हम लोग यही समझते हैं कि हम लोग बहुत सारा कर सरकार को दे रहे हैं और यह काफी हद तक सही भी है तो अब समय आ गया है कि हम अपने कर को रिकॉर्ड कर लें, मतलब कि आयकर के रिटर्न भर दें। आयकर के रिटर्न में आपको बताना होता है कि आपने साल भर में कितना कमाया और कितनी छूट आयकर में ली है और कितना आयकर अदा किया। आयकर का गणित बहुत सरल है, लेकिन फिर भी बहुत सारे आयकरदाता अपने टैक्स रिटर्न में गड़बड़ियां कर देते हैं। जिसके कई कारण होते हैं- लालच, नियमों का पता नहीं होना या फिर समय न होना। कुछ गलतियां बहुत गंभीर अपराध नहीं होती और आयकरदाता को कुछ अतिरिक्त शुल्क भर देना होता है। लेकिन कुछ गलतियां जैसे कि अगर आपने नगद जमा किया है डिमोनेटाइजेशन के पीरियड में या फिर आपके पास विदेश में संपत्ति है, आय हैं और आपने अगर नहीं दिखाई है तो आयकरदाता बहुत ही गंभीर समस्या में फंस सकते हैं।
आयकरदाता कैसे इन गलतियों से बचें - तो हम यहां पर कुछ तरीके बता रहे हैं जिससे 31 जुलाई तक आप अपने आयकर के रिटर्न को जब भरें तो आप इन सब बातों का जरूर ध्यान रखें। आयकर भरने के नियमों में पिछले कुछ सालों में बहुत सारे बदलाव हो गए हैं, लेकिन ईमानदारी से आयकर भरने वाले भी कई बार इन नियमों को समझ नहीं पाते हैं तो हम इन नियमों के बारे में भी बातें करेंगे। जिससे आपका रिटर्न बिना किसी गलती का हो।
1. आयकर का रिटर्न केवल तभी भरना है जब आपकी आय बेसिक लिमिट से ज्यादा हो: क्या वाकई में आप को आयकर का रिटर्न भरना है? बहुत सारे आयकरदाता इसी संशय में रहते हैं। आयकर के अधिनियम के अनुसार हर व्यक्ति को रिटर्न भरना है, अगर उनकी कुल कर योग्य आय बेसिक एकजेम्प्शन लिमिट से ज्यादा है साधारण आयकर दाता के लिए यह लिमिट 2.5 लाख रुपए है। वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष से अधिक) के लिए 3 लाख रुपए है, बहुत अधिक वरिष्ठ नागरिकों (80 वर्ष से अधिक) के लिए 5 लाख रुपए की लिमिट है। ध्यान रखिए कुल कर योग्य आय की गणना सारे एकजेम्प्शन के बाद की छूट जैसे की मकान किराया, कन्वेंस और दूसरे अलाउंस कम करने के बाद होती है।
2. अपने टीडीएस की जानकारी फॉर्म 26 AS में जरुर देख लें: हमारा अगला कदम होना चाहिए जो भी कर हमारे लिए काटा गया है, वह हमारे पैन नंबर के साथ फॉर्म 26 AS में जरूर होना चाहिए जो भी आयकर हमारे सेवा प्रदाता द्वारा काटा गया है। वह फॉर्म 16 में दिखेगा वही आयकर फॉर्म 26 AS में ऑनलाइन भी आप देख सकते हैं। जब आप फॉर्म 26 AS देखें, तो आप सुनिश्चित कर लें कि आपने जो भी एडवांस टैक्स दिया है, ब्याज पर टीडीएस कटा है या अन्य आय, जिस पर टीडीएस कटा है, वह सब आपके फॉर्म 26 AS में क्रेडिट हुआ है। अगर उसके अंदर कुछ गड़बड़ी है तो आप तुरंत ही टीडीएस काटने वाले को सूचित कर ठीक करवा लें।
आयकर विभाग किसी दस्तावेज को आपके द्वारा दिए गए कर को मान्य करता है तो वह है फॉर्म 26 AS। एक बार आपने रिटर्न भर दिया तब आयकर विभाग आपके द्वारा भरे गए आयकर कटने की जानकारी और आपके फॉर्म 26 AS का मिलान करता है। अगर दोनों नहीं मिलते हैं तो 2 महीने के अंदर आयकर विभाग आप को नोटिस भेज देगा।
फॉर्म 26 AS को प्राप्त करना बहुत ही आसान है। अगर आप नेट बैंकिंग का उपयोग करते हैं और आप का पैन अपने अकाउंट से लिंक है तो केवल कुछ ही क्लिक में आप फॉर्म 26 AS प्राप्त कर सकते हैं। जो भी आयकर कटता है, उसे यहां अपडेट होने में थोड़ा सा समय लगता है।
3. कौन सा रिटर्न फाइल करना है: आयकरदाताओं के सामने सबसे बड़ा संशय यह रहता है कि वह कौन सा रिटर्न आयकर विभाग में दाखिल करें। तो यहां हम बता देते हैं कि अकेले व्यक्ति के लिए कौन से रिटर्न का उपयोग किया जा सकता है
आईटीआर वन या सहज फार्मइसका उपयोग करिए अगर• सैलरी या पेंशन से आय है• एक हाउस प्रॉपर्टी से आय है• अन्य कोई आय जैसे की ब्याज डिविडेंड इत्यादिइसका उपयोग मत करिए अगर• आप अपने पुराने घाटे को दिखाना चाहते हैं• अगर आपकी आय 50 लाख रुपए से ज्यादा हो रही है• अगर आप विदेश में संपत्ति रखते हैं• अगर आपकी कृषि से होने वाली आय ₹5000 से ज्यादा है• अगर कैपिटल गेन्स है• अगर आपकी आय व्यापार या किसी और प्रोफेशन से है• अगर आपकी आय 1 से ज्यादा घर से है यानी कि हाउस प्रॉपर्टीITR2इसका उपयोग करिए अगर
• सैलरी या पेंशन से आय है• हाउस प्रॉपर्टी से आय है • कैपिटल गेन से से आय है• अन्य स्रोतों से आय है• आप किसी फर्म में पार्टनर हैं और उस से आय है • विदेश में संपत्ति या विदेश से आय है• कृषि से होने वाली आय अगर ₹5000 से ज्यादा है
यह फॉर्म ना भरे यदि
• आपकी आय व्यापार या प्रोफेशन से है
ITR3उपयोग करिए अगर -
• व्यक्तिगत या एच यू एफ जिनकी आय प्रॉपर्टी बिजनेस या प्रोफेशन से है• आपकी आय अगर हाउस प्रॉपर्टी सैलरी पेंशन एवं अन्य स्रोतों से है
उपयोग ना करें यदि -
• अगर आपने प्रोजेक्ट इन टैक्सेशन अप किया हुआ है
4. डीमोनेटाइजेशन के समय अगर नगर जमा किया है : अगर आपने अपने बैंक खाते में डीमोनेटाइजेशन के समय 2.5 लाख रुपए से ज्यादा नगद बैंक में जमा किया है तो यह अपने टैक्स रिटर्न में बताना होगा। आपको ध्यान रखना है कि छुपाने से कोई फायदा नहीं है क्योंकि आयकर विभाग को इसकी जानकारी पहले से है कि आपने कितना रुपया नगद आपके बैंक खाते में जमा किया है। जब आप अपने रिटर्न में यह जानकारी भरेंगे तो वह अपने पास वाली जानकारी से उसका मिलान करेंगे। अगर दोनों के बीच में कोई अंतर होता है तो उनको आयकर विभाग के नोटिस के लिए तैयार रहना चाहिए।
गलत रिपोर्टिंग करने पर पेनल्टी 50 से 200 फीसदी तक लग सकती है और यहां तक की गलत जानकारी देने पर सजा का प्रावधान भी है। आपको पता होना चाहिए कि अगर कोई भी व्यक्ति अपने खाते में एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपए से ज्यादा अगर नगद जमा करता है, किसी एक या एक से ज्यादा खातों में या फिर फिक्स डिपाजिट 10 लाख रुपए से ज्यादा नगद में बनाता है तो बैंक के द्वारा यह जानकारी आयकर विभाग को भेज दी जाती है।
5. अपने ब्याज और अन्य आय को रिटर्न में बताएं : अधिकतर आयकरदाता यह समझते हैं कि टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट का ब्याज टैक्स फ्री है। ध्यान रखें अगर आप टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट में जमा कर रहे हैं, तो आप सेक्शन 80सी में आयकर बचाने का फायदा ले सकते हैं। लेकिन ब्याज पर आयकर देना होगा दो साल पहले तक किसी एक ब्रांच में अगर आपका ब्याज एक वित्तीय वर्ष में ₹10000 से ज्यादा होता था तो उसके ऊपर टीडीएस काट लिया जाता था, तो निवेशक अपनी जमाओं को बहुत सारे टुकड़े में फिक्स डिपाजिट कर देते थे। जिससे कि वह टीडीएस काटने से बच सकें। लेकिन अब एक ही बैंक में अगर विभिन्न ब्रांच में आपकी जमा है और अगर ₹10000 से ज्यादा ब्याज होता है, तो उसके ऊपर टीडीएस कट जाएगा। ध्यान रखें अब आवर्ती जमा खाते यानी कि रिकरिंग डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज भी टीडीएस के अंतर्गत है। जैसे ही आपका टीडीएस कटता है वैसे ही वह आपके पैन नंबर से लिंक हो जाता है और आयकर विभाग को इसका पता चल जाता है।
6. अपना आधार नंबर आयकर रिटर्न में शामिल करें: व्यक्तिगत तौर पर जिनके पास भी आधार कार्ड है। उन्हें अपने आयकर रिटर्न में आधार कार्ड का नंबर जरुर देना चाहिए। जिनके पास में आधार कार्ड नहीं है केवल उन्हें ही इस नियम की छूट है। अगर आपके पास में आधार है तो पैन नंबर के साथ उसको लिंक करना बहुत जरुरी है। अगर आप आयकर का रिटर्न फाइल कर रहे हैं। यह बहुत ही आसान है इसके लिए आप हमारे फाइनेंसर बकवास चैनल पर वीडियो देख सकते हैं।
7. पुराने सेवा प्रदाता की आय को मत छोड़िए : कुछ लोग सोचते हैं की वह कम कर दे कर बच जाएंगे। अगर वह अपने पुराने सेवाप्रदाता का रिटर्न फाइल नहीं करेंगे या आयकर विभाग को नहीं बताएंगे। तो ध्यान रखें यह आपकी भूल है, अगर कोई भी आयकर आपके पहले सेवा प्रदाता ने काटा है, तो वह फॉर्म 26 AS में आ जाएगा और अगर आप उसे अपनी आय में शामिल नहीं करते हैं तो यह अपने आप गड़बड़ी के रूप में पकड़ में आ जाएगा और आपको बहुत ही जल्दी आयकर विभाग से नोटिस मिलने की संभावना रहेगी।
सबसे बेहतर तरीका है, आप अपने नए सेवा प्रदाता को अपनी पुरानी सेवा प्रदाता का फॉर्म 16 दे दें या फिर जो भी आय पुराने सेवा प्रदाता से हुई है वह बता दें, जिससे आपका आयकर सही तरीके से वह गणना कर सकें।
8. विदेशी संपत्ति और आय बताना : आपको अपने सारे विदेशी संपत्ति विदेशी बैंक खाते की जानकारी आयकर विभाग को देनी चाहिए, जैसे की खाता खुलने की दिनांक, उस पर कितना ब्याज मिला, इस वित्तीय वर्ष में और कौन से शेड्यूल में आपको यह आय हुई है।
9. अगर आपकी आय 50 लाख से ज्यादा है तो आपको अपनी सारी संपत्ति बतानी होगी : पिछले साल 10 फीसदी सरचार्ज आयकर पर लगने वाला 1 करोड़ रूपए से 50 लाख रूपए कर दिया गया। इस साल सरचार्ज 15 फीसदी कर दिया गया है, आयकरदाता जो कि इस आय के ब्रैकेट में आते हैं। उन्हें अपनी सारी चल और अचल संपत्ति जो उनके पास है, वह भी बताना होता है। आयकर विभाग चाहता है कि उनके पास आपकी सारी वित्तीय जानकारी उपलब्ध हो।
अगर आपके पास जमीन या बिल्डिंग जो की अचल संपत्ति में होती है, वह भी बताना होती है। चल संपत्ति यानि की सभी तरहे के वाहन, जिसमें की याट बोर्ड और एयरक्राफ्ट शामिल हैं, गहने बुलियन और अन्य महंगी धातु भी शामिल हैं।
10. अंतिम तिथि के पहले रिटर्न भरते हैं और रिटर्न को जांच लें : आयकरदाता को यह नियम हमेशा याद रखना चाहिए और उसे भूलने की कोई भूल नहीं करना चाहिए। हमेशा अपना आयकर रिटर्न 31 जुलाई के पहले भर दीजिए। पिछले साल तक अगर आप देरी से रिटर्न भरते हैं थे तो उस पर किसी पेनल्टी का प्रावधान नहीं था। अगर आपने पिछले 2 सालों का रिटर्न नहीं भरा है और आपने सारे आयकर समय पर अदा कर दिए हैं, तो आप बिना किसी हिचक के वह रिटर्न फाइल कर सकते हैं लेकिन अब नियम बदल गए हैं।
पहले पुराने रिटर्न किसी भी समय एक वर्ष में भरे जा सकते थे तो 2014 15 वित्तीय वर्ष का रिटर्न 31 मार्च 2017 तक भरा जा सकता था। लेकिन अब पुराने रिटर्न समान असेसमेंट ईयर में भरना होंगे यानी कि 31 मार्च 2016 तक। तो एक साल का समय रिटर्न भरने के लिए कम कर दिया गया है।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
काला धन रखने वालों पर केंद्र सरकार मेहरबानी दिखाने पर उतर आई है। उन्हें अपना पैसा सफेद करने का आखिरी मौका दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार ने आयकर कानून में बदलाव के लिए एक बिल संसद में पेश कर दिया है। इसमें अघोषित आमदनी पर 50 फीसदी टैक्स चुकाकर उसे सफेद करने का प्रावधान है।
नोटबंदी के बाद काले धन से निपटने के लिए सरकार संसद में नया बिल लेकर आई है। इसके जरिये सरकार देश के आयकर कानून में अहम बदलाव करने जा रही है। बिल में काले धन से निपटने के लिए तीन तरह के प्रावधान हैं।
अगर कोई शख्स अघोषित आय बैंक में जमा करने के बाद खुद उसकी जानकारी देता है तो टैक्स और जुर्माना मिलाकर 50 फीसदी रकम देनी पड़ेगी और वह अपना काला धन सफ़ेद कर लेगा।
मोदी सरकार के इस कदम पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। नोटबंदी के विरुद्ध सरकार के फैसले का अभूतपूर्व समर्थन करते हुए एक ओर देश की सामान्य जनता लगातार पिछले 20 दिनों से भारी कठिनाइयां झेलते हुए और घंटों बैंकों एवं एटीएम के सामने अपनी गाढ़ी कमाई की रकम किश्तों में निकालने की जहमत उठाती रही, दूसरी ओर काला धन अभी तक जमा नहीं कराने वाले भ्रष्ट धन पशुओं के प्रति सरकार की यह मेहरबानी लोगों में आक्रोश पैदा कर रही है।
अभी कला धन बैंकों में जमा कराने के लिए पूरे एक माह का समय है, इसके बावजूद निर्धारित अवधि के बाद भी कला धन शत-प्रतिशत जब्त करने के बजाय उन पर सरकार की यह मेहरबानी देश की आम लोगों के गले नहीं उत्तर रही। वे ठगे से महसूस कर रहे हैं। जनता के साथ इसे धोखाधडी माना जा रहा है।
बिल में काले धन से निपटने के लिए प्रावधान यह हैं :
– 25 फीसदी रकम उसे फौरन वापस मिल जाएगी।– बाकी 25 फीसदी रकम 4 साल बाद मिलेगी, जिस पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा।
– यानी 1 करोड़ रुपए की अघोषित आय में 50 लाख रुपए सरकार के पास चले जाएंगे।
– लेकिन अगर किसी ने बैंक में रकम जमा करने के बाद खुद उसकी जानकारी नहीं दी, तो पकड़े जाने पर 60 फीसदी टैक्स और 15 फीसदी सरचार्ज मिलाकर 75 फीसदी रकम सरकार को देनी होगी।
इसके अलावा आयकर अधिकारी चाहे तो 10 फीसदी जुर्माना भी लगा सकता है, जिसे मिलाकर कुल टैक्स 85 फीसदी हो जाएगा।
– यानी 1 करोड़ रुपए की अघोषित रकम में सिर्फ 15 लाख रुपए ही वापस मिलेंगे।
लेकिन अगर किसी का काला धन आयकर विभाग के छापे में पकड़ा गया तो उसे 90 फीसदी टैक्स और जुर्माना देना पड़ेगा।
– यानी 1 करोड़ रुपए की अघोषित आय में सिर्फ 10 लाख रुपये वापस मिलेंगे।
आयकर कानून में फेरबदल के लिए पेश इस विधेयक में सरकार ने गरीब कल्याण योजना के लिए धन जुटाने का इंतज़ाम भी किया है।
नया विधेयक एक मनी बिल है। नियम कहता है कि लोकसभा में बिल पारित करके राज्यसभा भेजा जाता है। राज्यसभा इसकी समीक्षा कर सकता है, लेकिन खारिज नहीं कर सकता1 लोकसभा में सरकार का बहुमत है, लिहाजा उसे कोई परेशानी नहीं होने वाली।
लेखक कल्याण कुमार सिन्हा देश के वरिष्ठ पत्रकार हैं।
कई बार हम लोग सुनते हैं कि फलाना बंदा आयकर के जांच के दायरे में आ गया, तो हमें भी डर लगता है कि कहीं हम भी कुछ गलत तो नहीं कर रहे हैं जिससे हम भी आयकर जाचं के दायरे में आ जाएं। वैसे इसमें डरने वाली बात कुछ नहीं है क्योंकि आयकर जांच के दायरे में अगर आप आ भी जाते हो तो आपको आयकर अधिकारियों को अपनी आय व्यय संबंधित दस्तावेज ही दिखाने होते हैं। हम आपको बताएंगे कि आयकर जांच याने कि स्क्रूटनी में आने के क्या कारण हो सकते हैं, जिससे आप आगे से सावधानी बरतें और सुखी वित्तीय जीवन व्यतीत करें।
आयकर के जांच के दायरे में आने के कारण:
एकदम से आय का बहुत ज्यादा कम होना या आय का बहुत ज्यादा होना आयकर जांच का कारण हो सकता है। तो अपने सारे जरूरी दस्तावेज तैयार रखने चाहिए, जिससे कि आप बता सकें कि वैध तरीके से आय हुई है।
किसी एक वित्तीय वर्ष में आयकर रिटर्न नहीं भरा है तो यह भी आयकर जांच का एक कारण है। अगर आप किसी वित्तीय वर्ष में रिटर्न नहीं भर पाए हैं तो उसका संतुष्टिदायक उत्तर आपके पास होना चाहिए।
बहुत से लोग बैंकों में जमा रकम पर ब्याज और किराये की आय को अन्य आय के अंतर्गत नहीं बताते हैं। किसी भी तरह की आय हो, आयकर रिटर्न में बतानी ही चाहिए।
भूमि-भवन के खरीदने और बेचने या क्रेडिट कार्ड में बहुत अधिक राशि के ट्रांजेक्शन होना भी आयकर जांच का एक कारण हो सकता है।
अगर आयकर रिटर्न में दर्शाया गया टीडीएस और आयकर की वेबसाइट के फॉर्म 26एएस में दर्शाया गए टीडीएस में अंतर है तो भी आप आयकर जांच के दायरे में आ सकते हैं।
पैन नंबर (स्थायी खाता संख्या) कब अनिवार्य है, यह सबको पता होना चाहिए, कई जगह लोगों को पूरी जानकारी नहीं होने की दशा में तकलीफ उठानी पड़ती है। हम कुछ भी खरीदारी करने जाते हैं तो हमसे पैन नंबर मांगा जाता है, और हमें पता भी नहीं होता कि पैन नंबर की वाकई यहां जरूरत भी है या नहीं, या फिर आपको पता है कि ज्यादा राशि की खरीददारी पर पैन नंबर अनिवार्य है परंतु कुछ जगह कम राशि पर ही पैन नंबर ले लेते हैं, हम आगे बात करेंगे कि कहां कहां आपको पैन नंबर अनिवार्य हैं। पैन नंबर कब अनिवार्य हैं 1 जनवरी 2016 से दो लाख के ऊपर किसी भी तरह के भुगतान पर आपको पैन नंबर बताना अनिवार्य कर दिया गया है। फिर भले ही आप किसी भी तरह का नगद या क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्शन कर रहे हों।बैंक में किसी भी प्रकार का खाता खोलने के लिए पैन नंबर देना अनिवार्य है। केवल प्रधानमंत्री जन धन योजना में खाता खोलने के लिए पैन नंबर की जरूरत नहीं है। अगर 50 हजार रूपए या इससे ज्यादा के प्रीपेड कार्ड एक साल में खरीदे हैं तो पैन नंबर देना अनिवार्य है। दो लाख से ज्यादा के स्वर्ण आभूषण की खरीददारी पर (पहले पांच लाख) भी पैन कार्ड अनिवार्य है। भूमि-भवन के खरीदने या बेचने पर अब 5 की जगह 10 लाख की राशि पर पैन नंबर देना अनिवार्य है। यह अलग बात है कि आजकल 10 लाख रूपए में भूमि-भवन मिलना बहुत ही मुश्किल है। अगर होटल, रेस्त्राँ का बिल और विदेश यात्रा या विदेशी मुद्रा की खरीदारी 50 हजार रूपए से ज्यादा नगद करते हैं तो पैन नंबर अनिवार्य है। (पहले 25 हजार लिमिट थी) (मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
आयकर विभाग ने शिकायतों के समाधान के लिए, इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शिकायतों को निपटाने के लिए ई-निवारण नाम से नया सिस्टम उतारा है, ई-निवारण से बेहद तेजी से आयकरदाताओं को शिकायतों को सुना जाएगा और सुनिश्चित किया जाएगा कि जल्दी से जल्दी उनकी शिकायतों का निराकरण कर दिया जाए। इस नए सिस्टम का नाम दिया गया है एकीकृत शिकायत प्रबंधन प्रणाली (Unified Grievance Management System), और इसे ही ई-निवारण के नाम से जाना जाएगा। यह प्रणाली केवल शिकायत को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से दर्ज ही नहीं करेगी अपितु उस शिकायत के न्यायिक निराकरण होने तक उस पर नजर भी रखेगी।
इस प्रणाली से सभी ऑनलाइन एवं ऑफलाइन यानि कि विभाग में की जाने वाली शिकायतें भी इस पर दर्ज होंगी। जो कि कर निर्धारण अधिकारी से पर्यवेक्षण अधिकारी तक बिना कागज के इलेक्ट्रॉनिक तरीके से उनके निरीक्षण में रहेगी और यह इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल यह भी सुनिश्चित करेगा कि आपकी शिकायत संबंधित अधिकारियों तक जल्दी से जल्दी पहुंचे, जैसे कि किसी के रिफंड का केस उनके कर निर्धारण अधिकारी तक पहुंच जाएगा।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (The Central Board of Direct Taxes) जो कि विभाग की पॉलिसी बनाता है, ने विभाग में नया ढांचा बनाया है जिसका नाम दिया गया है आयकरदाता सेवा प्रकोष्ठ। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने नई प्रक्रिया विकसित की है जिसके तहत विभाग के उच्च अधिकारियों को शिकायतों का एक विशिष्ट हिस्सा दिया जाएगा और इसमें इन अधिकारियों को शिकायतों के दर्ज होने से निराकरण होने तक निरीक्षण करना होगा।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
सावधान अगर आप अपनी पत्नी को किराया देते हैं तो
अगर आप अपनी पत्नी को किराया देते हैं तो आप एचआरए या 80जीजी के तहत छूट नहीं ले सकते हैं, भले ही आपके पास उसकी रसीद हो। इस तरह के बहुत से केस आयकर विभाग में आए हैं जहां पर पत्नी अपनी किराये की आमदनी बता रही थी, जो कि असल में आप खुद ही किराया दे रहे थे। और इस तरहे के केसों खारिज करने का आधार यही है कि पति और पत्नी एक साथ रहते हैं तो पति पत्नी को किराया नहीं दे सकता है।
परंतु फिर भी आप तर्क प्रस्तुत कर सकते हैं क्योंकि एचआरए की छूट तब उपलब्ध है जब कि घर के मालिक कोई नजदीकी रिश्तेदार है (जैसे कि अभिभावक या पत्नी) और जिसके लिए आप नियमित रूप से किराया दे रहे हैं। इसके लिए कुछ कोर्ट केस भी लड़े गए हैं और जीते भी गए हैं जिसमें आयकर विभाग को एचआए में छूट देनी पड़ी है।
इसका मतलब यह भी समझा जा सकता है कि अगर होम लोन पत्नी के नाम पर है तो पति पत्नी को किराया देकर एचआरए क्लेम कर सकता है। केवल यह उन्हीं पति पत्नी के लिए फायदेमंद है जिसमें पत्नी की आय शून्य हो या टैक्स कम लगता हो, तो पति और पत्नी दोनों ही इस तरहे के ट्रांजेक्शन का फायदा ले सकते हैं। परंतु आप आयकर विभाग की स्क्रूटनी में आने के लिए भी तैयार रहें। यह भी याद रखें कि अगर आपके विरूद्ध फैसला आता है तो आपको जुर्माना और ब्याज दोनों ही देना पड़ेगा। अगर आप विश्वस्त हैं तो ही आप इस तरह की छूट के चक्कर में पड़ें। यह जितना फायदा देने वाला है उतना ही जोखिम भी हो सकता है।
अगर आप अपनी पत्नी के नाम पर घर केवल इस किराए के फायदे का लिए ले रहे हैं तो ध्यान रखें कि दंड देने के लिए नियम भी है सेक्शन 64 के तहत जो कि टैक्स से बचने के लिए होता है।
मूलत आपके दस्तावेज बिल्कुल सही होने चाहिए और साथ ही यह भी साफ रहना चाहिए कि घर खरीदने में किसने रकम अदा की है और कितनी रकम अदा की है, यह सब बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। कानून में ऐसा कुछ नहीं लिखा है कि आप किसी परिवार के सदस्य को किराया नहीं दे सकते हैं। लेकिन फिर भी यह बताना, समझाना और प्रत्युत्तर देना बहुत ही कठिन है और खासकर तब जब कि मकान मालकिल पत्नी हो। मैं कभी भी किसी को भी पत्नी को किराया देने की राय बिल्कुल भी नहीं दूंगा।
(मोलतोल ब्यूररो; +91-75974 64665)
Tuesday March 21,2023
हम लोग यही समझते हैं कि हम लोग बहुत सारा कर सरकार को दे रहे हैं और यह काफी हम लोग यही समझते हैं कि हम लोग बहुत सारा कर सरकार को दे रहे हैं और यह काफी . . . . .
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