Published Mar 10, 2016 12:00:00 मोलतोल संवाददाता
भारतीय जीरा इस साल मसाला कॉम्पलैक्स में हॉट कमोडिटी साबित हो सकता है। जीरा उत्पादक अन्य देशों में इस साल फसल कम होने की संभावना का लाभ भारतीय जीरे को मिलने के आसार हैं। लेकिन नकली जीरे पर लगाम लगना और आर्गेनिक जीरे के उत्पादन को बढ़ाना जरुरी है। जीरे की इस साल उपज, घरेलू मांग, निर्यात स्थिति एवं भाव जैसे कई अहम सवालों पर राजा इंडस्ट्रीज (एमडीआर ग्रुप) जोधपुर के मनुज धूत से मोलतोल डॉट इन ने बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश:
विदेश मोर्चे पर जीरे की उपलब्धता का क्या हाल है ?
सीरिया में इस साल जीरे की फसल पिछले साल की तुलना में 10-15 फीसदी ही आ पाएगी। वहां हालात अच्छे नहीं है और अशांति एवं आंतरिक युद्ध ने खेती, कारोबार को उजाड़ दिया है। पाकिस्तान में भी जीरा 5500 टन से ज्यादा पैदा होने की संभावना नहीं है। पाकिस्तान में नए जीरे की आवक मई-जून में होगी और पाकिस्तान में भी भारत की तरह जीरा रसोई का अहम हिस्सा है। अफगानिस्तान में जीरा तीन हजार टन पैदा होने के आसार हैं। खाड़ी देशों की बात की जाए जो हमसे जीरा आयात करते हैं, वहां से बिजनेस कम मिलेगा इस साल। समूची दुनिया में फैली मंदी वहां की कई फर्मों को लील गई है जिससे जीरा कारोबार पिछले साल की तुलना में 30 फीसदी कम दिखाई देगा। लेकिन, यूरोप और अमरीका में पिछले साल से जीरे के कारोबार में 20 फीसदी की बढ़ोतरी होने के आसार हैं। जीरा उत्पादक अन्य देशों की स्थिति अच्छी नहीं होने का लाभ इस साल बेशक भारतीय जीरे को मिलेगा।
जीरे में आयात-निर्यात ऑफर प्राइस क्या चल रहे हैं ?
भारतीय जीरा गल्फ (99 सिंगापुर) इन दिनों 1950-1970 अमरीकी डॉलर प्रति टन सीएंडएफ ऑफर अप्रैल डिलीवरी किया जा रहा है। जबकि यूरोप के लिए 99.5 फीसदी वाला जीरा 2150 अमरीकी डॉलर प्रति टन सीएंडएफ पर ऑफर हो रहा है। जबकि, गल्फ के लेवाल 1900 डॉलर प्रति टन पर जीरा लेना चाहते हैं। लेकिन इस भाव पर भारतीय जीरे की वहां पड़तल नहीं बैठ रही। मेरा मानना है कि गल्फ आयातकों को जल्दी ही प्राइस बढ़ाने होंगे क्योंकि घरेलू बाजार की तरह निर्यात फ्रंट पर भी पाइप लाइन खाली है।
घरेलू मोर्चे पर जीरे की मांग एवं फसल की क्या स्थिति है ?
अपने देश में जीरे की खपत इस साल 35 लाख बोरी (प्रति बोरी 55 किलोग्राम) रहने की उम्मीद है। जबकि निर्यात 15-17 लाख बोरी रहेगा। इस साल देश में जीरे का उत्पादन 42-45 लाख बोरी रहने की संभावना है। जबकि, कैरी फारवर्ड स्टॉक 5.5 लाख बोरी है1 इस तरह जीरे की कुल उपलब्धता 47.5 से 50.5 लाख बोरी रहने के आसार हैं। इस साल मौसम गर्म रहने से जीरे में ऑयल कंटेंट कम होगा और दाना हल्का होगा जिससे एक्सपोर्ट पैरिटी में दिक्कत होगी। जीरे में अच्छा ऑयल कंटेंट होना जरुरी है।
जीरे की क्वॉलिटी और खेती में सुधार के लिए क्या कदम उठाने चाहिए ?
मसाला बोर्ड को यह पूरी कोशिश करनी होगी कि देश के जीरे का नाम खराब न हो और नकली जीरे की आपूर्ति को पूरी तरह रोके। नकली जीरे ने देश की इमेज को विदेशों में खराब किया है। मसाला बोर्ड को यह कदम उठाना चाहिए कि नकली जीरा जिस निर्यातक की ओर से आता है उसका निर्यात लाइसेंस तीन से पांच साल के लिए रद्द कर दें। देश में जीरे की खेती को बढ़ावा देने के साथ आर्गेनिक खेती पर जोर दिया जाना चाहिए और सरकार एवं निजी प्रयास यह हो कि किसानों को इसका महत्व बताया जाए एवं बगैर पेस्टीसाइड वाले जीरे की ओर उनको मोड़ा जाए। कोच्चि में मसाला बोर्ड की बैठक मार्च में होगी जिसमें जीरे की आर्गेनिक खेती पर काफी मंथन होगा। हम चाहते हैं कि मसाला बोर्ड जोधपुर में सार्टेक्स मशीनें, लैब, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करें।
वर्ष 2016 जीरे के लिए भाव की दृष्टि से कैसा रह सकता है ?
वर्ष 2016 की हॉट कमोडिटी जीरा बन सकता है। अप्रैल जीरा एक बार 13000-13500 रुपए प्रति क्विंटल आना चाहिए। एक्सचेंज में नई डिलीवरी मई में आएगी। निवेशक और स्टॉकिस्टों को मौजूदा भावों पर जीरा खरीदना चाहिए। यहां से जीरा प्रत्येक किलोग्राम दो-दो रुपए घटता है तो भी उन्हें अपनी खरीद जारी रखनी चाहिए लेकिन कारोबारियों को अभी दूर रहना चाहिए और जब तक यह 13 हजार रुपए प्रति क्विंटल के आसपास नहीं आता, ताजा खरीद से बचना चाहिए।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)
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