग हो रही है। यह मिक्सिंग आने वाले दिनों में भी बनी रहेगी जिससे कॉटन सीड ऑयल केक की मांग लगातार बढ़ती रहेगी।
अग्रवाल के मुताबिक जिन फैक्टरियों के पास कॉटन सीड या कॉटन सीड ऑयल केक का स्टॉक है वे इसे बेचने की जल्दबाजी नहीं कर रहे हैं। जबकि, कॉटन की नई फसल आने में कम से कम पांच-छह महीने का वक्त है, ऐसे में लांग टर्म में कॉटन सीड ऑयल केक के दाम मजबूत बने रहने की संभावना है। (मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
मुंबई। कॉटन सीड ऑयल केक एनसीडीईएक्स मई वायदा ने पिछले दिनों बेहतर रिटर्न दिया है। यह वायदा बीते सप्ताह आठ फीसदी से ज्यादा बढ़ा है एवं अपने अहम रेजिस्टेंस 2680 के ऊपर बंद हुआ है।
पृथ्वी फिनमार्ट, मुंबई के कमोडिटी हैड डाइरेक्टर मनोज कुमार जैन का कहना है कि कॉटन सीड ऑयल केक मई वायदा का साप्ताहिक, मासिक तकनीकी चार्ट यह बताता है कि इसका अगला रेजिस्टेंस आने वाले कारोबारी सत्रों में 2770-2800 रुपए होगा। जिन कारोबारियों के पास लांग पोजीशन है वे 2770-2800 के आसपास मुनाफावसूली कर सकते हैं या ताजा पोजीशन के लिए कुछ करेक्श्न का इंतजार कर सकते हैं। हालांकि, लांग टर्म की बात की जाए तो यह वायदा तेजी पर सवार है एवं यह लंबी अवधि में 3000-3150 का लेवल टेस्ट कर सकता है। लेकिन इससे पहले यह 2550-2500 तक आ सकता है। ऐसे में अगली तेजी से पहले एक बार मुनाफावसूली कर लेनी चाहिए।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
वाशिंग्टन। अमरीकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने मार्केटिंग वर्ष 2020-21 के लिए अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया भर में कॉटन का स्टॉक और उत्पादन कुछ कम रहने का अनुमान जारी किया है। जबकि इसकी खपत में हल्की बढ़ोतरी होगी, लेकिन ट्रेड आठ साल की ऊंचाई पर होगा। बांग्लादेश और मैक्सिको में कॉटन की खपत बढेगी जो इंडोनेशिया में घटने वाली खपत की भरपाई कर देंगे। चीन एवं बांग्लादेश का जहां कॉटन आयात बढ़ेगा वहीं ब्राजील, अमरीका और इजिप्त का निर्यात बढ़ेगा। यूएसडीए ने वर्ष 2020-21 के लिए कॉटन का औसत भाव एक सेंट कमकर 68 सेंटस प्रति पाउंड किया है।
यूएसडीए ने भारत का वर्ष 2020-21 कॉटन फसल वर्ष में अंतिम स्टॉक 37.85 लाख टन आंका है। यह स्टॉक वर्ष 2019-20 में 38.29 लाख टन, वर्ष 2018-19 में 19.60 लाख टन था। भारत से वर्ष 2020-21 में कॉटन का निर्यात 12.41 लाख टन रहने की संभावना है। वर्ष 2019-20 में यह 6.97 लाख टन और वर्ष 2018-19 में 7.67 लाख टन था।यूएसडीए ने मार्केटिंग वर्ष 2020-21 (अगस्त-जुलाई) की अप्रैल महीने की रिपोर्ट में 2.46 करोड़ टन कॉटन का वैश्विक उत्पादन अनुमान आंका है जो वर्ष 2019-20 में 2.65 करोड़ टन और वर्ष 2018-19 में 2.58 करोड़ टन रहा। गांठ में बात की जाए यह उत्पादन अनुमान वर्ष 2020-21 के लिए 11.30 करोड़ गांठ आंका है जो पिछले महीने 11.33 करोड़ गांठ था। जबकि वर्ष 2019-20 के लिए 12.21 करोड़ गांठ, वर्ष 2018-19 में 11.85 करोड़ गांठ था।
यूएसडीए के मुताबिक वर्ष 2020-21 में भारत का कॉटन उत्पादन अनुमान 63.14 लाख टन आंका है। भारत में वर्ष 2019-20 में 64.23 लाख टन, वर्ष 2018-19 में 56.17 लाख टन कॉटन का उत्पादन हुआ। यूएसडीए ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारत में वर्ष 2020-21 में कॉटन की घरेलू खपत 52.91 लाख टन रहने की संभावना जताई है। यह खपत वर्ष 2019-20 में 43.55 लाख टन, वर्ष 2018-19 में 52.91 लाख टन थी।
पाकिस्तान में वर्ष 2020-21 में कॉटन का उत्पादन 9.80 लाख टन रहने का अनुमान है। जबकि वर्ष 2019-20 में 13.50 लाख टन एवं 2018-19 में यह 16.55 लाख टन रहा। पाकिस्तान के वर्ष 2020-21 में रिकॉर्ड 53 लाख गांठ यानी 11.54 लाख टन कॉटन आयात करने की संभावना है जो उसके घरेलू उत्पादन से ज्यादा होगा। घरेलू सप्लाई कमजोर रहने से यह लगातार दूसरा साल है जब पाकिस्तान को कॉटन का खासा आयात करना पड़ रहा है। पाकिस्तान में कॉटन आयात का आंकलन पिछले महीने 11.32 लाख टन था। ब्राजील में वर्ष 2020-21 में 25.04 लाख टन कॉटन पैदा होने की आस है। ब्राजील में वर्ष 2019-20 में 30 लाख टन, वर्ष 2018-19 में 28.30 लाख टन कॉटन पैदा हुई थी। अमरीका में वर्ष 2020-21 में कॉटन का उत्पादन 32.01 लाख टन होने का अनुमान है। यह वर्ष 2019-20 में 43.36 लाख टन, वर्ष 2018-19 में 39.99 लाख टन रहा। चीन में वर्ष 2020-21 में 63.14 लाख टन कॉटन पैदा होने की संभावना है। यह पैदावार वर्ष 2019-20 में 59.33 लाख टन, वर्ष 2018-19 में 60.42 लाख टन थी। टर्की में 6.31 लाख टन कॉटन पैदा होने का अनुमान है। उजेबिकिस्तान में 7.62 लाख टन कॉटन पैदा होने की संभावना है। जबकि, अन्य देशों में कॉटन का उत्पादन 39.06 लाख टन रहने का अनुमान है।
चीन का अंतिम स्टॉक वर्ष 2020-21 में 82.41 लाख टन रहने का अनुमान है। यह अनुमान पिछले महीने 81.16 लाख टन आंका गया था। यह स्टॉक वर्ष 2019-20 में 80.34 लाख टन और वर्ष 2018-19 में 77.66 लाख टन था। पाकिस्तान में वर्ष 2020-21 में कॉटन का अंतिम स्टॉक पिछले महीने के अनुमान 5.91 लाख टन के बजाय 6.13 लाख टन रह सकता है। यह वर्ष 2019-20 में 7.38 लाख टन रहा। वर्ष 2020-21 में ब्राजील में 27.05 लाख टन कॉटन का अंतिम स्टॉक रह सकता है। यह वर्ष 2019-20 में 31.36 लाख टन रहा। अमरीका में वर्ष 2020-21 में 8.94 लाख टन कॉटन का अंतिम स्टॉक रहने का अनुमान है जबकि वर्ष 2019-20 में यह 15.79 लाख टन रहा। समूची दुनिया का फसल वर्ष 2020-21 के लिए अंतिम स्टॉक ताजा रिपोर्ट में 203.49 लाख टन (मार्च में 205.95 लाख टन) रहने का अनुमान है। यह वर्ष 2019-20 में 214.26 लाख टन एवं वर्ष 2018-19 में यह 174.06 लाख टन था।
वर्ष 2020-21 में ब्राजील से कॉटन निर्यात 22.86 लाख टन, अमरीका से 34.29 लाख टन रहने की संभावना है। चीन का कॉटन आयात आंकलन वर्ष 2019-20 में 15.54 लाख टन रहा जो वर्ष 2020-21 में 25.58 लाख टन पहुंच सकता है। बांग्लादेश का आयात नए मार्केटिंग वर्ष 2020-21 में 16.11 लाख टन और वियतनाम का आयात 14.81 लाख टन अनुमान है। पाकिस्तान 11.54 लाख टन, इंडोनेशिया 4.90 लाख टन कॉटन आयात कर सकता है।
दुनिया भर में वर्ष 2020-21 में 321.1 लाख हैक्टेयर में कपास की खेती होने का अनुमान है जबकि 2019-20 में 350.3 लाख हैक्टेयर में कपास की खेती हुई। वर्ष 2018-19 में समूची दुनिया में कपास की खेती 333.5 लाख हैक्टेयर में रही। भारत में कपास का बोआई अनुमान वर्ष 2020-21 के लिए 133.5 लाख हैक्टेयर है जबकि, वर्ष 2019-20 में 135 लाख हैक्टेयर एवं वर्ष 2018-19 में 126 लाख हैक्टेयर थी।
मुंबई। अमरीकी कृषि संस्था (यूएसडीए) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में नए खरीफ सीजन में किसान कपास के बजाय अन्य फसलों की ओर मुड़ सकते हैं जिससे इसका रकबा दो फीसदी घट सकता है। लेकिन, घरेलू कॉटन सैक्टर के दिग्गज इस पर बंटे हुए दिख रहे हैं।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट अतुल गणात्रा का कहना है कि सरकार ने कॉटन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5515 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है लेकिन इसका बाजार भाव 6500-6600 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है। यानी खुले बाजार में कॉटन का भाव एमएसपी की तुलना में तकरीबन 15 फीसदी ऊंचा है। ऐसे में खरीफ फसल वर्ष 2021-22 में कपास का रकबा निश्चित रुप से बढ़ेगा। सदर्न इंडिया मिल्स एसोसिएशन (सीमा) के महासचिव के सेलवराजू का कहना है कि कपास का रकबा बढ़ने की संभावना है क्योंकि यह सबसे अधिक आकर्षक नकदी फसल है। बता दें कि तेलंगाना सरकार ने नए खरीफ फसल वर्ष में कपास का रकबा बढ़ाने पर जोर देने का फैसला किया है। तेलंगाना सरकार का लक्ष्य कपास की खेती 80 लाख हैक्टेयर में करने का है। ऐसा होने पर तेलंगाना महाराष्ट्र को कपास की खेती में पीछे कर देगा और कपास उत्पादन में गुजरात के बाद दूसरे स्थान पर आ जाएगा।
यूएसडीए के सालाना आउटलुक में कहा गया है कि भारत में इस सीजन में कपास का रकबा 130 लाख हैक्टेयर से तकरीबन दो फीसदी घट सकता है। चालू सीजन में यह रकबा 129.6 लाख हैक्टेयर रह सकता है जो पिछले सीजन में 133.7 लाख हैक्टेयर था। कमेटी ऑन कॉटन प्रॉडक्शन एंड कंज्मपशन (सीसीपीसी) का मानना है कि किसान सोयाबीन एवं धान की ओर बेहतर भाव की वजह से मुड़ सकते हैं जिससे कपास का रकबा घट सकता है। राजकोट के कॉटन कारोबारी आनंद पोपट का कहना है कि नए सीजन में यह संभावना है कि किसान कपास से बेहतर रिटर्न देने वाली फसलों की ओर मुड़ सकते हैं। यदि किसान मूंगफली की खेती करते हैं तो वे इसकी कटाई के बाद दूसरी फसल जैसे गेहूं उगा सकते हैं।
अतुल गणात्रा का कहना है कि अभी तक मिली सूचनाओं के मुताबिक तेलंगाना के अलावा गुजरात एवं राजस्थान में कपास का रकबा बढ़ेगा। कुल मिलाकर कपास का रकबा आठ से दस फीसदी बढ़ेगा। जबकि, पोपट का कहना है कि सौराष्ट्र में अगले सीजन में कपास का रकबा बढ़ेगा लेकिन गुजरात के अन्य हिस्सों, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश में घटेगा। कॉटन के एरिया में यदि यहां कोई बढ़ोतरी होती है तो यह पांच फीसदी से ज्यादा नहीं होगी। यूएसडीए ने कहा कि उत्तर भारत जिसमें पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान शामिल हैं में बाजार भाव को देखते हुए कपास का रकबा दो फीसदी तक बढ़ सकता है लेकिन महाराष्ट्र में यह रकबा दो फीसदी घट सकता है एवं किसान दलहन की ओर मुड़ सकते हैं। इसकी वजह महाराष्ट्र में कपास के भाव एमएसपी के आसपास चलना है। मध्य प्रदेश के किसान सोयाबीन की खेती की ओर मुड़ सकते हैं, जहां कपास से बेहतर प्राइस मिल रहे हैं। यूएसडीए ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि तेलंगाना में कपास का रकबा 11 फीसदी घट सकता है जबकि, कर्नाटक यह पांच फीसदी तक फिसल सकता है।
हालांकि, यूएसडीए ने अगले सीजन में देश में 380 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलोग्राम) कपास का उत्पादन होने का अनुमान जताया है। सामान्य मानसून के अनुमान के आधार पर कपास का यील्ड पांच फीसदी बढ़कर 496 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर रहने की संभावना जताई गई है। चालू सीजन में यह उत्पादन 370 लाख गांठ आंका गया है। कमेटी ऑन कॉटन प्रॉडक्शन एंड कंज्मपशन (सीसीपीसी) ने चालू सीजन में 371 लाख गांठ कॉटन की पैदावार का अनुमान जताया है जो पिछले सीजन में 365 लाख गांठ था। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने यह अनुमान 360 लाख गांठ आंका है। गणात्रा का कहना है कि यदि अगले सीजन में कॉटन की फसल अधिक होती है तो यह भारतीय किसान, जिनिंग फैक्टरियों और स्पिनिंग मिलों के लिए अच्छा होगा। समूचे टैक्टसटाइल जगत के लिए बड़ी फसल फायदेमंद रहेगी।
राजकोट। देश में अब बचा कॉटन एवं कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के पास रखे कॉटन की क्वॉलिटी औसत होने से अब कॉटन के भावों में बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। कॉटन के भाव चालू सीजन के अंत तक 45000-47000 रुपए प्रति कैंडी (प्रति कैंडी 356 किलोग्राम) के दायरे में रह सकते हैं। यह कहना है राजकोट की कंपनी कॉटयार्न ट्रेडलिंक के आनंद पोपट का।
पोपट का कहना है कि भारतीय किसानों के पास अभी भी 30 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक रखा हुआ है। सितंबर अंत तक इस स्टॉक में से 15 लाख गांठ कॉटन के खुले बाजार में आने का अनुमान है। जबकि, कॉटन का मुख्य स्टॉक कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया और बहु राष्ट्रीय कंपनियों के पास है। देश में फिर से कोरोना फैलने की स्पीड बढ़ने से मांग सुस्त पड़ी है। कॉटन के दाम स्थिर हुए हैं एवं आने वाले समय में इसमें बड़ी उथल पुथल की संभावना नहीं है। कॉटन के दाम सीजन के अंत तक 45000-47000 रुपए प्रति कैंडी (प्रति कैंडी 356 किलोग्राम) की रेंज में रहने के आसार हैं।
वे कहते हैं कि न्यू यार्क कॉटन वायदा सटोरियों की पकड़ में हैं एवं इस वायदा में नरमी का रुख चल रहा है। अधिकतर कारोबारियों ने रनिंग कांट्रैक्टस में मुनाफावसूली कर आगे के कांट्रैक्टस में पोजीशन ट्रांसफर कर दी है। यह रुख पिछले दो सप्ताह से चल रहा है। सटोरियों की अगली चाल का अनुमान लगाना कठिन है। हालांकि, बहु राष्ट्रीय कंपनियां घरेलू बाजार में अपना स्टॉक इस वायदा को देखकर ही खाली करेगी। बता दें कि देश में 4 अप्रैल 2021 को कॉटन का कुल स्टॉक इस तरह था: सीसीआई और महाफैड के पास 52 लाख गांठ, स्पिनिंग मिल 88 लाख गांठ, बहु राष्ट्रीय कंपनियां 41 लाख गांठ, जिनर्स 28 लाख गांठ। कुल स्टॉक 209 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलोग्राम)।
देश की अधिकतर जिनिंग फैक्टरियां कॉटन की उपलब्धता घटने से बंद हो चुकी हैं। जिनिंग इकाइयों को इस साल कॉटन सीड के स्टॉक में शानदार मुनाफा मिला है। पोपट के अनुसार देश से अब तक 55 लाख गांठ कॉटन का निर्यात हो चुका है। सितंबर तक यह निर्यात 70 लाख गांठ रहने की उम्मीद की जा सकती है। देश से इन दिनों जो कॉटन का निर्यात हो रहा है वह प्रतिष्ठित एक्सपोर्ट हाउस और बहु राष्ट्रीय कंपनियों के हाथो में सिमट कर रह गया है। कॉटन यार्न की मांग एवं भाव स्थिर हैं। कोरोना की वजह से कॉटन यार्न के भाव घटने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि कोरोना के फैलने से देश के अनेक हिस्सों में लॉकडाउन लग सकता है।
मुंबई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन के भाव पिछले दस वर्ष में औसतन 75 सेंटस प्रति पाउंड रहे हैं। इन भावों में बढ़त-घटत 18 सेंटस की देखने को मिली है। हर कमोडिटी की एक साइकल होती है। कॉटन की दस साल की यह साइकल पूरी होने आई है एवं अब अगली साइकल में कॉटन का औसत भाव 95 सेंटस से एक डॉलर प्रति पाउंड रहेगी जिसमें घटबढ़ 18 सेंटस की होगी। यह कहना है कि डी डी कॉटन, मुंबई के अरुण सेकसरिया का।
सेकसरिया के मुताबिक भारत में नए सीजन में कपास की बोआई बढ़ने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। गुजरात के किसानों को मूंगफली, कैस्टर जबकि महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के किसानों को सोयाबीन में बढि़या रिटर्न मिला है जिसकी वजह से अन्य फसलों के किसान कपास की ओर नहीं मुड़ेंगे। वे कहते हैं देश में कपास का रकबा कम नहीं है, यदि सरकार जमकर प्रयास करे तो इसमें ही हम दुनिया की और बड़ी उपज ले सकते हैं। दुनिया में भारत का प्रति हैक्टेयर कपास उत्पादन काफी कम है। यदि हमारे यहां इस पर कुछ ठोस काम नहीं हुआ तो भारत अगले दो-तीन साल बाद कॉटन में अव्वल नहीं रह पाएगा। चीन में कपास का प्रति हैक्टेयर उत्पादन 1700-1800 किलोग्राम है जबकि भारत में यह 500-600 किलोग्राम है। हमारे यहां कॉटन की यील्ड बढ़ाने के लिए एक्शन प्लान बनाना जरुरी है।
उन्होंने बताया कि अमरीकी कॉटन वायदा 95 सेंटस प्रति पाउंड के ऊपरी स्तर को छूने के बाद अब 77-78 सेंटस आ गया है जिसकी वजह से कि अमरीका में कपास का रकबा नहीं बढ़ेगा लेकिन यील्ड बेहतर होने से उपज पर असर नहीं होगा। अमरीकी किसानों को सोयाबीन एवं मक्का में बेहतर रिटर्न मिला है। चीन में कपास की खेती पांच फीसदी प्लस माइनस हो सकती है, लेकिन अभी अधिक संभावना रकबा स्थिर रहने की है।
मुंबई। कॉटन के दाम ऊंचे होने से खरीफ सीजन 2021-22 में कपास की बोआई बढ़ सकती है और यदि यह बोआई बढ़ती है तो बीज की कमी का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, उद्योग को भरोसा है कि वे पर्याप्त बीज सप्लाई कर पाएंगी लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि 3-4 फर्म के बीज उपलब्ध है जिनका बाजार हिस्सा 50 फीसदी है एवं तंगी आ सकती है।
रासी सीडस के संस्थापक एम रामास्वामी का कहना है कि पिछले साल लगातार हुई बारिश से तेलंगाना और तमिलनाडु में सीड उत्पादन को भारी नुकसान हुआ है। तेलंगाना कॉटन सीड उत्पादन का सबसे बड़ा राज्य हैं जहां 20-25 फीसदी उत्पादन घटा है। ऐसे में अगले खरीफ सीजन में मांग बढ़ती है तो सीड की कमी देखने को मिल सकती है। कपास की बोआई जून से शुरु होती है एवं इसकी चुनाई (पिकिंग) सितंबर अंत में होती है जो जनवरी तक चलती है। हालांकि, कुछ राज्यों जैसे हरियाणा एवं पंजाब में कपास की बोआई अप्रैल अंत में शुरु हो जाती है।
उद्योग को उम्मीद है कि कपास का रकबा सामान्य रकबे 120 लाख हैक्टेयर से ज्यादा रह सकता है क्योंकि कपास के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य 5515 रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर 6000 रुपए के आसपास चल रहे हैं। इसके अलावा तेलंगाना में कपास का रकबा बढ़ाने की योजना है। सामान्य वर्ष में कॉटन सीड की मांग 500-550 लाख पैकेटस (प्रति पैकेटस 450 ग्राम) रहती है। जबकि इंडस्ट्री लगभग 700 लाख पैकेटस की सप्लाई करने को तैयार है जिसमें 130 लाख पैकेटस कैरी फारवर्ड स्टॉक है। बता दें कि हर वर्ष कॉटन सीड का तकरीबन 100-150 लाख पैकेटस कैरी फारवर्ड स्टॉक रहता है।
एक सीड कंपनी के प्रमुख कार्यकारी ने बताया कि पिछले साल हमने 450 लाख पैकेटस की बिकवाली की। यदि इस साल मांग थोडी बढ़ती है तो हम सप्लाई करने में सक्षम है। नेशनल सीड एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट एम प्रभाकहरा राव का कहना है कि बारिश से मेहबूबनगर में हुए नुकसान के बावजूद हम इस सीजन में मांग को पूरा कर सकेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि तेलंगाना में कपास का रकबा बढ़ाने की योजना है जिससे वहां 40 लाख पैकेटस की मांग आने की संभावना है। राज्य में पिछले साल 60 लाख एकड़ में कपास की बोआई हुई थी जिसे इस साल 80 लाख एकड़ पहुंचाने की योजना है। पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान में कपास की बोआई मध्य अप्रैल से शुरु होगी।
मुंबई। कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने कॉटन के भाव 1500 रुपए प्रति कैंडी घटाए हैं लेकिन यार्न के भाव न घटने से होजियरी कंपनियों के लिए चिंता की बात है। यार्न के दाम ऊंचे होने से होजियरी बाजार पर असर पड़ा है।
डॉलर इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक विनोद गुप्ता का कहना है कि वर्तमान में निर्यात बाजार एवं स्पिनिंग मिलों की मांग अच्छी है। रॉ मटीरियल के भाव तकरीबन 30 फीसदी बढ़े हैं जबकि मिल मालिकों ने भाव 60 फीसदी बढ़ाए हैं। उन्होंने बताया कि सरकार द्धारा भाव न बढ़ाए जाने की बात कहने के बावजूद स्पिनिंग मिलों द्धारा अप्रैल के लिए भाव दस रुपए प्रति किलोग्राम बढ़ने की संभावना है। डॉलर इंडस्ट्रीज पहले ही कुछ महीनों में दाम 17 फीसदी के करीब बढ़ा चुकी है एवं और 3-4 फीसदी की बढ़ोतरी की जाएगी। रुपा एंड कंपनी के प्रबंध निदेशक केडी अग्रवाल का कहना है कि रुपा ने अपने उत्पादों के भाव दस फीसदी बढ़ाए हैं। उन्होंने कहा कि स्पिनिंग मिलों का ध्यान केवल निर्यात बाजार पर है जबकि वे घरेलू मांग की पूर्ति नहीं कर रही है।
यार्न के दाम 50 फीसदी बढ़े हैं जबकि कॉटन के भाव 30 फीसदी बढ़े हैं। यार्न के दाम कॉटन के बढ़े दामों की तुलना में ज्यादा चढ़े हैं। जबकि, फिनिश्ड गुडस के भाव अब तक केवल 10 फीसदी बढ़े हैं। एसोसिएशन ने सरकार से भावों पर लगाम लगाने को कहा है ताकि छोटे खिलाडी जिंदा रह सके। इस बीच, सदर्न इंडिया मिल्स एसोसिएशन के चेयरमैन अश्विन चंद्रन ने कहा है कि स्पिनिंग सैक्टर अप्रैल में भाव यथावत रखेगा और किसी भी भाव बढ़ोतरी को टालने की कोशिश की जाएगी।
वाशिंग्टन। इंटरनेश्नल कॉटन एडवाइजरी कमेटी ने अप्रैल 2021 महीने की अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2020-21 में दुनिया में कॉटन मिल यूज आठ फीसदी बढ़ने की संभावना है क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में लगातार सुधार हो रहा है। कोरोना की वैक्सिन उपलब्ध होने से रिकवरी को सपोर्ट मिला है। दुनिया की छह फीसदी आबादी को वैक्सिन लग चुकी है जबकि अनेक देशों के पास कोई वैक्सिन नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक सीजन वर्ष 2020-21 में कॉटन का वैश्विक मिल यूज 245 लाख टन रहने का अनुमान है जबकि चीन के हिस्से में यह खपत 31 फीसदी बढ़कर 81 लाख टन रहने की संभावना है। भारत में मिल यूज 54.5 लाख टन रहने का अनुमान है जबकि पाकिस्तान में 20 लाख टन मिल यूज होगा। टर्की एवं वियतनाम हरेके में 15-15 लाख टन, बांग्लादेश में 14 लाख टन कॉटन का मिल यूज होने का अनुमान है। कॉटन का वैश्विक उत्पादन बदलकर 241 लाख टन आंका गया है। चीन में कॉटन का स्टॉक लगभग 90 लाख टन रहने का अनुमान है। जबकि, चीन के अलावा अन्य देशों में यह गिरकर 120 लाख टन रहने की संभावना है। कॉटन का वैश्विक कारोबार 95 लाख टन रहने का अनुमान है।
आईसीएसी ने कॉटन का औसत दाम वर्ष 2020-21 के लिए 78.5 सेंटस प्रति पाउंड रहने का अनुमान जताया है। जबकि, कॉटन का औसत दाम वर्ष 2021-22 के लिए 83 सेंटस प्रति पाउंड रहने का अनुमान जताया गया है।
कॉटन की वैश्विक आपूर्ति एवं संवितरण/लाख टन में
वर्ष
2018-19
2019-20
2020-21
शुरुआती स्टॉक
187.8
185.6
213.7
उत्पादन
259.7
263.4
241.1
खपत
259.8
227.7
254.4
निर्यात
92.6
90.2
94.9
आयात
90.5
82.6
अंतिम स्टॉक
209.4
राजकोट। पाकिस्तान ने चालू फसल वर्ष में भारत से कॉटन आयात करने का फैसला किया है। इस फैसले से भारत के कॉटन निर्यात में 5-10 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलोग्राम) का इजाफा हो सकता है। पाकिस्तान की खरीद से चालू सीजन में भारत का कॉटन निर्यात 70-80 लाख गांठ पहुंच सकता है।
राजकोट के कॉटन कारोबारी आनंद पोपट का कहना है कि पाकिस्तान में इस साल कॉटन की काफी तंगी है एवं वहां की इंडस्ट्री ने सरकार पर भारत से कॉटन का आयात करने पर दबाव बनाया। भारतीय कॉटन एवं यार्न के दाम दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कम है और भारत से पाकिस्तान तीन से चार दिनों में पहुंच सकता है। अन्य देशों से आयात करने पर जहां लागत ऊंची बैठती है वहीं पाकिस्तान पहुंचने में इसे एक से दो महीने लगते हैं। पोपट का कहना है कि पाकिस्तान द्धारा भारतीय कॉटन पर लगी रोक हटाने से चालू सीजन में भारत से पाकिस्तान को 5-10 लाख गांठ तक निर्यात की जा सकती है। पाकिस्तान द्धारा लगी रोक हटाने से पहले भारत का कॉटन निर्यात 65-70 लाख गांठ आंका जा रहा था।
बता दें कि पाकिस्तान में कॉटन के दाम चालू मार्केटिंग वर्ष 2020-21 (अगस्त-जुलाई) में तेजी से बढ़े हैं। पाकिस्तान में कॉटन की उपज पिछले मार्केटिंग वर्ष की तुलना में 24 फीसदी घटकर 60.19 लाख गांठ रहने का अनुमान है। कारोबारी जगत का मानना है कि यह रोक हटने के बाद भारत से पाकिस्तान को कम से कम दस लाख गांठ कॉटन का निर्यात हो सकेगा।
कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक पी के अग्रवाल का कहना है कि सीसीआई पाकिस्तानी कारोबारियों के लिए वैश्विक बिक्री टेंडर में भाग लेने का रास्ता खोल रही है। आने वाले कुछ दिनों में स्थिति साफ होगी।
न्यू यार्क कॉटन वायदा वर्तमान में 79.13 सेंटस प्रति पाउंड (45800 रुपए प्रति कैंडी) पर कारोबार कर रहा है जबकि, भारतीय शंकर-6 कॉटन का दाम निर्यात के लिए 45000-45200 रुपए प्रति कैंडी ऑफर हो रहा है। घरेलू बाजार राजकोट मंडी में कपास के दाम 6000 रुपए प्रति क्विंटल बोले जा रहे हैं। जबकि, इसका न्यूतनम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5515 रुपए प्रति क्विंटल है।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने देश में चालू सीजन में कॉटन उत्पादन अनुमान 358.50 लाख गांठ आंका है। दूसरी ओर, कमेटी ऑन कॉटन प्रॉडक्शन एंड कंज्मपशन (सीसीपीसी) ने उत्पादन अनुमान 371 लाख गांठ आंका है। समूची दुनिया में कॉटन के उत्पादन से खपत अधिक रहने की वजह से पिछले जून से इसके भाव तेज हैं। अमरीकी कृषि संस्था (यूएसडीए) ने चालू मार्केटिंग वर्ष (अगस्त 2020-जुलाई 2021) के दौरान समूची दुनिया में कॉटन का उत्पादन चार साल के निचले स्तर पर रहने की बात कही है जबकि खपत में लगातार दूसरे साल उत्पादन से अधिक बढ़ोतरी होगी।
बता दें कि पाकिस्तान की सालाना कॉटन खपत 120 लाख गांठ है जबकि वहां इस साल 77 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन हुआ है। हालांकि, कॉटन जिनर्स इस उत्पादन को केवल 55 लाख गांठ मानते हैं। इस तरह न्यूनतम कमी 60 लाख गांठ की मानी जा रही है। जबकि पाकिस्तान अब तक 688305 टन कॉटन का आयात कर चुका है। अभी भी तकरीबन 35 लाख गांठ कॉटन की कमी है एवं इसे केवल आयात के माध्यम से ही पूरा किया जा सकता है।
Wednesday April 14,2021
इंदौर। कॉटन सीड ऑयल केक के दाम लांग टर्म में और मजबूत होने की संभावना है। क इंदौर। कॉटन सीड ऑयल केक के दाम लांग टर्म में और मजबूत होने की संभावना है। क . . . . .
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