मुंबई। कॉटन सीड ऑयल केक की मांग इन दिनों उम्मीद के अनुरुप नहीं है लेकिन कारोबारियों का कहना है कि इसके भाव स्थिरता से मजबूत रहेंगे क्योंकि देश में कॉटन का उत्पादन जैसा बताया जा रहा है वैसा है नहीं। कारोबारियों को कॉटन ऑयल केक के दाम निकट भविष्य में 100-150 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ने की उम्मीद है लेकिन मार्च के बाद गर्मी के मौसम में मांग घटने पर भावों में बड़ी बढ़त की आस नहीं है।
पृथ्वी फिनमार्ट, मुंबई के कमोडिटी हैड डाइरेक्टर मनोज कुमार जैन का कहना है कि कॉटन सीड ऑयल केक फरवरी वायदा अपने अहम रेजिस्टेंस 2070 रुपए साप्ताहिक बंद आधार के ऊपर सेटल हुआ है। यदि यह वायदा अगले सप्ताह 2110 रुपए के ऊपर रहता है तो यह बढ़कर 2140-2165-2190 रुपए पहुंच सकता है। लेकिन 2070 रुपए के नीचे बंद होने पर इसमें रुख बदल जाएगा।
गुजरात कॉटन सीडस क्रशर्स एसोसिएशन, कडी के प्रेसीडेंट प्रहलाद पटेल का कहना है कि फिलहाल कॉटन सीड ऑयल केक में मंदी का कोई कारण नजर नहीं आता। कडी में कॉटन सीड ऑयल केक का वर्तमान भाव 2100 रुपए प्रति क्विंटल है जो फरवरी अंत या मार्च की शुरुआत में 2166 रुपए के करीब पहुंच सकता है। वे कहते हैं कि इस साल कॉटन की उपज देश भर में कम है, गुजरात में भी कॉटन की उपज घटी है। पटेल का कहना है कि देश भर में इस साल 340 लाख गांठ से ज्यादा कॉटन पैदा नहीं होगी।
कॉटन सीड ऑयल केक के कारोबारी गोपाल दरक, वरंगल के मुताबिक दक्षिण भारत के राज्यों में कॉटन की आवक घट रही है जिससे कॉटन सीड की उपलब्धता कमजोर पड़ रही है। कपास के भाव बढ़ने की उम्मीद में किसान अपने पास बची कॉटन को बेचने से बच रहे हैं। हालांकि, इन दिनों कॉटन सीड ऑयल केक की मांग कमजोर है, जबकि सर्दी के मौसम में इसकी खपत अच्छी रहती है। यद्यपि, कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में डिमैट में जिस तरह कॉटन सीड ऑयल केक डिमैट हुआ है उसे देखते हुए इसमें तेजी के संकेत दिख रहे हैं। वे कहते हैं अनेक कपास उत्पादक इलाकों में फसल को नुकसान हुआ है जिससे इस साल कॉटन का उत्पादन 350 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलोग्राम) रहने का अनुमान है। वे कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुमान 358.50 लाख गांठ से सहमत नहीं हैं। दरक का कहना है कि आने वाले दिनों में कॉटन सीड ऑयल केक वायदा में 200 रुपए प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
घोडा ऑयल मिल्स, नंदूरबार के संजय अग्रवाल का कहना है कि कॉटन सीड ऑयल केक के भाव पहले ही काफी बढ़ चुके हैं एवं अब इसके दाम ज्यादा बढ़ने की गुंजाइश नहीं है। इस साल मिलों की संख्या बढ़ी हैं एवं यह पूरा कारोबार क्षेत्रीय हो गया है जिससे अंतर राज्यीय कारोबार घटा है। यही वजह है कि कॉटन सीड ऑयल केक के भाव आने वाले समय में 100 रुपए प्लस माइनस में मूवमेंट करती रहेगी। मक्का, बाजरा, ज्वार आदि भी सस्ती है जिससे पशुपालक विकल्प भी अपना रहे हैं। वे कहते हैं कि कॉटन सीड ऑयल केक अपने निचले स्तर से अब तक तकरीबन 1000 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ चुकी है एवं अब गर्मी का सीजन आ रहा है। ऐसे में इसकी मांग धीरे धीरे घटेगी।
बता दें कि कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने कॉटन वर्ष 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में देश में कपास का उत्पादन अनुमान 358.50 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलोग्राम) आंका है। यह उत्पादन अनुमान पहले 356 लाख गांठ आंका गया था।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
मुंबई। कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने चालू सीजन में दस लाख गांठ कॉटन का निर्यात करने की योजना बनाई है। सीसीआई के चेयरमैन प्रदीप कुमार अग्रवाल का कहना है कि सीसीआई ने चालू कॉटन सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर लगभग 85 लाख गांठ कॉटन की खरीद की है। अब कॉटन के दाम बढ़ने के साथ सीसीआई की खरीद में कमी आई है। किसानों को खुले बाजार में बेहतर भाव मिल रहे हैं।
उन्होंने बताया कि अब सीसीआई की दैनिक कॉटन खरीद 40-50 हजार गांठ रह गई है जो कुछ सप्ताह पहले दो लाख गांठ दैनिक थी। सीसीआई अब तेलंगाना एवं महाराष्ट्र में अधिक सक्रिय है एवं यह इस सीजन के अंत तक जारी रहेगा।
अग्रवाल ने बताया सीसीआई ने अब तक 25 हजार गांठ कॉटन का निर्यात किया है एवं इस सीजन में हमारा लक्ष्य कम से कम दस लाख गांठ का है। इसमें से मुख्य निर्यात बांग्लादेश को होगा। भारत सरकार एवं बांग्लादेश सरकार जल्दी ही इस संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। सीसीआई अन्य देशों को भी कारोबारियों के माध्यम से कॉटन निर्यात करेगी।
मुंबई। अमरीकी कृषि संस्था (यूएसडीए) द्धारा सीजन 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में कॉटन का ओपनिंग स्टॉक, उत्पादन एवं अंतिम स्टॉक कम रहने का अनुमान जारी करने से वर्ष 2021 की शुरुआत से अब तक वैश्विक बाजार में कॉटन के दाम चार प्रतिशत बढ़ गए हैं। वैश्विक भाव बढ़ने से भारतीय कॉटन के निर्यात की संभावनाएं और उजली हो गई है।
राजकोट (गुजरात) के कॉटन कारोबारी आनंद पोपट का कहना है कि मौजूदा रुझान को देखें तो भारत का कॉटन निर्यात इस सीजन में 65 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलोग्राम) पहुंच सकता है जिससे देश के पिछले सीजन के भारी भरकम कैरीओवर स्टॉक में कमी होने में मदद मिलेगी। हालांकि, कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के प्रेसीडेंट अतुल गणात्रा का कहना है कि वर्तमान में कॉटन की निर्यात मांग नोवल कोरोनावायरस की वजह से धीमी है क्योंकि यूरोप सहित अनेक देशों में लॉकडाउन है। सीएआई ने देश से इस सीजन में 54 लाख गांठ कॉटन निर्यात होने का अनुमान जताया है।
न्यू यार्क कॉटन वायदा 19 जनवरी को 81.29 सेंटस (47075 रुपए प्रति 356 किलोग्राम कैंडी) प्रति पाउंड मार्च डिलीवरी था। जबकि, मई डिलीवरी 82.60 सेंटस (47850 रुपए प्रति 356 किलोग्राम कैंडी) एवं जुलाई डिलीवरी 82.91 सेंटस (48025 रुपए प्रति 356 किलोग्राम कैंडी) प्रति पाउंड था। ये सभी डिलीवरी वायदा अपने पिछले बंद स्तर से ऊपर हैं। जबकि, इसकी तुलना में भारत की शंकर-6 वैरायटी 43400-43600 रुपए प्रति कैंडी बोली जा रही है। कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में कॉटन वायदा 21420 रुपए प्रति गांठ (प्रति गांठ 170 किलोग्राम) चल रही है जिसे कैंडी में परिवर्तित करने पर भाव 44856 रुपए बैठता है।
गणात्रा का कहना है कि भारतीय बाजार में भाव स्थिर हैं एवं पिछले सप्ताह 500-800 रुपए का करेक्शन आया है। वे कहते हैं कि यदि कॉटन निर्यात बढ़ता है तो हमें इंतजार और देखो की नीति पर रहना होगा। कॉटन के वैश्विक भाव बढ़ने पर पोपट का कहना है कि वैश्विक भाव बढ़ने के पीछे सट्टेबाजी है। अनेक सटोरियों ने ओपन इंटरेस्ट इस वजह से बढ़ाया है कि उन्हें इसके दाम और बढ़ने की उम्मीद लग रही है। साथ ही चीन का टैक्सटाइल निर्यात पिछले साल से अधिक रहने की रिपोर्ट से भी तेजी आई है। यूएसडीए के मुताबिक चीन इस साल 135 लाख गांठ कॉटन का आयात कर सकता है। यूएसडीए के अनुसार भारत का कॉटन निर्यात तकरीबन 64 लाख गांठ रहने का अनुमान है।
गणात्रा का कहना है कि कॉटन के भाव मजबूती से स्थिर रहेंगे जबकि पोपट का कहना है कि निर्यात की उजली संभावनाओं से भाव बढ़ने की उम्मीद है। वे कहते हैं यदि कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया दैनिक बिक्री सीमित कर दें तो कॉटन के दाम बढ़ सकते हैं। बता दें कि अक्टूबर 2020 से अब तक 28-30 लाख गांठ कॉटन का निर्यात हो चुका है एवं यह निर्यात 65 लाख गांठ तक पहुंच सकता है। यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन के दाम 3-4 सेंटस प्रति पाउंड और बढ़ जाते हैं तो भारतीय कॉटन के भाव भी बढ़ सकते हैं। इस समय गुजरात में ही कॉटन के भाव महाराष्ट्र की तुलना में नीचे हैं। पोपट का कहना है कि देश में क्वॉलिटी कॉटन की कमी है और इसका प्रीमियम जल्दी बढ़ेगा।
यूएसडीए के मुताबिक वर्ष 2020-21 में भारत का कॉटन उत्पादन अनुमान 64.23 लाख टन आंका है। भारत में वर्ष 2019-20 में 64.23 लाख टन, वर्ष 2018-19 में 56.17 लाख टन कॉटन का उत्पादन हुआ। यूएसडीए ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारत में वर्ष 2020-21 में कॉटन की घरेलू खपत 52.25 लाख टन रहने की संभावना जताई है। यह खपत वर्ष 2019-20 में 43.55 लाख टन, वर्ष 2018-19 में 52.25 लाख टन थी।
भारत का वर्ष 2020-21 कॉटन फसल वर्ष में अंतिम स्टॉक 42.20 लाख टन रहने की संभावना है। यह स्टॉक वर्ष 2019-20 में 38.94 लाख टन, वर्ष 2018-19 में 20.26 लाख टन था। भारत से वर्ष 2020-21 में कॉटन का निर्यात 10.89 लाख टन रहने की संभावना है। वर्ष 2019-20 में इसके 6.97 लाख टन रहने का अनुमान है। यह वर्ष 2018-19 में 7.67 लाख टन था।
मुंबई। कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में दिसंबर अंत में कॉटन डिपॉजिट 80250 गांठ पहुंच गई जो दिसंबर 2019 में 20825 गांठ थी। इस तरह कॉटन डिपॉजिट में 285 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। एक्सचेंज के मुताबिक दिसंबर 2020 के अंत में ओपन इंटरेस्ट 4236 लॉटस था जो दिसंबर 2019 में 3868 लॉटस था।
अहमदाबाद। कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में बीते कारोबारी सप्ताह में कॉटन सीड ऑयल केक फरवरी वायदा साप्ताहिक खुले भाव से 78 अंक की गिरावट के साथ 2017 रुपए पर बंद हुआ। कोकुखली ने पिछले सप्ताह 2095 रुपए का ऊपरी एवं 2001 रुपए का निचला स्तर टेस्ट किया।
तकनीकी विश्लेषक कमलेश शाह का कहना है कि कोकुखली के लिए इस सप्ताह 2075 और 2130 रेजिस्टेंस हैं जबकि, 1980 और 1940 अहम सपोर्ट का काम करेंगे।
मुंबई। कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने इस सप्ताह कपास का भाव 6000 रुपए प्रति क्विंटल पहुंचते ही खरीद रोक दी है। मौजूदा बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर होने से यह खरीद रोकी गई है जबकि कुछ ग्रामीण इलाकों में सीसीआई की खरीद चालू है।
सीसीआई के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक पीके अग्रवाल का कहना है कि कपास के दाम न्यूनतम समर्थन मूलय से ऊपर जाने की वजह से इसकी खरीद घटा दी गई है। देश के बाजारों में अब तक 210 लाख गांठ कॉटन की आवक हो चुकी है एवं किसानों के पास लगभग 140-150 लाख गांठ कॉटन है। सीसीआई ने 85 लाख गांठ कॉटन की खरीद की है एवं 5-10 लाख गांठ कॉटन की और खरीद हो सकती है। अच्छी ग्रेड की कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5825 रुपए प्रति क्विंटल है।
सीसीआई ने सीजन की शुरुआत में यह अनुमान जताया था कि उसे 100-125 लाख गांठ कॉटन खरीदनी पड़ेगी। अग्रवाल के मुताबिक कॉटन के दाम बढ़ रहे हैं क्योंकि इसकी मांग धीरे धीरे बढ़ रही है एवं ये कोरोना माहमारी से पहले के लेवल पर आ गए हैं। टैक्सटाइल मिलों की क्षमता उपयोग में बढ़ोतरी हो रही है एवं वे भी अब कोरोना माहमारी से पहले के लेवल पर हैं। कॉटन की दैनिक आवक में अब तकरीबन 70 हजार गांठ की कमी आई है जो तीन लाख गांठ पहुंच गई थी।
इस बीच, भारतीय कॉटन के बड़े खरीददार के रुप में बांग्लादेश सामने आया है एवं उसे अब तक तकरीबन 14 लाख गांठ का निर्यात हुआ है। हालांकि, दोनों देशो की सरकारों के बीच करार होना बाकी है। यह निर्यात 20 लाख गांठ पहुंच सकता है। सीसीआई को निर्यातकों के लिए जारी दैनिक टेंडर में चीन एवं वियतनाम से भी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। चीन 25-30 लाख गांठ और बांग्लादेश 30-35 लाख गांठ कॉटन की खरीद कर सकता है। जबकि, वियतनाम भारत से तकरीबन 4-5 लाख गांठ कॉटन का आयात कर सकता है।
वाशिंग्टन। अमरीकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने मार्केटिंग वर्ष 2020-21 के लिए अपनी जनवरी महीने की रिपोर्ट में कहा है कि अमरीका, पाकिस्तान और माली में कॉटन का उत्पादन तेजी से घटेगा लेकिन इसकी आंशिक भरपाई ग्रीस, आस्ट्रेलिया और टर्की उत्पादन बढ़ने से होगी। चीन और टर्की की कॉटन खपत में रिकवरी होगी जबकि, कोविड-19 के असर की वजह से इंडोनेशिया, मैक्सिको और वियतनाम की खपत में कमी आने के आसार हैं। यूएसडीए ने वर्ष 2020-21 के लिए कॉटन का औसत भाव तीन सेंटस बढ़ाकर 68 सेंटस प्रति पाउंड किया है।
यूएसडीए ने मार्केटिंग वर्ष 2020-21 (अगस्त-जुलाई) की जनवरी महीने की रिपोर्ट में 2.45 करोड़ टन (दिसंबर में 2.48 करोड़ टन) कॉटन का वैश्विक उत्पादन अनुमान आंका है जो वर्ष 2019-20 में 2.65 करोड़ टन था। कॉटन का वैश्विक उत्पादन वर्ष 2018-19 में 2.58 करोड़ टन रहा। गांठ में बात की जाए यह उत्पादन अनुमान वर्ष 2020-21 के लिए 11.28 करोड़ गांठ आंका है जो पिछले महीने 11.39 करोड़ गांठ था। जबकि वर्ष 2019-20 के लिए 12.21 करोड़ गांठ, वर्ष 2018-19 में 11.85 करोड़ गांठ था।
यूएसडीए के मुताबिक वर्ष 2020-21 में भारत का कॉटन उत्पादन अनुमान 64.23 लाख टन आंका है। भारत में वर्ष 2019-20 में 64.23 लाख टन, वर्ष 2018-19 में 56.17 लाख टन कॉटन का उत्पादन हुआ। यूएसडीए ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारत में वर्ष 2020-21 में कॉटन की घरेलू खपत 52.25 लाख टन रहने की संभावना जताई है। यह खपत वर्ष 2019-20 में 43.55 लाख टन, वर्ष 2018-19 में 52.25 लाख टन थी। भारत का वर्ष 2020-21 कॉटन फसल वर्ष में अंतिम स्टॉक 42.20 लाख टन रहने की संभावना है। यह स्टॉक वर्ष 2019-20 में 38.94 लाख टन, वर्ष 2018-19 में 20.26 लाख टन था। भारत से वर्ष 2020-21 में कॉटन का निर्यात 10.89 लाख टन रहने की संभावना है। वर्ष 2019-20 में इसके 6.97 लाख टन रहने का अनुमान है। यह वर्ष 2018-19 में 7.67 लाख टन था।
पाकिस्तान में वर्ष 2020-21 में कॉटन का उत्पादन पिछले महीने के आंकलन 9.80 लाख टन को कम कर 9.36 लाख टन पैदा होने का अनुमान लगाया गया है जबकि वर्ष 2019-20 में 13.50 लाख टन एवं 2018-19 में यह 16.55 लाख टन रहा। ब्राजील में वर्ष 2020-21 में 26.13 लाख टन कॉटन पैदा होने की आस है। यह वर्ष 2019-20 में 30 लाख टन था। जबकि वर्ष 2018-19 में यह 28.30 लाख टन रहा। अमरीका में वर्ष 2020-21 में कॉटन का उत्पादन घटकर 32.56 लाख टन होने का अनुमान है। यह अनुमान दिसंबर महीने में 34.73 लाख टन था। यह वर्ष 2019-20 में 43.36 लाख टन, वर्ष 2018-19 में 39.99 लाख टन रहा। चीन में वर्ष 2020-21 में 59.87 लाख टन कॉटन पैदा होने की संभावना है। यह पैदावार वर्ष 2019-20 में 59.33 लाख टन, वर्ष 2018-19 में 60.42 लाख टन थी। टर्की में 6.31 लाख टन कॉटन पैदा होने का अनुमान है। यह अनुमान बीते महीने 6.10 लाख टन था। उजेबिकिस्तान में 7.62 लाख टन कॉटन पैदा होने की संभावना है। जबकि, अन्य देशों में कॉटन का उत्पादन 39.66 लाख टन (39.53 लाख टन) रहने का अनुमान है।
चीन का अंतिम स्टॉक वर्ष 2020-21 में 78.98 लाख टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2019-20 में 80.34 लाख टन आंका गया। यह वर्ष 2018-19 में 77.66 लाख टन था। पाकिस्तान में वर्ष 2020-21 में कॉटन का अंतिम स्टॉक 5.48 लाख टन रह सकता है जो वर्ष 2019-20 में 7.38 लाख टन रहा। वर्ष 2020-21 में ब्राजील में 29.23 लाख टन कॉटन का अंतिम स्टॉक रह सकता है। यह वर्ष 2019-20 में 31.36 लाख टन रहा। अमरीका में वर्ष 2019-20 में 15.79 लाख टन कॉटन का अंतिम स्टॉक रहने का अनुमान है जबकि वर्ष 2020-21 में यह 10.02 लाख टन रहने का अनुमान है। समूची दुनिया का फसल वर्ष 2020-21 के लिए अंतिम स्टॉक ताजा रिपोर्ट में 209.71 लाख टन (दिसंबर में 212.33 लाख टन) रहने का अनुमान है। यह वर्ष 2019-20 में 216.15 लाख टन एवं वर्ष 2018-19 में यह 174.77 लाख टन था।
वर्ष 2020-21 में ब्राजील से कॉटन निर्यात 21.77 लाख टन, अमरीका से 33.20 लाख टन रहने की संभावना है। चीन का कॉटन आयात आंकलन वर्ष 2019-20 में 15.54 लाख टन रहा जो वर्ष 2020-21 में 22.86 लाख टन पहुंच सकता है। यह अनुमान पिछले महीने 21.77 लाख टन था। बांग्लादेश का आयात नए मार्केटिंग वर्ष 2020-21 में 15.02 लाख टन और वियतनाम का आयात 14.59 लाख टन अनुमान है। पाकिस्तान 9.80 लाख टन, इंडोनेशिया 5.66 लाख टन और भारत 2.18 लाख टन कॉटन आयात कर सकता है।
दुनिया भर में वर्ष 2020-21 में 323.7 लाख हैक्टेयर में कपास की खेती होने का अनुमान है जबकि 2019-20 में 348.3 लाख हैक्टेयर में कपास की खेती हुई। वर्ष 2018-19 में समूची दुनिया में कपास की खेती 333.5 लाख हैक्टेयर में रही। भारत में कपास का बोआई अनुमान वर्ष 2020-21 के लिए 134 लाख हैक्टेयर है जबकि, वर्ष 2019-20 में 133 लाख हैक्टेयर एवं वर्ष 2018-19 में 126 लाख हैक्टेयर थी।
मुंबई। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने कॉटन वर्ष 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में देश में कपास का उत्पादन अनुमान अनुमान बढ़ाकर 358.50 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलोग्राम) आंका है। यह उत्पादन अनुमान पहले 356 लाख गांठ आंका गया था। बता दें कि नया कॉटन वर्ष 1 अक्टूबर से शुरु होता है।
सीएआई के मुताबिक सीजन वर्ष 2020-21 में अक्टूबर-दिसंबर 2020 में कॉटन की कुल सप्लाई 327.35 लाख गांठ रहने का अनुमान है। इस सप्लाई में कॉटन की आवक 197.85 लाख गांठ रही। सीजन की शुरुआत के इन तीन महीनों में कॉटन का आयात 4.50 लाख गांठ रहने का अनुमान है। जबकि ओपनिंग स्टॉक अब पहले 107.50 लाख गांठ को बढ़ाकर 125 लाख गांठ आंका गया है। अक्टूबर से दिसंबर 2020 के दौरान कॉटन की खपत 82.50 लाख गांठ रही जबकि 31 दिसंबर तक निर्यात 20 लाख गांठ का हुआ। दिसंबर 2020 के अंत में कॉटन का स्टॉक 224.85 लाख गांठ रहा। इसमें से 65 लाख गांठ मिलों के गोदाम में थी जबकि सीसीआई, महाराष्ट्र फैडरेशन, एमएनसी और जिनर्स आदि के पास 159.85 लाख गांठ कॉटन होने का अनुमान है। सीएआई ने कॉटन सीजन 2020-21 के अंत तक कॉटन की कुल सप्लाई 497.50 लाख गांठ आंकी है।
कुल कॉटन सप्लाई में से 125 लाख गांठ ओपनिंग स्टॉक है जबकि सीजन में कुल उत्पादन 358.50 लाख गांठ रहने का अनुमान है। सीएआई ने कुल आयात 14 लाख गांठ आंका है जो बीते सीजन के 15.50 लाख गांठ से 1.50 लाख गांठ कम होगा। सीएआई ने कॉटन की घरेलू खपत 330 लाख गांठ आकी है जो पिछले सीजन के खपत अनुमान 250 लाख गांठ से 80 लाख गांठ ज्यादा है। इस साल कॉटन की खपत सामान्य स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है। सीएआई के मुताबिक कॉटन का निर्यात 54 लाख गांठ रहने का अनुमान है। जबकि पहले यह अनुमान 60 लाख गांठ था। हालांकि यह निर्यात बीते सीजन की तुलना में चार लाख गांठ ज्यादा होगा। सीजन के अंत में कैरी ओवर स्टॉक 113.50 लाख गांठ रहने का अनुमान है।
सीएआई ने इस सीजन में उत्तरी जोन में कॉटन का उत्पादन 62 लाख गांठ आंका है। इस जोन में हरियाणा, पंजाब और राजस्थान शामिल हैं। मध्य जोन में कॉटन उत्पादन का अनुमान 199 लाख गांठ आंका गया है। मध्य जोन में गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश शामिल हैं। दक्षिण जोन में कॉटन उत्पादन 93.50 लाख गांठ रहेगा। इस जोन में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु शामिल हैं। उड़ीसा में तीन लाख गांठ एवं अन्य में एक लाख गांठ कॉटन की उपज होगी।
भारतीय कॉटन की बैलेंस शीट
विवरण
2020-21
2019-20
लाख गांठ
000 टन में
ओपनिंग स्टॉक 1 अक्टूबर
125.00
2125.00
32.00
544.00
फसल
358.50
6094.50
360.00
6120.00
आयात
14.00
238.00
15.50
263.50
कुल आपूर्ति
497.50
8457.50
407.50
6927.50
मिल खपत
288.00
4896.00
218.00
3706.00
एसएसआई खपत
24.00
408.00
18.00
306.00
नॉन मिल खपत
कुल घरेलू खपत
330.00
5610.00
250.00
4250.00
सरप्लस उपलब्ध
167.50
2847.50
157.50
2677.50
निर्यात
54.00
918.00
50.00
850.00
अंतिम स्टॉक
113.50
1929.50
107.50
1827.50
मुंबई। अमरीकी कृषि संस्था (यूएसडीए) की भारत के लिए एफएएस की ताजा रिपोर्ट में मार्केटिंग वर्ष 2020-21 में भारत का कॉटन उत्पादन अनुमान 375 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलोग्राम) यानी 64 लाख टन आंका है। भारत में इस साल कपास का रकबा 133 लाख हैक्टेयर पहुंच गया है जो पिछले अनुमान की तुलना में एक लाख हैकटेयर कम है। यूएसडीए ने प्रति हैक्टेयर यील्ड 480 किलोग्राम रहने की भी संभावना जताई है। गुजरात, तेलंगाना में अधिक बारिश एवं महाराष्ट्र में कीट हमले का कपास की फसल पर असर देखा गया।
एफएएस रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्केटिंग वर्ष 2020-21 में कॉटन की खपत 295 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलोग्राम) यानी 50 लाख टन रहने की उम्मीद है। कॉटन यार्न और कॉटन फैब्रिक्स की मांग अच्छी होने से निर्यात ऑर्डर बेहतर रहेंगे। रिपोर्ट के अनुसार मार्केटिंग वर्ष 2020-21 में कॉटन निर्यात 61 लाख गांठ रहने का अनुमान है। भारत के कॉटन निर्यात में बढ़ोतरी के अनुमान की वजह इसके दाम कॉटलुक ए इंडेक्स की तुलना में कम बढ़ना है। कॉटलुक ए इंडेक्स कोविड से पहले के लेवल से अधिक बढ़कर 16 फीसदी पहुंच गया है जबकि भारतीय कॉटन के भाव अक्टूबर से अब तक 13 फीसदी बढ़े हैं जो कॉटलुक इंडेक्स की तुलना में कम है। यही वजह है कि भारतीय कॉटन वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनी हुई है एवं सस्ती मिल रही है।
भारतीय कॉटन यार्न के दाम भी अक्टूबर से 20 फीसदी बढ़े हैं एवं चीन, बांग्लादेश, पेरु, पुर्तगाल और वियतनाम की अच्छी मांग है। भारत का कॉटन आयात 12.8 लाख गांठ रहने की संभावना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्केटिंग वर्ष 2020-21 में कॉटन का आरंभिक स्टॉक 120 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलोग्राम) रहने का अनुमान है। इस स्टॉक में सबसे बड़ा हिस्सा कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के पास है।
सिरसा। चालू कॉटन सीजन में कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) मार्केट मेकर की भूमिका में है। इसकी वजह यदि किसी को कॉटन की 10 या 50 हजार गांठ खरीदनी हो तो ओपन मार्केट में इसकी उपलब्धता कठिन है। किसी को कॉटन की बड़ी मात्रा खरीदनी हो तो सीसीआई के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
कॉटन कारोबारी एवं सीएआई कॉटन फसल समिति के सदस्य पंकज सारडा का कहना है कि कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया और खुले बाजार में कॉटन के भाव में प्रति कैंडी 1000-1500 रुपए का अंतर है एवं यह अंतर आने वाले समय में भी बना रहेगा क्योंकि लिफ्टिंग टर्म और पेमेंट कंडीशन का लाभ सीसीआई से कॉटन की खरीद में मिल रहा है। सीसीआई इस साल कॉटन में मार्केट मेकर है एवं जब सीसीआई कॉटन के भाव बढ़ाएगी उसका सीधा असर ओपन मार्केट पर देखने को मिलेगा।
सारडा का कहना है कि अमरीका में कॉटन का स्टॉक बहुत नहीं है जिसकी वजह से न्यू यार्क कॉटन वायदा बढ़कर 79 सेंटस के स्तर पर पहुंच गया है। न्यू यार्क कॉटन वायदा की तेजी की वजह से भारतीय कॉटन के दाम नेगेटिव बेसिस में है जिसकी वजह से भारतीय कॉटन का निर्यात लगातार बढ़ता रहेगा। वर्तमान में कॉटन के प्राइस का सबसे अधिक असर स्पिनिंग मिलों के लाभ पर देखने को मिल रहा है। कॉटन यार्न के भाव में स्पिनिंग मिलों को प्रति किलोग्राम 30 रुपए का लाभ हो रहा है। कोरोना वायरस के असर से स्पिनिंग मिलों को भारी नुकसान हुआ था लेकिन अब यह नुकसान रिकवर होने के बाद स्पिनिंग मिलें लाभ में चल रही हैं।
सारडा ने बताया कि सीसीआई की उत्तर भारत में कॉटन खरीद लगभग पूरी हो चुकी है। सीसीआई ने उत्तर भारत में 22-23 लाख गांठ कॉटन की खरीद की है। उत्तर भारत के बाजारों में कॉटन के भाव सीसीआई की तुलना में 100-200 रुपए ऊपर है जिसकी वजह से अब कोई सीसीआई को कॉटन नहीं बेचेगा। मध्य भारत में सीसीआई की कॉटन खरीद चल रही है। इस साल कॉटन के दाम ऊंचे होने से सीसीआई को उम्मीद से कम कॉटन खरीदनी पड़ेगी। पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान में पैदा हुई कपास की फसल का 75 फीसदी हिस्सा बाजार में आ चुका है एवं कपास-कॉटन के दाम हर रोज बढ़ने से अब किसानों की बिकवाली रुक गई है।
Saturday January 23,2021
मुंबई। कॉटन सीड ऑयल केक की मांग इन दिनों उम्मीद के अनुरुप नहीं है लेकिन का मुंबई। कॉटन सीड ऑयल केक की मांग इन दिनों उम्मीद के अनुरुप नहीं है लेकिन का . . . . .
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