मुंबई। देश भर में तुअर (अरहर) की बोआई का रकबा 2022-23 (जुलाई-जून) में 11-15 फीसदी घटकर 43-45 लाख हैक्टेयर रह जाने का अनुमान है, क्योंकि तुअर के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे होना और सोयाबीन एवं कपास जैसी अन्य फसलों की कीमतों में बढ़ोतरी होने से किसान ऐसा कर सकते हैं। कारोबारियों का कहना है कि तुअर उगाने वाले प्रमुख राज्यों में किसान लाभकारी कीमतों के कारण सोयाबीन और कपास की ओर रुख कर सकते हैं।
कारोबारियों का कहना है कि महाराष्ट्र में तुअर के रकबे में 15-20 फीसदी और कर्नाटक में 12-15 फीसदी की गिरावट देखी जा सकती है। मध्य प्रदेश में तुअर का रकबा 15-20 फीसदी कम हो सकता है। कर्नाटक और महाराष्ट्र तुअर उगाने वाले मुख्य राज्य हैं और कुल क्षेत्रफल का लगभग 80 फीसदी हिस्सा इन दो राज्यों का रहता है। इसके बाद मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और गुजरात का कुल क्षेत्रफल लगभग 20 फीसदी है। हालांकि, बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि अगले दो से तीन महीनों में मानसून कैसे आगे बढ़ता है।
महाराष्ट्र के प्रमुख बाजार अकोला में, तुअर के भाव जनवरी में 7,000 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ पहुंच गए थे और कम फसल की चिंताओं के कारण मार्च तक न्यूनतम समर्थन मूल्य 6,300 रुपए से ऊपर थे।
तब से कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से गिरकर 6,000-6,200 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गई हैं। तुअर के भावों में गिरावट तापमान में वृद्धि के कारण हुई, जिससे मांग में कमी आई।
कलंत्री फूड्स के लातूर स्थित नितिन कलंत्री ने कहा कि गर्मियों के दौरान आम तौर पर दाल की मांग कम होती है क्योंकि लोग दाल परोसने के बजाय सब्जियां और आम जैसे ताजे फल पसंद करते हैं।
कारोबारियों का कहना है कि रमजान के दौरान आम तौर पर मांग अधिक होती है, लेकिन ईद के बाद कम हो जाती है। उन्होंने कहा कि इस साल की शुरुआत में अप्रैल में रमजान का महीना आया था और गर्मी की छुट्टियों के लिए स्कूल भी बंद थे जिससे दालों की मांग कमजोर रही। जून-जुलाई में जब स्कूल फिर से खुलेंगे और शादियों का सीजन शुरू होगा तो तुअर की मांग में सुधार होने की उम्मीद है।
अनेक कारोबारी कहते हैं कि देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आने से भी मांग में सुधार हो सकता है, जिससे तुअर की कीमतें मौजूदा स्तर से 200-400 रुपए प्रति 100 किलोग्राम बढ़ सकती हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य 1 जून की समयरेखा से पांच दिन पहले 27 मई को केरल में आने की संभावना है, और इस साल देश में लंबी अवधि के औसत के 99 फीसदी पर सामान्य रहने की उम्मीद है।
बता दें कि दक्षिण-पश्चिम मानसून महत्वपूर्ण है क्योंकि इस अवधि के दौरान देश की वार्षिक वर्षा का लगभग 80 फीसदी हिस्सा होता है, और खरीफ फसलें कुल बोए गए क्षेत्र के लगभग दो-तिहाई हिस्से में पूरी तरह से मानसूनी बारिश पर निर्भर होती हैं।
हालांकि, सोयाबीन और कपास जैसी प्रतिस्पर्धी फसलों की कीमतों में उछाल ने किसानों की रुचि तुअर में कम कर दी है। जून में समाप्त होने वाले चालू फसल वर्ष में सोयाबीन का दाम लगभग 10,000 रुपए प्रति क्विंटल तक तक पहुंच गया था। जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य 3,950 रुपए प्रति क्विंटल है।
इसी तरह, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया पर कपास का सबसे सक्रिय मई वायदा हाल ही में 50,330 रुपए प्रति गांठ (1 गांठ = 170 किलोग्राम) के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। सरकार की अनिश्चित नीतियों ने भी दलहन के प्रति धारणा को ठेस पहुंचाई है, जिससे मौजूदा खरीफ सीजन में तुअर के रकबे पर असर पड़ सकता है। मार्च में केंद्र ने 'मुफ्त' श्रेणी के तहत अरहर और उड़द के आयात को चालू वित्त वर्ष के अंत तक बढ़ा दिया था।
कारोबारियों का कहना है कि जब तक सरकार हस्तक्षेप नहीं करती और आयात को प्रतिबंधित करने का फैसला नहीं करती, कीमतों में वृद्धि की संभावना नहीं है। इसके अलावा, व्यापारियों के बीच एक डर है कि सरकार जून 2021 में स्टॉक सीमा लागू करने के समान नीतियों को कभी भी पेश या संशोधित कर सकती है। यह एक और कारण है कि कीमतें सीमित रेंज में हैं।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने वर्तमान रबी सीजन (2022-23) में अब तक 18.6 लाख टन चने की खरीद कर ली है, जबकि पिछले साल यह खरीद केवल पांच लाख टन थी।
सूत्रों ने बताया कि चना की खरीद, जो कि नेफेड द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है, अगले सप्ताह तक 20 लाख टन को पार करने की संभावना है क्योंकि राजस्थान और मध्य प्रदेश में किसान तेजी से अपनी उपज मंडियों में ला रहे हैं। वर्तमान सत्र के लिए खरीद का लक्ष्य पिछले वर्ष में केवल 6 लाख टन खरीद के मुकाबले लगभग 29 लाख टन है।
चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,230 रुपए प्रति क्विंटल है जबकि यह मंडियों में 4,700-5,000 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है। यही वजह है कि नेफेड की खरीद में बढ़ोतरी हुई है। चने की अधिक खरीद के कारण, सरकार के पास वर्तमान में 23 लाख टन मानक के मुकाबले बफर स्टॉक के रूप में विभिन्न दलहन 33 लाख टन है।हालांकि, दालों की अन्य किस्मों के मामले में, सरकार के स्टॉक कम खरीद की वजह से कम हैं – मूंग (3.1 लाख टन), उड़द (30 हजर टन), तुअर (1.1 लाख टन) और मसूर (70 हजार टन)।
बता दें कि वर्ष 2016 में सरकार ने दलहन का बफर स्टॉक बनाया था, ताकि खुले बाजार में स्टॉक को कैलिब्रेटेड तरीके से जारी करके खुदरा कीमतों को नियंत्रित किया जा सके। नेफेड सरकार की ओर से दलहन की खरीद करता है।
बता दें कि नेफेड ने इसस महीने की शुरुआत से अब तक मध्य प्रदेश (5.4 लाख टन), महाराष्ट्र (5.4 लाख टन), गुजरात (पांच लाख टन), कर्नाटक (70 हजार टन), तेलंगाना (50 हजार टन) और आंध्र प्रदेश (60 हजार टन) चना किसानों से खरीदा है।
गुरुवार को जारी खाद्यान्न उत्पादन के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार चालू फसल वर्ष का दलहन उत्पादन रिकॉर्ड 277.5 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 9 फीसदी अधिक है। चना का उत्पादन चालू फसल वर्ष में 17 फीसदी अधिक बढ़कर 139.8 लाख टन पहुंच गया जो पिछले वर्ष 119.1 लाख टन था।
कारोबारियों का कहना है कि आने वाले महीनों में, हम मंडियों में आवक कम होने की उम्मीद करते हैं और साथ ही मिल मालिकों की मांग भी देखी जा सकती है और इससे चने की मंडी कीमतें एमएसपी के करीब आ सकती हैं।
विनिपग। एग्रीकल्चर एंड एग्री फूड कनाडा (एएएफसी) ने अपनी मई महीने की ताजा रिपोर्ट में कहा है कि कनाडा से वर्ष 2021-22 में चने की सप्लाई पिछले साल की तुलना में काफी कम रहने के आसार हैं। हालांकि, निर्यात बढ़कर 1.60 लाख टन पहुंचने की संभावना है। निर्यात बढने से चने का कैरी-आउट स्टॉक पिछले साल की तुलना में तेजी से गिरने का अनुमान है। वर्ष 2022-23 में चने का रकबा कुछ गिरने की संभावना है क्योंकि चने में किसानों को अन्य फसलों की तुलना में रिटर्न कमजोर मिला है। एएएफसी के मुताबिक कनाडा का चना निर्यात वर्ष 2021-22 में 1.60 लाख टन रहने का अनुमान है। यह वर्ष 2022-23 में 1.20 लाख टन रहने की संभावना है। जबकि, वर्ष 2020-21 में 1.59 लाख टन रहा। कनाडा में चने की खेती वर्ष 2021-22 में 74 हजार हैक्टेयर में रहने के आसार हैं जबकि वर्ष 2022-23 में इसके 70 हजार हैक्टेयर में रहने के आसार हैं। वर्ष 2020-21 में 1.20 लाख हैक्टेयर में चने की खेती हुई।
एएएफसी ने चने का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 76 हजार टन रहने का अनुमान जताया गया है। यह अनुमान वर्ष 2022-23 के लिए 1.10 लाख टन है। यह वर्ष 2020-21 में 2.14 लाख टन था।
कनाडा में वर्ष 2021-22 में चने का कैरी आउट स्टॉक 1.50 लाख टन रहने की संभावना है। यह वर्ष 2020-21 में 2.75 लाख टन था। वर्ष 2022-23 में 1.20 लाख टन रहने का अनुमान है।
एएएफसी ने अपनी ताजा रिपोर्ट में फसल वर्ष 2021-22 के लिए चने का औसत भाव 960 कनाडाई डॉलर प्रति टन पर कायम रखा है। जबकि, फसल वर्ष 2022-23 के लिए इसे 100 डॉलर बढ़ाकर 960 कनाडाई डॉलर प्रति टन किया है। फसल वर्ष 2020-21 के लिए चने का औसत भाव 640 कनाडाई डॉलर था।
अमरीकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने वर्ष 2022-23 में अमरीका में चने का रकबा पिछले साल की तुलना में 18 फीसदी घटकर तीन लाख एकड़ रहने के आसार हैं।
विनिपग। एग्रीकल्चर एंड एग्री फूड कनाडा (एएएफसी) ने अपनी मई महीने की रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2021-22 में मसूर का निर्यात घटकर 15 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि इसकी कुल सप्लाई 21 लख टन रहने की संभावना है । टर्की, भारत और संयुक्त अरब अमीरात मुख्य निर्यात बाजार बने हुए हैं। फसल वर्ष 2022-23 में मसूर का रकबा चार फीसदी बढ़कर 18.2 लाख हैक्टेयर रहने की उम्मीद है। उत्पादन 59 फीसदी बढ़कर 25.5 लाख टन और सप्लाई 29 लाख टन रहने की संभावना है। एएएफसी के मुताबिक वर्ष 2021-22 में मसूर का उत्पादन 16.06 लाख टन रहने की संभावना है। यह अनुमान वर्ष 2022-23 के लिए 25.50 लाख टन आंका गया है। यह वर्ष 2020-21 में 28.68 लाख टन था। कनाडा से वर्ष 2021-22 में मसूर का निर्यात 15 लाख टन रहने की संभावना है। जो वर्ष 2022-23 में 21 लाख टन पहुंच सकता है। यह 2020-21 में 23.26 लाख टन रहा।
मसूर की बोआई वर्ष 2021-22 में 17.16 लाख हैक्टेयर में हुई जो वर्ष 2022-23 में 17.90 लाख हैक्टेयर पहुंचने को अनुमान है। यह वर्ष 2020-21 में 17.05 लाख हैक्टेयर में थी। मसूर का वर्ष 2021-22 सीजन में कैरी-आउट स्टॉक 2.50 लाख टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2020-21 में 4.07 लाख टन था। इसके वर्ष 2022-23 में 3.50 लाख टन रहने का अनुमान है।
एएफसी ने मसूर का औसत भाव फसल वर्ष 2021-22 के लिए भाव 1000 कनाडाई डॉलर प्रति टन पर कायम रखा है। जबकि, फसल वर्ष 2022-23 के लिए 110 डॉलर बढ़ाकर 835 कनाडाई डॉलर प्रति टन किया है। फसल वर्ष 2020-21 के लिए 645 कनाडाई डॉलर था।
अमरीकी कृषि विभाग (यूएसडीए) की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष अमरीका में मसूर की खेती पिछले साल की तुलना में 11 फीसदी बढ़कर 7.9 लाख एकड़ पहुंचने की उम्मीद है। अमरीका के नार्थ डाकोटा और मोनटाना में मसूर का रकबा बढ़ने की संभावना है।
विनिपग। एग्रीकल्चर एंड एग्री फूड कनाडा (एएएफसी) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2021-22 में सूखे मटर की सप्लाई पिछले साल की तुलना में घटकर 28 लाख टन रहने के आसार हैं जबकि निर्यात भी 41 फीसदी फिसलकर 21 लाख टन रहने के आसार हैं। चीन और बांग्लादेश की घटी मांग को कुछ हद तक अमरीका की खरीद पूरी कर रहा है। वर्ष 2022-23 में इसका रकबा वर्ष 2021-22 की तुलना में सात फीसदी घटकर 14.4 लाख हैक्टेयर रहने की संभावना है। जबकि, उत्पादन 35 लाख टन और कुल सप्लाई 37 लाख टन पहुंचने की संभावना है।
एएएफसी ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कनाडा में वर्ष 2021-22 में सूखे मटर का उत्पादन अनुमान 22.58 लाख टन आंका है। वर्ष 2022-23 में इसके 35 लाख टन रहने की संभावना है। यह फसल वर्ष 2020-21 में 45.94 लाख टन था। कनाडा में सूखे मटर की खेती वर्ष 2021-22 में 14.91 लाख हैक्टेयर में होने का अनुमान है। यह वर्ष 2022-23 में 14.10 लाख हैक्टेयर रहने की संभावना है। वर्ष 2020-21 में यह रकबा 16.85 लाख हैक्टेयर था।
कनाडा से सूखे मटर का निर्यात वर्ष 2021-22 में 21 लाख टन रहने की संभावना है। यह वर्ष 2022-23 में 27 लाख टन रहने का अनुमान है। यह वर्ष 2020-21 में 35.82 लाख टन था।
सूखे मटर का कैरी ऑउट स्टॉक वर्ष 2021-22 में 1.50 लाख टन रहने के आसार है जबकि यह वर्ष 2020-21 में 5.59 लाख टन रहा। इसके वर्ष 2022-23 में तीन लाख टन रहने के आसार हैं।
एएएफसी ने सूखे मटर का औसत भाव फसल वर्ष 2021-22 के लिए 600 कनाडाई डॉलर प्रति टन स्थिर रखा है। जबकि, फसल वर्ष 2022-23 के लिए इसे 30 डॉलर बढ़ाकर 480 कनाडाई डॉलर प्रति टन किया है। फसल वर्ष 2020-21 के लिए 340 कनाडाई डॉलर प्रति टन था।
अमरीकी कृषि संस्था (यूएसडीए) के मुताबिक वर्ष 2022-23 में अमरीका में सूखे मटर का रकबा पिछले साल की तुलना में 11 फीसदी बढ़कर 10.9 लाख एकड़ रहने की संभावना है। एरिया में यह बढ़ोतरी नार्थ डाकोटा में खेती बढ़ने से होगी।
विनिपग। एग्रीकल्चर एंड एग्रीफूड कनाडा (एएएफसी) ने अपनी मई महीने की रिपोर्ट में फसल वर्ष 2022-23 के लिए सूखे मटर, चना और मसूर के दाम तेजी से बढ़ाए हैं। जबकि, फसल वर्ष 2021-22 के लिए इन तीनों दलहन के दाम यथावत रखें हैं। कनाडा में नया फसल वर्ष अगस्त-जुलाई रहता है।
एएएफसी की रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा में फसल वर्ष 2021-22 के दौरान सूखे मटर का उत्पादन अनुमान 22.58 लाख टन, मसूर का उत्पादन 16.06 लाख टन और चने का उत्पादन 76 हजार टन आंका है।
गांधीनगर। गुजरात में खरीद एजेंसियों ने राज्य के 8,617 किसानों से 104 करोड़ मूल्य की 16,480 टन तुअर यानी अरहर खरीदी है।
गुजरात सरकार ने शुक्रवार को बताया कि 18,535 किसानों ने केंद्र की मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत तुअर की खरीद में भाग लेने के लिए पंजीकरण कराया है। केंद्र ने वर्ष 2021-22 के लिए तुअर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 6,300 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है।
राज्य सरकार के एक बयान में कहा गया है कि पीएसएस के तहत खरीद 15 फरवरी से नोडल एजेंसी गुजकोमासोल के माध्यम से गुजरात में शुरू हुई थी, जिसके तहत कुल 8,617 किसानों ने भाग लिया है।
तुअर खरीद की अवधि 15 मई को समाप्त हो गई थी, लेकिन राज्य के कुछ क्षेत्रों में देर से बुवाई और तुअर की कटाई को देखते हुए, केंद्र ने तुअर खरीद की समय सीमा 30 मई तक बढ़ा दी है।
सिडनी। आस्ट्रेलिया ने मार्च 2022 में 35563 टन चने का निर्यात किया जबकि मसूर का निर्यात 102182 टन था। यह जानकारी आस्ट्रेलियन ब्यूरो ऑफ स्टेटिक्स (एबीएस) ने दी। चने का निर्यात मार्च में फरवरी के निर्यात 102259 टन की तुलना में 65 फीसदी घटा, जबकि मसूर का निर्यात फरवरी के 74163 टन की तुलना में 38 फीसदी बढ़ा। दोनों दलहन की खरीद में बांग्लादेश पहले स्थान पर रहा।
आस्ट्रेलिया से चने का निर्यात चुनिंदा देशों पर नजर
देश
जनवरी
फरवरी
मार्च
कुल
बांग्लादेश
61487
74824
17804
154115
कनाडा
720
442
2496
3658
नेपाल
1947
2791
7337
12075
पाकिस्तान
2418
20353
2937
25708
टर्की
498
755
245
1498
यूएई
1368
934
2096
4398
यूके
1409
1159
467
3035
अमरीका
407
99
329
835
कुल निर्यात सभी देश
71337
102259
35563
209159
आस्ट्रेलिया से मसूर का निर्यात चुनिंदा देशों पर नजर
83687
38066
51879
173632
इजिप्त
8400
12500
19476
40376
भारत
11630
369
13318
25317
मलेशिया
196
0
752
5669
864
7285
2501
1880
3534
7915
द अफ्रीका
144
236
380
125
1003
1128
श्रीलंका
6775
5088
20713
20720
11465
145
32330
135079
74163
102182
311424
स्त्रोत : आस्ट्रेलियन ब्यूरो ऑफ स्टेटिक्स
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश भर में अब तक 15 लाख टन से ज्यादा चने की खरीद की है। खुले बाजार में चने का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे होने की वजह से किसान सरकारी एजेंसियों को चना बेचना पसंद कर रहे हैं। चालू फसल वर्ष में सरकारी एजेंसियों ने चने की सबसे ज्यादा खरीद महाराष्ट्र से की है जबकि दूसरे स्थान पर गुजरात है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार ने अपनी नोडल एजेंसी नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के माध्यम से कुल 15.10 लाख टन चने की खरीद की है। महाराष्ट्र से अब तक नाफैड द्धारा 4.60 लाख टन जबकि एफसीआई द्धारा 482985 टन चने की खरीद हुई है। इस तरह कुल खरीद 5.05 लाख टन की हुई है।
गुजरात में नाफैड की ओर से गुजकोमासोल ने 4.71 लाख टन चने की खरीद की है। मध्य प्रदेश में अब तक 3.25 लाख टन, राजस्थान में 75 हजार टन, कर्नाटक में 72253 टन, आंध्र प्रदेश में 54566 टन, उत्तर प्रदेश में 3797 टन चने की खरीद हो चुकी है। सरकार ने चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5230 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है।
चना हाजिर बाजार में अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे बिक रहा है। हाजिर बाजारों में चना 4500-4800 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है। नैफेड का लक्ष्य 2022-23 के विपणन सत्र में देश भर में कुल 15 लाख टन चने की खरीद करना है। हालांकि, एक सरकारी अधिकारी का कहना है कि यह खरीद अभी जारी रह सकती है। सरकार के दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, 2021-22 (जुलाई-जून) में चना का उत्पादन एक साल पहले के 119.1 लाख टन के मुकाबले 131.2 लाख टन होने का अनुमान है।
मुंबई। इंडियन प्लसेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इप्जा) ने अर्जेंटीना के साथ विशेष रूप से दाल-दलहन व्यापार बढ़ाने की गुंजाइश तलाशी है।
हाल ही में, संगठन के चेयरमैन बिमल कोठारी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने अर्जेंटीना के विदेश और अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री, सैंटियागो कैफिएरो और राजदूत ह्यूगो गोब्बी से मुलाकात की और कृषि में द्विपक्षीय व्यापार को मजबूत करने और दोनों देशों के बीच संबंधों के विस्तार के लिए संभावित रास्ते खोलने पर चर्चा की।
कोठारी ने कहा कि संगठन ने सुझाव दिया है कि अर्जेंटीना दलहन उगाने पर ध्यान दें, खासकर वे दलहन जिसकी भारतीय बाजार को जरूरत है। वर्तमान में अर्जेंटीना से कुछ मात्रा में मूंग/चने का आयात किया जा रहा है।
उन्होंने इस साल सितंबर में मुंबई में आयोजित होने वाले द पल्सेस कॉन्क्लेव 2022 के छठे समारोह में भाग लेने के लिए अर्जेंटीना से बड़ी संख्या में प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया।
Tuesday May 24,2022
मुंबई। देश भर में तुअर (अरहर) की बोआई का रकबा 2022-23 (जुलाई-जून) में 11-15 मुंबई। देश भर में तुअर (अरहर) की बोआई का रकबा 2022-23 (जुलाई-जून) में 11-15 . . . . .
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